अजमेर दरगाह विवाद : याचिकाकर्ता ने इतिहासकार की पुस्तक के हवाले से किया मंदिर होने का दावा
Ajmer : अजमेर दरगाह और उससे जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों पर एक याचिका दाखिल की गयी है, जिसमें कई अहम बिंदुओं को लेकर सवाल उठाये गये हैं. याचिकाकर्ता ने अजमेर के प्रसिद्ध इतिहासकार हरविलास शारदा की पुस्तक का हवाला देते हुए कहा कि अजमेर दरगाह के लिए किसी प्रकार की खाली जमीन का अधिग्रहण या कब्जा […]
Ajmer : अजमेर दरगाह और उससे जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों पर एक याचिका दाखिल की गयी है, जिसमें कई अहम बिंदुओं को लेकर सवाल उठाये गये हैं. याचिकाकर्ता ने अजमेर के प्रसिद्ध इतिहासकार हरविलास शारदा की पुस्तक का हवाला देते हुए कहा कि अजमेर दरगाह के लिए किसी प्रकार की खाली जमीन का अधिग्रहण या कब्जा करने का इतिहास में कहीं भी कोई उल्लेख नहीं है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि दरगाह परिसर में मौजूद तीन छतरियां, जो वर्तमान में एक गेट के पास स्थित हैं, संभवतः हिंदू धर्म से संबंधित भवनों के अवशेष हैं. याचिकाकर्ता ने अजमेर दरगाह के ऐतिहासिक पहलुओं को उजागर करते हुए बताया कि हर विलास शारदा की पुस्तक में इन तीन छतरियों का विवरण दिया गया है.
#WATCH | Delhi: Union Minister Giriraj Singh says, “..In Ajmer, court directed for a survey. If any hindu has filed a plea and the court has ordered a survey, what is the problem? Mughals destroyed our temples…Congress only did appeasement until then…if Nehru had stopped this… pic.twitter.com/bLmxo0fpH1
— ANI (@ANI) November 28, 2024
#WATCH | On a suit claiming Shiva temple within Ajmer Sharif dargah AIMIM MP Asaduddin Owaisi says, “The dargah has been there for the last 800 years…Prime Ministers starting from Nehru have been sending ‘Chadar’ to the dargah. PM Modi too sends ‘Chadar’ there…Why have… pic.twitter.com/EF92G4EnEm
— ANI (@ANI) November 28, 2024
#WATCH | Delhi | On a suit claiming Shiva temple within Ajmer Sharif dargah, BJP MP Ravi Kishan says, “It is a sensitive matter. If the court has accepted the plea, then we should not comment on this matter. It has become a matter of investigation…So, the investigation will be… pic.twitter.com/3hQc9tcxUh
— ANI (@ANI) November 28, 2024
पद शाह नामा में अजमेर दरगाह का कोई उल्लेख नहीं मिलता
पुस्तक के अनुसार, ये छतरियां किसी हिंदू भवन के टूटे हुए टुकड़े प्रतीत होती हैं और उनके डिजाइन और संरचना से यह संकेत मिलता है कि ये हिंदू मंदिरों या अन्य धार्मिक संरचनाओं के अवशेष हो सकते हैं. याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया कि इन छतरियों में जो सामग्री और वास्तुकला दिखाई देती है, वह हिंदू धर्म के प्रतीकों से मेल खाती है. उन्होंने कहा कि इन छतरियों की नक्काशी को रंगों के कई कोटों से छिपा दिया गया है और पुताई करने के बाद असली पहचान को छुपा लिया गया है. याचिका में यह भी कहा गया है कि इन छतरियों का निर्माण लाल पत्थर से किया गया है, जो पुराने जैन मंदिर के अवशेष हो सकते हैं, जिसे बाद में ध्वस्त कर दिया गया था. इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने लेखक अब्दुल हमीद लाहौरी द्वारा शाहजहां के समय लिखी गयी पुस्तक पद शाह नामा का भी हवाला दिया, जिसमें अजमेर दरगाह का कोई उल्लेख नहीं मिलता.
चंदन अभिषेक करने की परंपरा एक ब्राह्मण परिवार द्वारा निभाई जाती थी
इस पुस्तक में शहंशाह शाहजहां के शासनकाल के दौरान हुई घटनाओं और उनके द्वारा किये गये कार्यों का वर्णन है. लेकिन, इसमें अजमेर दरगाह के निर्माण का कोई जिक्र नहीं है. याचिका में एक और गंभीर सवाल उठाया गया है, जिसमें अजमेर दरगाह के चंदन खाना के तहखाने में रखे गये अवशेषों का संदर्भ दिया गया है. याचिकाकर्ता ने कहा कि यह तहखाना जहां ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के अवशेष रखे जाने की बात कही जाती है, दरअसल, ऐतिहासिक परंपराओं के अनुसार वहां महादेव की छवि भी मौजूद थी. इस छवि पर चंदन अभिषेक करने की परंपरा एक ब्राह्मण परिवार द्वारा निभाई जाती थी, जो आज भी जारी है, लेकिन अब इसे दरगाह के धार्मिक रीति-रिवाजों के रूप में प्रस्तुत किया जाता है.
अजमेर दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा पेश
अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को हिंदू मंदिर बताने वाली याचिका को निचली अदालत ने बुधवार को मंजूर कर लिया. दिल्ली निवासी हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मामले में वादी विष्णु गुप्ता ने विभिन्न साक्ष्यों के आधार पर अजमेर दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा पेश किया था. याचिका की योग्यता पर मंगलवार को भी सुनवाई हुई थी. बुधवार को भी न्यायालय में सुनवाई हुई और फिर अदालत ने वाद को स्वीकार कर लिया. विष्णु गुप्ता ने अजमेर पश्चिम सिविल जज सीनियर डिविजन मनमोहन चंदेल की कोर्ट में याचिका दायर की उस याचिका को लेकर ही निचली अदालत ने पांच दिसंबर तक सभी पक्षों को अपना जवाब दाखिल करने को कहा है.
कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया है तो दिक्कत क्या है : गिरिराज सिंह
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि अजमेर में कोर्ट ने सर्वे का निर्देश दिया है. अगर किसी हिंदू ने याचिका दायर की है और कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया है तो दिक्कत क्या है? मुगलों ने हमारे मंदिर तोड़े. कांग्रेस ने तब तक सिर्फ तुष्टीकरण किया. अगर नेहरू ने मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाने के इस अभियान को रोक दिया होता, तो आज हम अदालत में जाने की स्थिति में नहीं होते.
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि दरगाह पिछले 800 वर्षों से वहां है
एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि दरगाह पिछले 800 वर्षों से वहां है. नेहरू से लेकर सभी प्रधानमंत्री दरगाह पर चादर भेजते रहे हैं. पीएम मोदी भी चादर भेजते हैं. बीजेपी-आरएसएस ने मस्जिदों और दरगाहों को लेकर ये नफरत क्यों फैलाई है? निचली अदालतें पूजा स्थल कानून पर सुनवाई क्यों नहीं कर रही हैं? इस तरह कानून का राज कहां रहेगा और लोकतंत्र खत्म हो गया? यह देश के पक्ष में नहीं है. मोदी और आरएसएस का शासन देश में कानून के शासन को कमजोर कर रहा है. यह सब भाजपा-आरएसएस के निर्देश पर किया जा रहा है.
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