घाटे से उबरी तीन सरकारी पेट्रोलियम कंपनियां, वित्त वर्ष 2023-24 में 81,000 करोड़ की बंपर कमाई

NewDelhi :   सार्वजनिक क्षेत्र की तीन पेट्रोलियम कंपनियों ने वित्त वर्ष 2023-24 में बंपर मुनाफा कमाया है. इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (एचपीसीएल) ने 81,000 करोड़ कमाये हैं. जो वित्तीय वर्ष 2022-23 में 39,356 करोड़ रहा था. शेयर बाजारों को दी गयी जानकारी के अनुसार, आईओसी […]

May 12, 2024 - 17:30
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घाटे से उबरी तीन सरकारी पेट्रोलियम कंपनियां, वित्त वर्ष 2023-24 में 81,000 करोड़ की बंपर कमाई

NewDelhi :   सार्वजनिक क्षेत्र की तीन पेट्रोलियम कंपनियों ने वित्त वर्ष 2023-24 में बंपर मुनाफा कमाया है. इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (एचपीसीएल) ने 81,000 करोड़ कमाये हैं. जो वित्तीय वर्ष 2022-23 में 39,356 करोड़ रहा था. शेयर बाजारों को दी गयी जानकारी के अनुसार, आईओसी ने 2023-24 में 39,618.84 करोड़ का नेट प्रॉफिट हुआ. जो 2022-23 में तेल संकट के दौरान 8,241.82 करोड़ था. इससे पहले 2021-22 में कंपनी का शुद्ध लाभ 24,184 करोड़ और 2020-21 में 21,836 करोड़ रहा था.

2022-23 में एचपीसीएल को हुआ था नुकसान, 2023-24 में 14,693.83 करोड़ का मुनाफा

बीपीसीएल की बात करें तो इस कंपनी ने वित्त वर्ष 2023-24 में 26,673.50 करोड़ का शुद्ध लाभ कमाया है, जो 2022-23 में 1,870.10 करोड़ रहा था. वहीं बीपीसीएल ने वित्त वर्ष 2021-22 में 8,788.73 करोड़ का शुद्ध लाभ कमाया था. एचपीसीएल का 2023-24 में शुद्ध मुनाफा 14,693.83 करोड़ रहा है. हालांकि पिछले वित्तीय वर्ष में कंपनी को 8,974.03 करोड़ का नुकसान हुआ था. हालांकि 2021-22 में कंपनी को 6,382.63 करोड़ का प्रॉफिट हुआ था.

सरकार ने तीनों कंपनियों को समर्थन देने की घोषणा की थी, पर अब तक नहीं मिला

अप्रैल से सितंबर 2022 के दौरान तेल संकट होने की वजह से सभी तेल कंपनियों को सामूहिक रूप से 21,201.18 करोड़ का शुद्ध घाटा हुआ था. इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023-24 के बजट में आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल को उनकी ऊर्जा बदलाव योजना के लिए इक्विटी निवेश या राइट्स इश्यू के जरिये 30,000 करोड़ रुपये का समर्थन देने की घोषणा की. हालांकि बाद में इस राशि को घटाकर 15,000 करोड़ कर दिया गया. लेकिन इन कंपनियों को अभी तक समर्थन नहीं दिया गया है.

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