पारस हॉस्पिटल में डॉ कुणाल की टीम ने आरएसओवी, एवीआर व पल्मोनरी वाल्व रिपेयर से किया सफल इलाज
Ranchi : एचइसी स्थित पारस हॉस्पीटल में औरंगाबाद के रहने वाले 27 वर्षीय मरीज का वलसाल्वा एन्यूरिज्म (आरएसओवी), एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (एवीआर) व पल्मोनरी वाल्व रिपेयर कर सफल ऑपरेशन किया गया. मरीज को सांस लेने में परेशानी थी, वह लगातार खांस भी रहा था. हॉस्पिटल के डॉ कुणाल हजारी व उनकी टीम ने चार अप्रैल […]
Ranchi : एचइसी स्थित पारस हॉस्पीटल में औरंगाबाद के रहने वाले 27 वर्षीय मरीज का वलसाल्वा एन्यूरिज्म (आरएसओवी), एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (एवीआर) व पल्मोनरी वाल्व रिपेयर कर सफल ऑपरेशन किया गया. मरीज को सांस लेने में परेशानी थी, वह लगातार खांस भी रहा था. हॉस्पिटल के डॉ कुणाल हजारी व उनकी टीम ने चार अप्रैल को सफलतापूर्वक सर्जरी की. सर्जरी के दौरान कई जटिलताएं भी थी, जिसे चिकित्सकों की टीम ने कुशलतापूर्वक इलाज कर नई जिंदगी दी. मरीज को 11 अप्रैल को डिस्चार्ज कर दिया गया, इसके तीन सप्ताह के बाद चेकअप के बाद मरीज की स्थिति बहुत ठीक है. हार्ट के चार वाल्व में तीन वाल्व खराब थे. एक ही वाल्व नॉर्मल था, सर्जरी के बाद दो वॉल्व को रिपेयर किया गया, वहीं एक वॉल्व को चेंज किया गया. मरीज अब पूर्णत: ठीक महसूस कर रहा है. वलसाल्वा एन्यूरिज्म (आरएसओवी) बहुत ही जटिल बीमारी है, जो कि बहुत ही कम पाया जाता है, जिसे पारस हॉस्पिटल एचइसी द्वारा ठीक किया गया है.
पारस हॉस्पिटल के डॉ कुणाल हजारी ने कहा कि फरवरी माह में मरीज को अचानक चेस्ट पेन हुआ, इसके बाद मरीज के परिजन इन्हें पटना एम्स में गये, जहां इको कार्डिएकग्राफी किया गया, जिसमें आरएसओवी डिक्टेकट हुआ, यह एक गंभीर बीमारी है. जांच में पाया गया कि हार्ट के चार वाल्व में तीन वाल्व खराब थे, एक ही वाल्व नॉर्मल था. पटना एम्स से दिल्ली एम्स रेफर कर दिया, मरीज एम्स दिल्ली जा नहीं पाया. मरीज के मामा का 10 साल से पहले ऑपरेशन किया था, उन्होंने मुझसे संपर्क किया. मार्च के पहले सप्ताह में मरीज को मेरे पास लाया गया. मैंने इन्हें जल्द से जल्द ऑपरेशन कराने की सलाह दी, आयुष्मान भारत के तहत इस मरीज का सफल सर्जरी किया गया. डॉ हजारी ने कहा कि मैं करीब 1997 कार्डिएक सर्जरी कर चुका हूं, इतने लंबे कैरियर में ऐसे छह से सात केस देखा है. झारखंड में 15 वर्षों से हूं, यहां ये चौथा ऑपरेशन है, सभी आपरेशन सफल रहे, ऑपरेशन से पहले की पीरियड में मरीज को तैयार करना बड़ी चुनौती है.
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