चुनावी बॉन्ड योजना : सुप्रीम कोर्ट से गुहार, एसआईटी जांच की याचिकाएं जल्द सूचीबद्ध की जाये…

  New Delhi : दो गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने आज मंगलवार सुप्रीम कोर्ट से अपनी चुनावी बॉन्ड संबंधी जनहित याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने का अनुरोध किया.  याचिका में चुनावी बॉन्ड योजना में राजनीतिक दलों, कॉर्पोरेट संस्थाओं और जांच एजेंसियों के अधिकारियों से जुड़े बदले में लाभ पहुंचाने के’ कथित मामलों की एक […]

May 14, 2024 - 17:30
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चुनावी बॉन्ड योजना : सुप्रीम कोर्ट से गुहार, एसआईटी जांच की याचिकाएं जल्द सूचीबद्ध की जाये…
चुनावी बॉन्ड योजना : सुप्रीम कोर्ट से गुहार, एसआईटी जांच की याचिकाएं जल्द सूचीबद्ध की जाये...

  New Delhi : दो गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने आज मंगलवार सुप्रीम कोर्ट से अपनी चुनावी बॉन्ड संबंधी जनहित याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने का अनुरोध किया.  याचिका में चुनावी बॉन्ड योजना में राजनीतिक दलों, कॉर्पोरेट संस्थाओं और जांच एजेंसियों के अधिकारियों से जुड़े बदले में लाभ पहुंचाने के’ कथित मामलों की एक विशेष जांच दल द्वारा अदालत की निगरानी में जांच की मांग की गयी है .                                                                                    नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें  

याचिकाएं  सीजेआई के कार्यालय में विचारार्थ हैं

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने एनजीओ कॉमन कॉज और सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन’ (सीपीआईएल) का  पक्ष रख रहे अधिवक्ता प्रशांत भूषण की इन दलीलों पर संज्ञान लिया कि याचिका को सुनवाई के लिए जल्द से जल्द सूचीबद्ध किया जाना चाहिए. न्यायमूर्ति खन्ना ने भूषण से कहा, यह सीजेआई के कार्यालय में विचारार्थ है, वह सूचीबद्ध करेगा. जान लें कि पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 15 फरवरी को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार द्वारा लायी गयी चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था.

शेल कंपनियों, घाटे में चल रही कंपनियों के वित्त पोषण के स्रोत की जांच की जाये

दोनों एनजीओ की याचिका में चुनावी बॉन्ड योजना को घोटाला करार देते हुए अधिकारियों को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि उन शेल कंपनियों और घाटे में चल रही कंपनियों के वित्त पोषण के स्रोत की जांच की जाये, जिन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों को चंदा दिया था और जिसका खुलासा निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आंकड़ों से हुआ है. याचिका में अधिकारियों को यह निर्देश देने की भी मांग की गयी है कि कंपनियों द्वारा बदले में लाभ पाने के ऐवज में दान में दिये गये उस धन को वसूला जाये, जो अपराध की आय के रूप में अर्जित पाया जाये.

 

 

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