टेंडर कमीशन घोटाला : मंत्री आलमगीर से ईडी ने 9 घंटे तक की पूछताछ, कल फिर बुलाया

Ranchi : टेंडर कमीशन घोटाला में मंत्री आलमगीर आलम से ईडी ने करीब नौ घंटे तक पूछताछ की. ईडी ने आलमगीर आलम को फिर बुधवार को ईडी ऑफिस आने को कहा है. इससे पहले आलमगीर आलम दिन के करीब 10.45 बजे ईडी के कार्यालय पहुंचे थे. ईडी ने उन्हें 12 मई को समन जारी कर […]

May 15, 2024 - 05:30
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टेंडर कमीशन घोटाला : मंत्री आलमगीर से ईडी ने 9 घंटे तक की पूछताछ, कल फिर बुलाया

Ranchi : टेंडर कमीशन घोटाला में मंत्री आलमगीर आलम से ईडी ने करीब नौ घंटे तक पूछताछ की. ईडी ने आलमगीर आलम को फिर बुधवार को ईडी ऑफिस आने को कहा है. इससे पहले आलमगीर आलम दिन के करीब 10.45 बजे ईडी के कार्यालय पहुंचे थे. ईडी ने उन्हें 12 मई को समन जारी कर 14 मई को 11 बजे पूछताछ के लिए रांची के हिनू स्थित रीजनल कार्यालय में आने को कहा था. तय समय से पहले ही झारखंड सरकार के मंत्री ईडी ऑफिस पहुंच गये थे.

आलमगीर, संजीव और रीता को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ

दूसरी तरफ आलमगीर के पीएस संजीव लाल की पत्नी भी ईडी ऑफिस पहुंची थी. रीता लाल मंगलवार की दोपहर ईडी ऑफिस पहुंची, जिसके बाद आलमगीर आलम, संजीव लाल और उसकी पत्नी रीता लाल को ईडी आमने सामने बैठाकर पूछताछ की. इससे पहले 9 मई को भी ईडी ने संजीव की पत्नी रीता से ईडी ने पूछताछ की थी. इस दौरान ईडी ने जहांगीर आलम के ठिकाने से बरामद 35 करोड़ रुपये के बारे में रीता से पूछताछ की थी. रीता ने अपने जवाब में कहा था कि उन्हें नहीं पता कि रुपये कहां से आए. ईडी ने रीता से उनके बैंक खातों की भी जानकारी ली थी. उनसे यह भी पूछा गया था कि उनके व उनके पति संजीव लाल के नाम पर कितनी चल-अचल संपत्ति है.

आय-व्यय और संपत्ति से जुड़े दस्तावेज साथ लाने को कहा था

ईडी ने आलमगीर आलम से आय-व्यय और अपनी संपत्ति से जुड़े दस्तावेज साथ लेकर आने को कहा था. झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री को उनके पीएस संजीव लाल और सहायक जहांगीर आलम के घर से 35.23 करोड़ रूपया बरामद होने के बाद ईडी की ओर से समन किया गया था. ईडी ने आलमगीर आलम से बरामद कैश के बारे में पूछताछ की. हालांकि वो सही जवाब नहीं दे पाये. उसके जबाव से ईडी संतुष्ट नहीं हुई. ईडी ने आलमगीर से रुपयों के स्रोत के बारे में पूछताछ की. पूछा गया कि कहां-कहां से रुपये आए और कमीशन की राशि कहां-कहां बंटती थी.

टेंडर कमीशन घोटाला मामले में ईडी ने की थी नौ ठिकानों पर छापेमारी

गौरतलब है कि ईडी ने बीते पांच मई को टेंडर कमीशन घोटाला मामले को लेकर आलमगीर के निजी सचिव संजीव लाल समेत छह लोगों के कुल नौ ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस दौरान ईडी ने संजीव लाल और बिल्डर मुन्ना सिंह के ठिकानों से कुल 35.23 करोड़ बरामद किये थे. इस मामले में ईडी ने कार्रवाई करते हुए पांच मई की देर रात को आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल और उसके सहायक जहांगीर आलम को गिरफ्तार कर लिया था. जिसके बाद ईडी ने दोनों को कोर्ट में पेश किया और 13 मई तक रिमांड पर लिया है.

संजीव लाल को लेकर झारखंड मंत्रालय पहुंची थी ईडी की टीम, कैश हुए थे बरामद

ईडी की टीम बीते सात मई की दोपहर को मंत्री आलमगीर के निजी सचिव संजीव लाल को लेकर झारखंड मंत्रालय पहुंची थी. जहां ग्रामीण विकास विभाग के कार्यालय स्थित संजीव लाल के चैंबर में ईडी ने तलाशी ली और कई कागजातों की जांच की. तलाशी के दौरान ईडी को एक ड्रॉवर से करीब दो लाख मिले थे. ईडी को जानकारी मिली है कि झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग में भ्रष्टाचार और ठेकों से कमीशन के नाम पर उगाही का पैसा संजीव लाल तक पहुंचता था. पैसों की उगाही के लिए वह विभाग के इंजीनियरों व कुछ प्राइवेट लोगों का इस्तेमाल किया करता था. ईडी ने कोर्ट को भी बताया है कि झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के निचले अधिकारियों से लेकर उच्च पदस्थ पदाधिकारियों का नेक्सस इस करप्शन में शामिल हैं. अफसर-नेताओं तक करोड़ों रुपये पहुंचे हैं. इन सभी को काफी बड़ी मात्रा में कैश पैसे पहुंचाये जाने की बात भी शुरुआती जांच में सामने आयी है.

राजनेताओं और अफसरों का कमीशन 1.5 प्रतिशत

ईडी ने जांच में पाया है कि विभागीय ठेकों में कुल 3.2 प्रतिशत की उगाही होती थी. इसमें 1.5 प्रतिशत का कमीशन कट मनी के तौर पर बड़े राजनेता और विभाग के बड़े अधिकारियों तक जाता था. जांच में यह बात सामने आयी है कि संजीव लाल की देखरेख में कमीशन का कलेक्शन प्रभावशाली लोगों तक जाता था. टेंडर मैनेज करने और कमीशन की उगाही तक में इंजीनियरों के सिंडिकेट के साथ मिलकर रकम की उगाही होती थी. इसके बाद तय परसेंटेज सरकार के उच्च पदस्थ लोगों तक पहुंचायी जाती थी. जांच में कुछ आईएएस अधिकारियों व नेताओं की भूमिका बड़े संदिग्ध के तौर पर उभरी है.

तीन माह में जमा किया गया था 35.23 करोड़ कमीशन

ईडी जांच में आये तथ्यों के मुताबिक, जहांगीर के गाड़ीखाना स्थित फ्लैट से जो 31.20 करोड़ बरामद किये गये थे, वह महज तीन माह में जमा किये गये थे. फ्लैट की खरीद भी कुछ माह पूर्व जहांगीर के नाम पर सिर्फ इसलिए की गयी थी, ताकि यहां पैसों को रखा जा सके. मुन्ना सिंह के यहां से बरामद 2.93 करोड़ रुपये भी यहीं शिफ्ट किये जाने थे, लेकिन इससे पहले ईडी की टीम ने छापेमारी कर इन पैसों को बरामद कर लिया.

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