पांचों आदिवासी सीटों पर हेमंत की गिरफ्तारी का गुस्सा है : अभियान

Ranchi : लोकतंत्र बचाओ अभियान ने लोकसभा चुनाव में राजनैतिक दलों के रवैये, आयोग की भूमिका और ज़मीनी जनमत को साझा किया. अभियान लोकसभा चुनाव के परिप्रेक्ष्य में पिछले 1.5 साल से राज्य के कोने-कोने में लोगों के बीच तक गया, जन मुद्दों को बारीकी से समझा और चुनावी प्रक्रिया को नज़दीकी से देखा. इस […]

Jun 3, 2024 - 05:30
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पांचों आदिवासी सीटों पर हेमंत की गिरफ्तारी का गुस्सा है : अभियान
पांचों आदिवासी सीटों पर हेमंत की गिरफ्तारी का गुस्सा है : अभियान

Ranchi : लोकतंत्र बचाओ अभियान ने लोकसभा चुनाव में राजनैतिक दलों के रवैये, आयोग की भूमिका और ज़मीनी जनमत को साझा किया. अभियान लोकसभा चुनाव के परिप्रेक्ष्य में पिछले 1.5 साल से राज्य के कोने-कोने में लोगों के बीच तक गया, जन मुद्दों को बारीकी से समझा और चुनावी प्रक्रिया को नज़दीकी से देखा. इस अनुभव को अभियान के अम्बिका यादव, अलोका कुजूर, भरत भूषण चौधरी, एलिना होरो, मंथन और टॉम कावला आदि रविवार को प्रेस मीडिया से साझा किया.

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इंडिया को 7-8 सीटें मिलेगी

प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में इन्होंने बताया कि चुनाव के दौरान राज्य के दौरे से यह साफ है कि मतदाताओं के एक बड़े हिस्से का जनमत मोदी सरकार के विरुद्ध है. खासकर के पांचों आदिवासी सीटों पर. लोगों में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ़्तारी को लेकर व्यापक गुस्सा है. साथ ही, संविधान और लोकतंत्र को खत्म करना, वादों का महज़ जुमला बन जाना, विभिन्न जन अधिकारों को खत्म किया जाना एवं गांव-समाज में धर्म के नाम पर हिंसा व साम्प्रदायिकता में बढ़ोतरी- इनके विरुद्ध भी मतदाता एकजुट दिखें. अभियान का मानना है कि झारखंड में इंडिया गठबंधन को कम से कम 7-8 सीट मिलेंगी.

नरेंद्र मोदी ने नफरत, झूठी बातों का प्रचार और धार्मिक ध्रुर्वीकरण करके वोट मांगे

इन्होंने बताया कि इस बार भाजपा द्वारा पूरे राज्य में वीभत्स और सांप्रदायिक चुनावी अभियान चलाया गया. प्रधानमंत्री समेत शीर्ष नेताओं ने लगातार अपने चुनावी भाषणों में मुसलमानों के विरुद्ध नफरत, झूठी बातों का प्रचार और धार्मिक ध्रुवीकरण कर वोट मांगा. उनके द्वारा आचार संहिता व लोक प्रतिनिधित्व कानून का खुला उल्लंघन किया गया. अभियान के कई शिकायतों के बावजूद न उनके विरुद्ध कार्रवाई हुई और न ही उन्हें यह करने से रोका गया.

इस चुनाव में चुनाव आयोग की भूमिका अत्यंत निंदनीय रही है. आयोग ने अपनी निष्पक्ष भूमिका के विपरीत भाजपा के एजेंट के रूप में काम किया है. भाजपा द्वारा कई प्रकार के उल्लंघन लगातार किये गए. जैसे मतदान केंद्रों के बाहर चुनाव चिन्ह और मोदी फोटो युक्त मतदान पर्ची बांटना. शिकायतों के बावजूद आयोग द्वारा इन्हें रोकने की सक्रियता नहीं दिखाई गयी.

इलेक्शन कमीशन ने भाजपा को खुली छूट देकर लोगों का विश्वास तोड़ा

इन्होंने बताया कि चुनावी भाषणों में झूठ और साम्प्रदायिकता फ़ैलाने के लिए भाजपा को खुली छूट देने के अलावा आयोग ने चुनावी प्रक्रिया पर भी लोगों के विश्वास को तोड़ा है. पहली बार ऐसा हुआ कि आयोग ने मतदान के लगभग दो सप्ताह बाद फाइनल मतदाताओं की संख्या को सार्वजानिक किया. मतदान के अगले दिन जारी किये गए आंकड़ों में कई दिनों बाद बढ़ोतरी की गयी. पूरे देश में एक करोड़ वोट से भी अधिक की बढ़ोतरी की गयी. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद ही चुनाव आयोग ने मतदान किये कुल वोटरों की संख्या सार्वजानिक किया. लेकिन आयोग आज तक इसका कारण साफ रूप से नहीं बताया है. अभियान ने लोकसभाओं के रिटर्निंग अफसरों से मांग किया है कि वे 4 जून से पहले बूथ-वार फॉर्म 17सी (जिसमें मतदान के आंकड़े दर्ज रहते हैं) को सार्वजानिक करें.
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