भारत की 90 फीसदी जनता के पास अपनी मर्जी से खर्च करने की ताकत नहीं, 10 फीसदी लोग चला रहे अर्थव्यवस्था : ब्लूम वेंचर्स

उपभोक्ता बाजार में ब्रांड्स वर्तमान में सस्ते प्रोडक्ट्स के बजाय प्रीमियम उत्पादों पर ध्यान दे रहे हैं. रिपोर्ट कहती है कि देश के अफोर्डेबल रियल एस्टेट सेगमेंट में गिरावट आया है. NewDelhi : भारत 2047 तक विकसित होने का सपना देख रहा है. लेकिन इसी बीच एक रिपोर्ट आयी है कि देश के लगभग 100 […]

Feb 27, 2025 - 17:30
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भारत की 90 फीसदी जनता के पास अपनी मर्जी से खर्च करने की ताकत नहीं, 10 फीसदी लोग चला रहे अर्थव्यवस्था  : ब्लूम वेंचर्स

उपभोक्ता बाजार में ब्रांड्स वर्तमान में सस्ते प्रोडक्ट्स के बजाय प्रीमियम उत्पादों पर ध्यान दे रहे हैं. रिपोर्ट कहती है कि देश के अफोर्डेबल रियल एस्टेट सेगमेंट में गिरावट आया है.

NewDelhi : भारत 2047 तक विकसित होने का सपना देख रहा है. लेकिन इसी बीच एक रिपोर्ट आयी है कि देश के लगभग 100 करोड़ लोग, यानी 90 फीसदी जनता अपनी मर्जी से खर्च करने की ताकत नहीं रखती. अमीर लोग और अमीर होते जा रहे हैं और गरीब और गरीब होते जा रहे हैं. ब्लूम वेंचर्स की इंडस वैली एनुअल रिपोर्ट 2025 सामने आयी है, जिसके अनुसार, भारत की 90 फीसदी आबादी (लगभग 100 करोड़) के पास अतिरिक्त खर्च करने के लिए पैसा ही नहीं है. वह किसी तरह अपना मासिक खर्च पूरा कर रहे हैं. इसी में उनकी कमाई खत्म हो जा रही है.

रिपोर्ट के अनुसार अमीर लोग और अमीर होते रहे हैं

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के 10 फीसदी अमीर लोग ही अर्थव्यवस्था को चला रहे हैं, क्योंकि ये लोग ही सबसे ज्यादा खर्च करते हैं और देश की तरक्की में बड़ा रोल निभाते हैं. यह लगभग 13-14 करोड़ लोगों का समूह है, जो मेक्सिको की कुल आबादी के बराबर है. रिपोर्ट के अनुसार अमीर लोग और अमीर होते रहे हैं, लेकिन देश में अमीरों की कुल संख्या में कोई खास बढ़ोत्तरी दर्ज नहीं हो पा रहा है. हालांकि लगभग 30 करोड़ लोग उभर रहे हैं या आकांक्षी उपभोक्ता की श्रेणी में शुमार किये जाते हैं, लेकिन ये लोग खर्च करने में झिझकते हैं.

देश के अफोर्डेबल रियल एस्टेट सेगमेंट में गिरावट आयी है

रिपोर्ट पर नजर डालें तो भारत के उपभोक्ता बाजार में ब्रांड्स वर्तमान में सस्ते प्रोडक्ट्स के बजाय प्रीमियम उत्पादों पर ध्यान दे रहे हैं. रिपोर्ट कहती है कि देश के अफोर्डेबल रियल एस्टेट सेगमेंट में गिरावट आयी है. यह पांच साल पहले 40प्रतिशत था, लेकिन अब सिर्फ 18फीसदी रह गया है. बता दें कि हाल ही में हुए कोल्डप्ले और एड शीरन के हाउसफुल कॉन्सर्ट्स को एक्सपीरियंस इकोनॉमी के बढ़ते प्रभाव का उदाहरण बताया गया है.

अमीरों के पास बढ़ रहा देश की आय का हिस्सा

डेक्कन हेराल्ड के अनुसार, 1990 में भारत के टॉप 10फीसदी लोगों के पास देश की कुल आय का 34प्रतिशत हिस्सा था और यह 2025 में बढ़कर 57.7फीसदी हो गया है. निचले 50फीसदी लोगों की हिस्सेदारी 22.2प्रतिशत से घटकर 15प्रतिशत रह गयी है.

भारत की खपत चीन से 13 साल पीछे है

हालांकि रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की खपत वृद्धि दर दुनिया की कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से बेहतर है, लेकिन देश अभी भी चीन से 13 साल पीछे चल रहा है. 2023 में भारत की प्रति व्यक्ति खपत 1,493 डॉलर थी, जबकि चीन में यह 2010 में ही 1,597 डॉलर पर पहुंच गयी थी.

बजट में मध्यम वर्ग को राहत दी गयी

इस माह संसद में पेश किये गये बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 12 लाख रुपये तक की आय पर इनकम टैक्स छूट की घोषणा की है. इससे देश के 92फीसदी वेतनभोगी लोगों को टैक्स में राहत मिलेगी. कहा गया है कि इससे उनकी खर्च करने की क्षमता बढ़ सकती है.

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