मनरेगा मजदूरों ने मंत्री के झूठे दावों का पर्दाफाश किया, 5 दिसंबर को होगा प्रदर्शन
Ranchi/Delhi: नरेगा संघर्ष मोर्चा के बैनर तले मनरेगा योजना में काम करने वाले मज़दूरों ने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की. जिसमें मोदी सरकार और केंद्र सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (नरेगा) के लिए बजटीय आवंटन की कमी को उजागर किया. किसान कार्ड को मनमाने ढंग […]
Ranchi/Delhi: नरेगा संघर्ष मोर्चा के बैनर तले मनरेगा योजना में काम करने वाले मज़दूरों ने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की. जिसमें मोदी सरकार और केंद्र सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (नरेगा) के लिए बजटीय आवंटन की कमी को उजागर किया.
किसान कार्ड को मनमाने ढंग से हटाने और मनरेगा के कामकाज पर ग्रामीण विकास मंत्री और राज्य मंत्री (एमओएस) द्वारा किए गए दावों को मज़दूरों ने खारिज कर दिया. राज्य मंत्री चन्द्रशेखर पेम्मासानी के अनुसार, एनडीए सरकार ने मनरेगा बजट में सालाना 20,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की है, जबकि वास्तविकता इसके विपरीत है.
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5-6 दिसंबर को जंतर-मंतर पर होगा धरना
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ ने स्पष्ट किया कि फंड ट्रांसफर ऑर्डर समय पर दिए जाते हैं. लेकिन श्रमिकों के खातों में भुगतान में हफ्तों या महीनों की देरी होती है. झारखंड नरेगा वॉच की अफसाना खातून ने बताया कि कम बजट आवंटन के कारण वेतन भुगतान में समस्याएं आ रही हैं.
मज़दूरों ने मनरेगा मज़दूरी को तत्काल 800 रूपये प्रति दिन करने की मांग करने के साथ-साथ एनएमएमएस और एबीपीएस जैसी तकनीकी हस्तक्षेपों की भी आलोचना की. बिहार से जितेंद्र पासवान ने बताया कि तकनीकी गड़बड़ियों के कारण श्रमिकों को अपने वेतन की प्राप्ति में मुश्किलें आ रही हैं. पश्चिम बंगाल के एक मज़दूर अंबरीश सोरेन ने केंद्र द्वारा राज्य को मनरेगा फंड रोकने की निंदा की और आरोप लगाया कि तीन साल से अधिक समय से कार्य रुका हुआ है और मजदूरी का भुगतान लंबित है.
नरेगा संघर्ष मोर्चा ने 5-6 दिसंबर 2024 को जंतर-मंतर पर दो दिवसीय विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है, जिसमें नागरिकों से मजदूरों के अधिकारों के लिए एकजुट होने की अपील की गई है. उन्होंने कहा कि कम बजटीय आवंटन और मनमाना तकनीकी हस्तक्षेप मिलकर नरेगा को खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं.
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