लोहरदगा: नंदनी डैम में घटा पानी, किसान परेशान
Shakeel Ahmed Lohardaga: अल्प वर्षा की वजह से इस साल फिर नंदनी डैम के सहारे खेती-किसानी करने वाले किसान मुश्किल में हैं. बारिश कम होने से इस साल केवल 19 फीसदी पानी ही भरा है जो पिछले साल से करीब पांच फीसदी कम हैं. नंदनी डैम में किसान इस साल केवल डैम के भरोसे सिंचाई करने […]
Shakeel Ahmed
Lohardaga: अल्प वर्षा की वजह से इस साल फिर नंदनी डैम के सहारे खेती-किसानी करने वाले किसान मुश्किल में हैं. बारिश कम होने से इस साल केवल 19 फीसदी पानी ही भरा है जो पिछले साल से करीब पांच फीसदी कम हैं. नंदनी डैम में किसान इस साल केवल डैम के भरोसे सिंचाई करने वाले किसान मुश्किल में होंगे. क्योंकि दूसरी बार पानी देना ही मुश्किल होगा. डैम से निकले नहर पर काम होने के कारण भी पानी नहर पर बंद है. पानी कमी होने के कारण मछली की उत्पादन में भी भारी कमी आ गई है. बता दें कि नंदनी डैम जिले का सबसे बड़ा डैम है जिले के भंडरा ब्लॉक के करीब 3000 किसान सिंचाई करते हैं. कैरो ब्लॉक के डैम से मिलने वाली फायदा गांवों की संख्या जहां 12 है. वहीं कुछ कुडू ब्लॉक के भी गांवों में ही इस डैम से सिंचाई होती है. इस साल अल्पवर्षा के चलते स्थिति ऐसी नहीं है सीजन में सिंचाई मुश्किल है. किसान नीतीश उरांव, और महमूद अंसारी के मुताबिक दो-तीन साल से बांध के सहारे खेती करने वाले किसानों की हालत पतली है.
वहीं भंडरा से सटकर कैरो प्रखंड की सीमा में आने वाले छोटे-बड़े तालाबों की स्थिति भी बहुत ही खराब है. इस क्षेत्र के अधिकतर तालाब सूख पड़े हैं, जिनमें पानी कम ही नजर आ रहा है. जानकारी के मुताबिक भंडरा तालाब ,पाड़े बांध,मुरली तालाब,अकाशी तालाब, बंडा नदी, उदरंगी बांध खाली पड़े हैं. वहीं कैरो प्रखंड में आने वाले खास कैरो तालाब, सहित कई तालाबों में पानी नहीं है. वहीं भंडरा व कैरो प्रखंड के सीमा पर स्थित नंदनी जलाशय डैम से निकलने वाली तीन नहर आकाशी, बंडा, एडादोन, बिराजपुर, नगड़ा, सुकरहुटु, कैरो, उतका , मकूंदा, नगड़ी, कुम्हरिया, भीठा, ख्वास अम्बवा, नरौली, सिंजो, बारीडीह आदि गांवों का हजारों एकड़ भूमि सिंचित होता है. भंडरा और कैरो प्रखंड के सीमावर्ती इलाके पर स्थित नंदनी जलाशय डैम का फुल भराव 40 फीट है, जिसमें अभी तक मात्र 17 फीट ही पानी भराव हो पाया है. बता दें कि नंदनी जलाशय डैम से सिंचाई का कुल कमांड क्षेत्र 9 हजार हेक्टेयर में फैला हुआ है. यहां पर 3650 हेक्टेयर में सिंचाई होती है.
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