संताल आदिवासियों को समाप्त करने में लगी है सरकार : बाबूलाल
Ranchi : बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर निशाना साधा है. बाबूलाल ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि वर्तमान समय में बांग्लादेशी सीमा से सटे राज्य के कई जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों का नियंत्रण स्थापित हो गया है. हेमंत सरकार घुसपैठियों को फर्जी दस्तावेज और प्रशासनिक संरक्षण देकर संताल […] The post संताल आदिवासियों को समाप्त करने में लगी है सरकार : बाबूलाल appeared first on lagatar.in.
Ranchi : बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर निशाना साधा है. बाबूलाल ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि वर्तमान समय में बांग्लादेशी सीमा से सटे राज्य के कई जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों का नियंत्रण स्थापित हो गया है. हेमंत सरकार घुसपैठियों को फर्जी दस्तावेज और प्रशासनिक संरक्षण देकर संताल आदिवासियों को समाप्त करने में लगी है. बांग्लादेश में संताल आदिवासी समाज की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएं.
सिद्धो कान्हू की प्रतिमा को खंडित करना दुर्भाग्यपूर्ण
बांग्लादेशी उन्मादियों द्वारा दिनाजपुर में संताल विद्रोह के नायक वीर सिद्धो कान्हू की प्रतिमा को खंडित करना दुर्भाग्यपूर्ण है. बांग्लादेशी मुसलमान संताल आदिवासियों की हर पहचान को सोची समझी साजिश के तहत क्रमबद्ध तरीके से मिटा रहे हैं. चाहे झारखंड हो या बांग्लादेश, संताल आदिवासी दोनों जगह बांग्लादेशी मुसलमानों के आतंक से त्रस्त हो चुके हैं. सरकार, ऐसे तत्वों को बढ़ावा देकर आदिवासियों की पहचान मिटाने में सहयोग कर रही है.
तुष्टिकरण और राजनीतिक स्वार्थ के लिए देश का विभाजन कर दिया
बाबूलाल ने एक अन्य पोस्ट में लिखा कि 14 अगस्त 1947 का दिन इतिहास का वह काला अध्याय है, जब तुष्टिकरण और राजनीतिक स्वार्थ के लिए हमारी देश का विभाजन कर दिया गया. विभाजन के कारण हुए सांप्रदायिक दंगों और हिंसा के कारण लाखों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और अपना सबकुछ छोड़ विस्थापित होना पड़ा. देश के बंटवारे के इस असहनीय दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता. वहीं नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने ट्वीट कर कहा कि आज विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के अवसर पर इस त्रासदी में अपने प्राणों की आहुति देने वाले प्रत्येक पुण्यात्माओं को कोटि-कोटि नमन. 1947 में आज ही के दिन देश को बंटवारे का अमानवीय दंश झेलना पड़ा था. भारत का विभाजन अभूतपूर्व मानव विस्थापन और पलायन की एक दर्दनाक कहानी है. इस त्रासदी में अपना सब कुछ खो देने वाले असंख्य लोगों के संघर्ष और बलिदान को राष्ट्र नमन करता है.
14 अगस्त 1947 का दिन इतिहास का वह काला अध्याय है, जब तुष्टिकरण और राजनीतिक स्वार्थ के लिए हमारी देश का विभाजन कर दिया गया।
विभाजन के कारण हुए सांप्रदायिक दंगों और हिंसा के कारण लाखों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और अपना सबकुछ छोड़ विस्थापित होना पड़ा। देश के बंटवारे के इस… pic.twitter.com/ngTMSSQoHx
— Babulal Marandi (@yourBabulal) August 14, 2024
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