हिंडनबर्ग की नयी रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा, सेबी अध्यक्ष माधबी बुच और उनके पति पर लगाये कई गंभीर आरोप

सेबी अध्यक्ष का अडानी समूह से जुड़ी कथित घोटालेबाज कंपनियों से लिंक अमेरिका की रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने दावा किया है कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के अध्यक्ष का नाम अडानी समूह के कथित विवादास्पद घोटाले में विदेशी कंपनियों के साथ जुड़ा हुआ है. रिपोर्ट में सेबी की अध्यक्ष माधबी बुच और […] The post हिंडनबर्ग की नयी रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा, सेबी अध्यक्ष माधबी बुच और उनके पति पर लगाये कई गंभीर आरोप appeared first on lagatar.in.

Aug 11, 2024 - 17:30
 0  2
हिंडनबर्ग की नयी रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा, सेबी अध्यक्ष माधबी बुच और उनके पति पर लगाये कई गंभीर आरोप
  • सेबी अध्यक्ष का अडानी समूह से जुड़ी कथित घोटालेबाज कंपनियों से लिंक

अमेरिका की रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने दावा किया है कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के अध्यक्ष का नाम अडानी समूह के कथित विवादास्पद घोटाले में विदेशी कंपनियों के साथ जुड़ा हुआ है. रिपोर्ट में सेबी की अध्यक्ष माधबी बुच और उनके पति धवल बुच का कथित अडानी घोटाले से जुड़ी विदेशी कंपनियों से लिंक बताया गया है. अडानी और सेबी की चेयरपर्सन को लेकर किये हिंडनबर्ग के इस नये खुलासे ने भारत में एक नया विवादास्पद मुद्दा शुरू कर दिया है. इस खुलासे ने पूरे वित्तीय समुदाय को चौंका दिया है. हालांकि, इस रिपोर्ट की सच्चाई की लगातार न्यूज नेटवर्क पुष्टि नहीं करता है.

Lagatar News Network :  अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार को बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधबी बुच के खिलाफ एक नया हमला किया है. हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि सेबी की अध्यक्ष बुच और उनके पति के पास कथित अडानी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी. हिंडनबर्ग ने अडानी पर अपनी पिछली रिपोर्ट के 18 महीने बाद एक ब्लॉगपोस्ट में आरोप लगाया, सेबी ने अडानी के मॉरीशस और ऑफशोर शेल संस्थाओं के कथित अघोषित जाल में आश्चर्यजनक रूप से रुचि नहीं दिखाई है. शॉर्ट-सेलर ने (मामले से पर्दा उठाने वाले) व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा कि सेबी की वर्तमान प्रमुख माधबी बुच और उनके पति धवल बुच के पास अडानी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी. कथित तौर पर समूह के चेयरमैन गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी अस्पष्ट ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंडों को नियंत्रित करते थे. हिंडनबर्ग का आरोप है कि इन फंडों का इस्तेमाल धन की हेराफेरी करने और समूह के शेयरों की कीमत बढ़ाने के लिए किया गया था. हिंडनबर्ग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा, आईआईएफएल में एक प्रधान के हस्ताक्षर वाले फंड की घोषणा में कहा गया है कि निवेश का स्रोत वेतन है और दंपती की कुल संपत्ति एक करोड़ अमेरिकी डॉलर आंकी गयी है. रिपोर्ट में आगे आरोप लगाया गया है, दस्तावेजों से पता चलता है कि हजारों मुख्यधारा के प्रतिष्ठित भारतीय म्यूचुअल फंड उत्पादों के होने के बावजूद, एक उद्योग जिसका अब वह विनियमन करने के लिए जिम्मेदार है, सेबी की चेयरपर्सन माधवी बुच और उनके पति के पास अल्प परिसंपत्तियों के साथ एक बहुस्तरीय ऑफशोर फंड संरचना में हिस्सेदारी थी. रिपोर्ट में भारत के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला भी दिया, जिसमें यह कहा गया था कि सेबी इस बात की जांच में खाली हाथ रहा कि अडानी के कथित ऑफशोर शेयरधारकों को किसने वित्तपोषित किया. हालांकि, सेबी की ओर से इस पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है.

माधबी बुच की कुल संपत्ति 10 मिलियन डाॅलर!

हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने पांच जून, 2015 को सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड-1 के साथ अपना खाता खोला. व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों के अनुसार, फंड्स के स्रोत की घोषणा ‘वेतन’ के रूप में की गई थी और इस दंपती की कुल संपत्ति लगभग 10 मिलियन डॉलर आंकी गई है. इस खुलासे ने वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं. इस रिपोर्ट में विशेष रूप से उल्लेख किया गया है कि ये विदेशी कंपनियां बरमूडा और मॉरीशस की अज्ञात फंड्स के रूप में सामने आई हैं, जो विनोद अडानी के लेनदेन में उपयोग की गई थीं.

सेबी अध्यक्ष की विदेशी कंपनियों में हिस्सेदारी सार्वजनिक

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, सेबी अध्यक्ष की विदेशी कंपनियों में हिस्सेदारी से संबंधित विवरण पहली बार सार्वजनिक किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ये कंपनियां अडानी समूह की उन कंपनियों से जुड़ी थीं, जिन पर फंड की मनी लॉन्ड्रिंग और वित्तीय अनियमितताएं के कई गंभीर आरोप लगे हैं. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि हमने पहले भी अडानी समूह के आत्मविश्वास को देखा है, जो गंभीर नियामक हस्तक्षेप के बिना संचालन जारी रखने का संकेत देता है. यह स्थिति सेबी की चेयरपर्सन माधबी बुच के साथ अडानी समूह के संबंधों के माध्यम से समझी जा सकती है.

माधबी पुरी बुच ने पति को ट्रांसफर किए अपने शेयर

हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने आरोपों में कहा है कि अप्रैल 2017 से लेकर मार्च 2022 के दौरान माधबी पुरी बुच सेबी की होलटाइम मेंबर होने के साथ चेयरपर्सन थीं. उनका सिंगापुर में अगोरा पार्टनर्स नाम से कंसलटिंग फर्म में 100 फीसदी स्टेक था. वहीं 16 मार्च 2022 को सेबी के चेयरपर्सन पद पर नियुक्ति किए जाने से दो हफ्ते पहले उन्होंने कंपनी में अपने शेयर्स अपने पति धवल बुच के नाम ट्रांसफर कर दिए थे.

हिंडनबर्ग ने पिछले साल अडानी समूह को दिया था झटका

बता दें कि पिछले साल ही हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी कर अडानी समूह को तगड़ा झटका दिया था. जनवरी 2023 में अडानी समूह के खिलाफ आई रिपोर्ट ने हड़कंप मचा दिया था. हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर कई गंभीर आरोप लगाए थे. हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के आते ही अडानी ग्रुप के सभी शेयरों में तगड़ी गिरावट हुई थी और गौतम अडानी दुनिया के नंबर दो अरबपति बनने के बाद सीधे 36वें पायदान पर खिसक गए थे.

हिंडनबर्ग को पूर्व में कारण बताओ नोटिस भेजा चुकी है सेबी

हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि 27 जून 2024 को सेबी ने हमें कारण बताओ नोटिस भेजा था. सेबी ने 106-पृष्ठ के विश्लेषण में किसी भी तथ्यात्मक त्रुटि का आरोप नहीं लगाया, बल्कि इसके बजाय दावा किया कि हमारी शॉर्ट पोजीशन के बारे में खुलासा, जिसका हमने बार-बार खुलासा किया, अपर्याप्त था. सेबी की ओर से यह तर्क देते हुए स्पष्टीकरण मांगा गया कि हमें और भी अधिक मजबूत खुलासा प्रदान करना चाहिए था.

18 महीने से सेबी ने नहीं की कार्रवाई : हिंडनबर्ग

हिंडनबर्ग रिसर्च के अनुसार अडानी समूह पर हमारी मूल रिपोर्ट को लगभग 18 महीने हो चुके हैं, जिसमें इस बात के भारी सबूत पेश किए गए थे कि भारतीय समूह कॉर्पोरेट इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला कर रहा था. सबूतों के बावजूद, साथ ही 40 से अधिक स्वतंत्र मीडिया जांचों ने हमारे मूल काम की पुष्टि और विस्तार किया. फिर भी सेबी ने अडानी समूह के खिलाफ अब तक कोई सार्वजनिक कार्रवाई नहीं की.

संस्था की साख पर पड़ सकता है नकरात्मक प्रभाव

सेबी भारत का प्रमुख नियामक निकाय है, जिसका मुख्य उद्देश्य शेयर बाजार की गतिविधियों की निगरानी और निवेशकों के अधिकारों की सुरक्षा करना है. ऐसे में अगर इसके अध्यक्ष पर आरोप लगते हैं कि उन्होंने घोटाले में शामिल कंपनियों में निवेश किया है, तो यह न केवल संस्था की साख को प्रभावित करता है, बल्कि निवेशकों के विश्वास को भी हिला सकता है. इस खुलासे ने सेबी की पारदर्शिता और इसकी स्वतंत्रता पर सवाल उठाए हैं. यदि इन आरोपों की पुष्टि हो जाती है, तो यह न केवल सेबी की साख को प्रभावित करेगा, बल्कि भारतीय वित्तीय प्रणाली पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.

विपक्षी दल और आलोचकों की ओर जांच की मांग शुरू

इस बीच विपक्षी दल और आलोचक अब सेबी की भूमिका की जांच की मांग कर रहे हैं. इस मामले पर प्रतिक्रियाएं तेज हो गई हैं. भारतीय मीडिया और राजनीतिक हलकों में इस विवाद को लेकर गंभीर चर्चा भी शुरू होने की उम्मीद है. साथ ही वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता की दिशा में एक नई बहस छिड़ गई है. आने वाले दिनों में इस मामले की जांच और सेबी की भूमिका पर अधिक स्पष्टता मिलने की उम्मीद है, जिससे भारतीय वित्तीय नियामक प्रणाली की विश्वसनीयता की रक्षा की जा सके.

क्या है हिंडनबर्ग रिसर्च?

हिंडनबर्ग रिसर्च अमेरिका की एक फोरेंसिक वित्तीय अनुसंधान कंपनी है. इसकी स्थापना साल 2017 में नाथन एंडरसन ने की थी. इस कंपनी का काम इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव्स का विश्लेषण करना है. यह किसी भी कंपनी में हो रही गड़बड़ी का पता लगाती है. इसके बाद उस कंपनी और गड़बड़ी की रिपोर्ट प्रकाशित करती है.

The post हिंडनबर्ग की नयी रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा, सेबी अध्यक्ष माधबी बुच और उनके पति पर लगाये कई गंभीर आरोप appeared first on lagatar.in.

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow