CAIT ने श्वेत पत्र जारी किया, क्विक कॉमर्स कंपनियां देश के तीन करोड़ किराना स्टोर्स पर खतरा

New Delhi : कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स कैट (CAIT) ने एक श्वेत पत्र जारी किया है. CAIT ने ब्लिंकिट, इंस्टामार्ट, जेप्टो, स्विगी जैसे क्विक कॉमर्स (QC) प्लेटफॉर्म्स की कार्यप्रणाली पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. बता दें कि यह दुकानदारों का संगठन है. कैट ने इन सभी प्लेटफॉर्म्स पर आरोप लगाया है कि ये […] The post CAIT ने श्वेत पत्र जारी किया, क्विक कॉमर्स कंपनियां देश के तीन करोड़ किराना स्टोर्स पर खतरा appeared first on lagatar.in.

Nov 14, 2024 - 05:30
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CAIT ने श्वेत पत्र जारी किया, क्विक कॉमर्स कंपनियां देश के तीन करोड़ किराना स्टोर्स पर खतरा

New Delhi : कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स कैट (CAIT) ने एक श्वेत पत्र जारी किया है. CAIT ने ब्लिंकिट, इंस्टामार्ट, जेप्टो, स्विगी जैसे क्विक कॉमर्स (QC) प्लेटफॉर्म्स की कार्यप्रणाली पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. बता दें कि यह दुकानदारों का संगठन है. कैट ने इन सभी प्लेटफॉर्म्स पर आरोप लगाया है कि ये सभी भारत की खुदरा अर्थव्यवस्था की नींव को कमजोर कर रहे हैं.

ये प्लेटफार्म्स सप्लायर्स पर नियंत्रण के लिए एफडीआई का दुरुपयोग कर रहे हैं

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री और चांदनी चौक के भाजपा के सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने आरोप लगाया है कि ये प्लेटफार्म्स सप्लायर्स पर नियंत्रण, इन्वेंटरी पर प्रभुत्व और अनुचित मूल्य निर्धारण के लिए एफडीआई का दुरुपयोग कर रहे हैं. कहा कि यह रणनीति एक असमान बाजार बनाती हैं, जिसके कारण तीन करोड़ किराना स्टोर्स का टिक पाना लगभग असंभव सा दिख रहा है. ये प्लेटफॉर्म एक रणनीति के तहत छोटे खुदरा विक्रेताओं को बाजार से बाहर धकेलने के काम कर में लगे हुए हैं.

क्विक कॉमर्स कंपनियां एफडीआई नीति का उल्लंघन कर रही हैं

श्वेत पत्र में आरोप लगाया गया है कि क्विक कॉमर्स कंपनियां एफडीआई नीति और भारत के प्रतिस्पर्धा कानून का उल्लंघन कर रही हैं. पारदर्शिता की कमी छोटे व्यवसायों को नुकसान पहुंचा रही है. इससे संपूर्ण खुदरा ईकोसिस्टम विकृत हो रहा हैं खबर है कि कैट ने रेगुलेटरी संस्थाओं से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है, जिससे ताकि क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म नियमों का पालन करें. जिससे छोटे व्यापारियों के हितों की रक्षा की जा सकेगी.

कॉमर्स (QC) प्लेटफॉर्म्स में Rs 54,000 करोड़ से अधिक का एफडीआई

कैट का कहना है कि क्विक कॉमर्स (QC) प्लेटफॉर्म्स में Rs 54,000 करोड़ से अधिक का एफडीआई है. इस निवेश का उपयोग न तो बुनियादी ढांचा निर्माण में किया गया और न ही दीर्घकालिक परिसंपत्तियों में. इसका उपयोग संचालन में होने वाले घाटे को कवर करने, आपूर्ति श्रृंखला पर नियंत्रण रखने और कुछ चुनिंदा विक्रेताओं के माध्यम से अनुचित छूट की पेशकश के लिए किया जा रहा है.

प्रवीन खंडेलवाल के अनुसार इस रणनीति ने QC प्लेटफॉर्म्स को उस बड़े बाजार का हिस्सा कब्जाने में मदद की है, जो पहले किराना स्टोर्स के पास था. यह छोटे खुदरा विक्रेताओं के लिए अस्तित्व का संकट पैदा कर रहा है. जान लें कि कैट ने QC प्लेटफॉर्म्स को जवाबदेह बनाने के लिए तत्काल नियामक हस्तक्षेप की मांग की है. आरोप है है कि विदेशी पूंजी द्वारा संचालित इन प्लेटफॉर्म्स की अनियंत्रित वृद्धि भारत के छोटे खुदरा ईकोसिस्टम के लिए एक बड़ा खतरा है.

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