Ghatshila : मानसिक व शारीरिक विकास में बाधक है कुपोषण – डॉ. सोरेन
Ghatshila (Rajesh Chowbey) : अनुमंडल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ आर एन सोरेन ने शनिवार को यहां विशेष बातचीत में कहा कि बच्चे कुपोषित रहेंगे तो उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर भी काफी असर पड़ेगा. इसलिए लोगों को जागरूक होना होगा और कुपोषित बच्चों का उचित इलाज कराना जरूरी है. घाटशिला अनुमंडल अस्पताल […] The post Ghatshila : मानसिक व शारीरिक विकास में बाधक है कुपोषण – डॉ. सोरेन appeared first on lagatar.in.
Ghatshila (Rajesh Chowbey) : अनुमंडल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ आर एन सोरेन ने शनिवार को यहां विशेष बातचीत में कहा कि बच्चे कुपोषित रहेंगे तो उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर भी काफी असर पड़ेगा. इसलिए लोगों को जागरूक होना होगा और कुपोषित बच्चों का उचित इलाज कराना जरूरी है. घाटशिला अनुमंडल अस्पताल में वर्ष 2009 से एमटीसी सेंटर चल रहा है. यहां प्रत्येक महीने 150-200 कुपोषित बच्चों का उचित इलाज किया जा रहा है.
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डॉ. सोरेन ने बताया कि 0 से 5 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों का बेहतर से बेहतर इलाज करने का लक्ष्य रखा गया है. बच्चों का आवश्यक दवाएं एवं पोषण युक्त आहार की निशुल्क व्यवस्था की गई है. इतना ही नहीं कुपोषित सेंटर में बच्चे की मां को प्रत्येक दिन 130 रुपया पारिश्रमिक दिया जाता है. जबकि एक कुपोषित बच्चों को केंद्र तक लाने के लिए सहिया को 300 रुपया दिया जाता है.
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उन्होंने कहा कि कुपोषित बच्चों का उसके उम्र के हिसाब से लंबाई एवं वजन देखकर इलाज किया जाता है. भौमराडीह गांव से 14 माह के रूपाली हेंब्रम को अनुमंडल अस्पताल में 4 जुलाई को भर्ती कराया गया. उस समय उसका वजन 7 किलो 200 ग्राम था जबकि 8 किलो 280 ग्राम होना चाहिए था. 23 जुलाई को छुट्टी के समय उसका वजन 8 किलो 300 ग्राम था. 15 दिन इलाज के बाद उसे छुट्टी दी गई. इसी तरह कई बच्चों का इलाज चल रहा है. वर्तमान में 21 बच्चे भर्ती हैं जबकि इस सेंटर में मात्र 15 बेड हैंं. अस्पताल की ओर से अतिरिक्त बेड की व्यवस्था की गई है.
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वर्ष 2018 में कुल 147 बच्चे
वर्ष 2019 में कुल 187 बच्चे
वर्ष 2020 में कुल 063 बच्चे
वर्ष 2021 में कुल 188 बच्चे
वर्ष 2022 में कुल 258 बच्चे
वर्ष 2023 में कुल 224 बच्चे
वर्ष 2024 में अब तक 125 बच्चे इलाजरत हैं.
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