Hindenburg Report : छिड़ा सियासी घमासान, विपक्ष ने संयुक्त संसदीय समिति गठित कर जांच की मांग की

NewDelhi :  अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट आने के बाद  सियासी घमासान छिड़ गया है. हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है और इस मामले की जांच की मांग की है. विपक्षी दल ने देश के शीर्ष अधिकारियों की कथित मिलीभगत का पता लगाने और ‘घोटाले’ की […] The post Hindenburg Report : छिड़ा सियासी घमासान, विपक्ष ने संयुक्त संसदीय समिति गठित कर जांच की मांग की appeared first on lagatar.in.

Aug 11, 2024 - 17:30
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Hindenburg Report : छिड़ा सियासी घमासान, विपक्ष ने संयुक्त संसदीय समिति गठित कर जांच की मांग की

NewDelhi :  अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट आने के बाद  सियासी घमासान छिड़ गया है. हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है और इस मामले की जांच की मांग की है. विपक्षी दल ने देश के शीर्ष अधिकारियों की कथित मिलीभगत का पता लगाने और ‘घोटाले’ की पूरी जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की भी मांग की है. वहीं कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी शनिवार रात को  कांग्रेस की ओर से एक बयान जारी कर हमला बोला है. जयराम रमेश ने कहा कि अडानी मेगास्कैम की जांच करने के लिए सेबी की अजीब अनिच्छा लंबे समय से देखी जा रही थी. खासकर सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति की ओर से.. उस समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि सेबी ने 2018 में विदेशी फंडों के अंतिम लाभकारी (यानी वास्तविक) स्वामित्व से संबंधित रिपोर्टिंग आवश्यकताओं को कमजोर कर दिया था और 2019 में पूरी तरह से हटा दिया था.

महुआ मोइत्रा ने भी की जांच की मांग

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि असली अडानी शैली में, सेबी अध्यक्ष भी उनके समूह में एक निवेशक हैं. क्रोनी कैपिटलिज्म अपने चरम पर है. मोइत्रा ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) से कथित मनी लॉन्ड्रिंग की जांच करने की मांग की है.

कथित अडानी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किये गये अस्पष्ट ऑफशोर फंड में माधबी और धवल बुच की थी हिस्सेदारी 

बता दें कि हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर अपनी पिछली रिपोर्ट के 18 महीने बाद 10 अगस्त की देर रात अपनी एक नयी रिपोर्ट जारी की. जारी रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों” का हवाला देते आरोप लगाया कि सेबी की अध्यक्ष माधबी बुच और उनके पति धवल बुच के पास कथित अडानी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किये गये अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी. आरोप लगाया कि सेबी ने अडानी के मॉरीशस और ऑफशोर शेल संस्थाओं के कथित अघोषित जाल में आश्चर्यजनक रूप से रुचि नहीं दिखाई है. कथित तौर पर समूह के चेयरमैन गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी अस्पष्ट विदेशी कोष बरमूडा और मॉरीशस कोषों को नियंत्रित करते थे. हिंडनबर्ग का आरोप है कि इन कोषों का इस्तेमाल धन की हेराफेरी करने और समूह के शेयरों की कीमत बढ़ाने के लिए किया गया था. रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2017 से मार्च 2022 तक बुच की अगोरा पार्टनर्स नामक एक ऑफशोर सिंगापुर की कंसल्टिंग फर्म में 100 फीसदी हिस्सेदारी थी. 16 मार्च, 2022 को सेबी चेयरपर्सन के रूप में उनकी नियुक्ति के दो सप्ताह बाद उन्होंने चुपचाप अपने पति को शेयर ट्रांसफर कर दिये. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अडानी समूह के खिलाफ जांच करने में सेबी की “निष्पक्षता” “संभावित हितों के टकराव” के कारण ‘संदिग्ध’ है.

गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी बरमूडा और मॉरीशस फंड को करते थे नियंत्रित 

हिंडनबर्ग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा, आईआईएफएल में एक प्रधान के हस्ताक्षर वाले फंड की घोषणा में कहा गया है कि निवेश का स्रोत वेतन है और दंपती की कुल संपत्ति एक करोड़ अमेरिकी डॉलर आंकी गयी है. रिपोर्ट में आगे आरोप लगाया गया है, दस्तावेजों से पता चलता है कि हजारों मुख्यधारा के प्रतिष्ठित भारतीय म्यूचुअल फंड उत्पादों के होने के बावजूद, सेबी की चेयरपर्सन माधबी बुच और उनके पति के पास कम परिसंपत्तियों के साथ एक बहुस्तरीय विदेशी कोष में हिस्सेदारी ली थी. हिंडनबर्ग ने कहा कि इनकी परिसंपत्तियां उच्च जोखिम वाले अधिकार क्षेत्र से होकर गुजरती थीं. इसकी देखरेख घोटाले से कथित तौर पर जुड़ी एक कंपनी करती थी. यह वही इकाई है, जिसे अडानी के निदेशक चलाते थे और विनोद अडानी ने कथित अडानी नकदी हेरफेर घोटाले में महत्वपूर्ण रूप से उपयोग किया था. (ऐसे फंड जो विदेशी बाजारों में निवेश करते हैं, उन्हें ऑफशोर फंड कहते हैं. इन्हें विदेशी कोष भी कहते हैं)

माधाबी को सेबी चेयरपर्सन चुने जाने से पहले धवल बुच ने मॉरीशस फंड प्रशासक ट्राइडेंट ट्रस्ट को लिखा था ईमेल 

रिपोर्ट में उच्चतम न्यायाल के आदेश का हवाला भी दिया गया है. जिसमें यह कहा गया था कि सेबी इस बात की जांच में खाली हाथ रहा कि अडानी के कथित विदेशी शेयरधारकों को किसने वित्तपोषित किया. हिंडनबर्ग ने कहा कि अगर सेबी वास्तव में विदेशी कोष धारकों को ढूंढना चाहता था, तो शायद सेबी चेयरपर्सन खुद को आईने में देखकर इसकी शुरुआत कर सकती थीं. इसमें कहा गया कि हमें यह आश्चर्यजनक नहीं लगता कि सेबी उस मामले का पीछा नहीं करना चाहता था, जो उसके अपने प्रमुख तक जाता था. मौजूदा सेबी चेयरपर्सन और उनके पति धवल बुच ने उसी अस्पष्ट विदेशी कोष बरमूडा और मॉरीशस फंड में अपनी हिस्सेदारी छिपाई, जो विनोद अडानी द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले एक ही जटिल ढांचे में पाये गये थे. रिपोर्ट के मुताबिक एक ‘व्हिसलब्लोअर’ से प्राप्त दस्तावेजों से पता चलता है कि 22 मार्च, 2017 को बुच को सेबी चेयरपर्सन नियुक्त किये जाने से कुछ ही हफ्ते पहले धवल बुच ने मॉरीशस फंड प्रशासक ट्राइडेंट ट्रस्ट को ईमेल लिखा था. यह ईमेल ग्लोबल डायनेमिक ऑपर्च्युनिटीज फंड (जीडीओएफ) में उनके और उनकी पत्नी के निवेश के बारे में था.

अडानी समूह पर ‘खुल्लम-खुल्ला शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी’ करने का लगाया था आरोप

इससे पहले जनवरी में हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया था कि अडानी समूह ‘खुल्लम-खुल्ला शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है. हालांकि, समूह ने इस आरोप को पूरी तरह से बेबुनियाद बताया था. उसने कहा कि यह कुछ और नहीं बल्कि उसकी शेयर बिक्री को नुकसान पहुंचाने के गलत इरादे से किया गया है. उस समय अडानी समूह की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज 20,000 करोड़ रुपये का अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) लाने की तैयारी कर रही थी. समूह ने कहा था कि रिपोर्ट कुछ और नहीं बल्कि चुनिंदा गलत और निराधार सूचनाओं को लेकर तैयार की गयी है और जिसका मकसद पूरी तरीके से दुर्भावनापूर्ण है. जिन बातों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गयी है, उसे भारत की अदालतें भी खारिज कर चुकी हैं. रिपोर्ट के बाद अदाणी समूह के शेयर लुढ़क गये थे, हालांकि बाद में यह नुकसान से उबरने में कामयाब रहा.

अडानी ग्रुप के शेयर्स 85% ओवरवैल्यूड-हिंडनबर्ग

बता दें अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने 25 जनवरी 2023 को देश के दूसरे सबसे अमीर इंसान गौतम अडानी की कंपनी अडानी ग्रुप को लेकर  30000 से अधिक शब्दों की एक रिपोर्ट जारी की थी. जिसमें 80 से अधिक सवालों के जवाब अडाणी ग्रुप से मांगे गये थे. रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की कंपनियों की शेयर वैल्यू कंपनियों को वास्तविक वैल्यू से 85 प्रतिशत तक अधिक बताया गया था. अपनी रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने बताया था कि अडानी ग्रुप ने इसके लिए अलग-अलग तरह के नाजायज तरीकों को अपनाया. साथ ही रिपोर्ट में कहा गया था कि ग्रुप की सभी प्रमुख लिस्टेड कंपनियों पर काफी ज्यादा कर्ज है.

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद ताश की पत्तों की तरह गिरे थे शेयर

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप के सभी शेयरों में भारी गिरावट आयी थी. रिपोर्ट के कारण कंपनी के वैल्‍यूवेशन भी तेजी से गिरे थे. अडानी ग्रुप की वैल्‍यूवेशन कुछ ही दिनों में 86 अरब डॉलर तक घट गयी थी. रिपोर्ट आने से पहले गौतम अडानी दुनिया के टॉप-5 अमीरों की लिस्ट में शामिल थे. लेकिन रिपोर्ट आने के कुछ दिन बाद ही उनकी नेटवर्थ आधी हो गयी थी. इसकी वजह से अडानी दुनिया के टॉप-25 रईसों की लिस्ट से भी बाहर हो गये थे. हालांकि सालभर के अंदर गौतम अडानी की कंपनी ने रिकवरी की. साथ ही अडानी की नेटवर्थ भी इजाफा हुआ है.  फिलहाल वह भारत के दूसरे सबसे अमीर और दुनिया के टॉप-15 रईसों में शामिल हैं.

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