एलएसी पर शांति और स्थिरता हमारी प्राथमिकताः पीएम मोदी
Kazan: पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बुधवार को रूस में के कजान ब्रिक्सा शिखर सम्मेलन के दौरान अपनी पहली द्विपक्षीय बैठक की, जो पिछले पांच सालों बाद हुई है. ये बैठक करीब 50 मिनट तक चली है. यह बैठक उस वक्त हुई है, जब भारत और चीन ने देपसांग मैदानी क्षेत्र और […] The post एलएसी पर शांति और स्थिरता हमारी प्राथमिकताः पीएम मोदी appeared first on lagatar.in.

Kazan: पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बुधवार को रूस में के कजान ब्रिक्सा शिखर सम्मेलन के दौरान अपनी पहली द्विपक्षीय बैठक की, जो पिछले पांच सालों बाद हुई है. ये बैठक करीब 50 मिनट तक चली है. यह बैठक उस वक्त हुई है, जब भारत और चीन ने देपसांग मैदानी क्षेत्र और डोमचाक क्षेत्र में एक-दूसरे को गश्त करने के अधिकार बहाल करने पर सहमति जताई है. यह पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के संघर्ष को सुलझाने की कोशिशों को दिखाता है. द्विपक्षीय बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए हमारी बैठक अहम है. सीमा पर सहमति का स्वागत है. मुझे विश्वास है कि हम खुले मन से बातचीत करेंगे और हमारी चर्चा कंस्ट्रक्टिव होगी.
मोदी और जिनपिंग में 2019 में द्विपक्षीय मुलाकात हुई थी
बैठक में पीएम मोदी ने भारत-चीन संबंधों के महत्व को स्वीकार किया. हमारा मानना है कि भारत-चीन संबंध न केवल हमारे लोगों के लिए, बल्कि वैश्विक शांति, स्थिरता और प्रगति के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं. मीटिंग के दौरान दोनों नेताओं ने सहमति व्यक्त की कि भारत-चीन सीमा के सवाल पर विशेष प्रतिनिधि सीमा क्षेत्रों में शांति और सौहार्द के प्रबंधन की देखरेख करेंगे. साथ ही इस मुद्दे का निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान तलाशने के लिए जल्द ही बैठक करेंगे. दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि दो पड़ोसी और दुनिया के दो सबसे बड़े राष्ट्रों के रूप में भारत और चीन के बीच स्थिर, पूर्वानुमानित और सौहार्दपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों का क्षेत्रीय वैश्विक शांति और समृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. यह मल्टीपोलर एशिया और मल्टीपोलर वर्ल्ड में भी योगदान देगा. इससे पहले मोदी और जिनपिंग के बीच आखिरी बार 2019 में द्विपक्षीय मुलाकात हुई थी.
2020 में गलवान झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे
फिर 2020 में गलवान झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हो गए. हालांकि, मोदी और जिनपिंग के बीच आखिरी बार 2022 में इंडोनेशिया के बाली में जी20 समिट के दौरान मुलाकात हुई थी. पिछले साल साउथ अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में हुई ब्रिक्स समिट में दोनों नेता मिले थे. लेकिन दोनों के बीच द्विपक्षीय बातचीत नहीं हुई थी. जिनपिंग से मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने कहा कि आपसे मिलकर खुशी हुई. हमारा मानना है कि भारत और चीन के संबंधों का महत्व केवल हमारे लोगों के लिए ही नहीं है. वैश्विक शांति-स्थिरता और प्रगति के लिए भी हमारे संबंध बहुत अहम हैं. पीएम मोदी ने कहा कि हमारे बाउंड्री रिलेटेड मेटर का असर हम शांति और स्थिरता पर नहीं पड़ने देना चाहते. दोनों नेताओं ने कहा कि भारत-चीन के स्पेशल रिप्रजेंटिव ने क्रूशियल रोल अदा किया बाउंड्री के सवाल पर. उन्होंने स्पेशल रिप्रजेंटेटिव से फिर जल्दी मिलने को कहा है. भारत की तरफ से स्पेशल रिप्रजेंटेटिव एनएसए अजीत डोभाल हैं.
कम्युनिकेशन और को-ऑपरेशन जरूरी: जिनपिंग
वहीं, शी जिनपिंग ने कहा, दोनों पक्षों के लिए ज्यादा कम्युनिकेशन और सहयोग करना, हमारे मतभेदों और असहमतियों को उचित रूप से संभालना और एक-दूसरे की विकास आकांक्षाओं को पूरा करने में सुविधा प्रदान करना महत्वपूर्ण है. दोनों पक्षों के लिए हमारी अंतरराष्ट्रीय ज़िम्मेदारी निभाना, विकासशील देशों की ताकत और एकता को बढ़ावा देने के लिए एक उदाहरण स्थापित करना जरूरी है. हम अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बहु-ध्रुवीकरण और लोकतंत्र को बढ़ावा देने में योगदान देना चाहते हैं.
जिनपिंग से मुलाकात के बाद पीएम मोदी का ट्वीट
चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग के साथ पीएम मोदी की द्विपक्षीय मुलाकात हुई. इस संबंध में पीएम नरेंद्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया. उन्होंने कहा, कजान ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की. भारत-चीन संबंध हमारे देशों के लोगों और क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं. आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता द्विपक्षीय संबंधों का मार्गदर्शन करेगी.
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