कांग्रेस का पीएम मोदी से सवाल, 20,000 करोड़ खर्च करने के बाद भी गंगा अधिक मैली क्यों?
New Delhi : कांग्रेस ने वाराणसी संसदीय क्षेत्र से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नामांकन की पृष्ठभूमि में आज मंगलवार को शहर से जुड़े कुछ मुद्दों को लेकर उन पर निशाना साधा. सवाल किया कि 20,000 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद गंगा नदी पहले से अधिक मैली क्यों हो गयी? प्रधानमंत्री मोदी ने आज […]
New Delhi : कांग्रेस ने वाराणसी संसदीय क्षेत्र से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नामांकन की पृष्ठभूमि में आज मंगलवार को शहर से जुड़े कुछ मुद्दों को लेकर उन पर निशाना साधा. सवाल किया कि 20,000 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद गंगा नदी पहले से अधिक मैली क्यों हो गयी? प्रधानमंत्री मोदी ने आज वाराणसी संसदीय क्षेत्र से अपना नामांकन दाखिल किया. वह भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर लगातार तीसरी बार इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
Before he files his nomination, the outgoing PM must answer for his failures in Varanasi. Today’s questions:
1. After spending Rs 20,000 crore, why has the Ganga gotten dirtier?
2. Why has the PM abandoned the Varanasi villages he had “adopted”?
3. Why is the PM determined… pic.twitter.com/2PBEhkjQhz
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) May 14, 2024
पीएम वाराणसी में महात्मा गांधी की विरासत को नष्ट करने पर क्यों तुले हुए हैं?
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट किया, निवर्तमान प्रधानमंत्री को वाराणसी में अपनी विफलताओं पर जवाब देना चाहिए. 20,000 करोड़ रुपए ख़र्च करने के बाद गंगा और भी अधिक मैली क्यों हो गयी है? प्रधानमंत्री ने वाराणसी के उन गांवों को उनके हाल पर क्यों छोड़ दिया, जिन्हें उन्होंने गोद लिया था? प्रधानमंत्री वाराणसी में महात्मा गांधी की विरासत को नष्ट करने पर क्यों तुले हुए हैं? उन्होंने कहा, 2014 में जब मोदी वाराणसी आये थे तब उन्होंने कहा था कि मुझे मां गंगा ने बुलाया है. उन्होंने पवित्र गंगा को साफ करने का वादा किया. सत्ता में आने के तुरंत बाद, उन्होंने पहले से चल रहे मिशन गंगा को नमामि गंगे नाम दिया. प्रधानमंत्री मोदी ने गंगा के प्राकृतिक प्रवाह को बहाल करने के उद्देश्य को पूरी तरह से त्याग दिया है.
प्रधानमंत्री ने पहले राष्ट्रीय गंगा नदी परिषद का नाम दिया
रमेश ने कहा, मनमोहन सिंह सरकार ने गंगा पर राज्य और केंद्र सरकार की पहल के समन्वय के लिए 2009 में राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की स्थापना की थी. इस महत्वपूर्ण संस्थान को भी प्रधानमंत्री ने पहले राष्ट्रीय गंगा नदी परिषद का नाम दिया और फ़िर 10 वर्षों के लिए इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. कांग्रेस महासचिव ने कहा, अंत में सात आईआईटी का एक संघ साथ आया और गंगा नदी बेसिन की सुरक्षा और कायाकल्प के लिए एक गंगा नदी बेसिन कार्य योजना की सिफ़ारिश की.
20,000 करोड़ खर्च किये गये, बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन सामने आया
उन्होंने दावा किया कि कई खंडों की अंतिम रिपोर्ट मोदी सरकार को सौंपी गयी लेकिन इस रिपोर्ट पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई . कांग्रेस महासचिव ने कहा कि पिछली सरकारों के काम को आगे बढ़ाने और विशेषज्ञों की राय को सुनने के बजाय, प्रधानमंत्री ने अपने प्रयासों को नये सिरे से शुरू करने में करोड़ों रुपए खर्च किये. रमेश ने आरोप लगाया, पिछले दस वर्षों में इस पर 20,000 करोड़ रुपए खर्च किये गये हैं, जिसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन सामने आया है.
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