झारखंड में पेसा कानून लागू करने की मांग तेज, विधानसभा घेराव तक पहुंचेगी पेसा पैदल यात्रा

Ranchi:  झारखंड में पेसा कानून 1996 को लागू करने की मांग को लेकर झारखंड उलगुलान संघ के बैनर तले ऐतिहासिक डोम्बारी बुरू से 19 मार्च को “पेसा पैदल यात्रा” शुरू हुई, जो खूंटी होते हुए 20 मार्च 2025 को हुलहुंडू, रांची पहुंची. इस यात्रा के दौरान राज्य सरकार से अनुसूचित क्षेत्रों में “झारखंड पंचायत राज […]

Mar 20, 2025 - 17:30
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झारखंड में पेसा कानून लागू करने की मांग तेज, विधानसभा घेराव तक पहुंचेगी पेसा पैदल यात्रा

Ranchi:  झारखंड में पेसा कानून 1996 को लागू करने की मांग को लेकर झारखंड उलगुलान संघ के बैनर तले ऐतिहासिक डोम्बारी बुरू से 19 मार्च को “पेसा पैदल यात्रा” शुरू हुई, जो खूंटी होते हुए 20 मार्च 2025 को हुलहुंडू, रांची पहुंची. इस यात्रा के दौरान राज्य सरकार से अनुसूचित क्षेत्रों में “झारखंड पंचायत राज अधिनियम 2001” को निरस्त कर पेसा कानून 1996 को पूर्ण रूप से लागू करने की मांग की जा रही है.

21 मार्च को झारखंड विधानसभा का घेराव करेगी पेसा पैदल यात्रा

यह यात्रा 21 मार्च को हुलहुंडू से निकलकर झारखंड विधानसभा का घेराव करेगी. इसमें राज्यभर से हजारों आदिवासी शामिल होंगे. प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि पेसा कानून 1996 को उसकी संगत नियमावली के साथ लागू किया जाए.

शुरू हुआ नया उलगुलान – अलेस्टेयर बोदरा

झारखंड उलगुलान संघ के संयोजक अलेस्टेयर बोदरा ने कहा कि यह यात्रा ग्रामसभाओं के संवैधानिक, कानूनी एवं पारंपरिक अधिकारों को लेकर नई उलगुलान की शुरुआत है. उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि पेसा कानून 1996 को लागू नहीं किया गया, तो आदिवासी उसी तरह संघर्ष करेंगे जैसे ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ किया था.

झारखंड में पेसा कानून लागू न होना कलंक – ग्लैडसन डुंगडुंग

आदिवासी क्षेत्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष ग्लैडसन डुंगडुंग ने कहा कि “अबुआ दिसुम, अबुआ राईज” के नारे पर बना झारखंड राज्य आज भी पेसा कानून 1996 से वंचित है. यह झारखंड सरकार के लिए सबसे बड़ा कलंक है. उन्होंने कहा कि अनुसूचित क्षेत्रों से झारखंड पंचायत राज अधिनियम 2001 को हटाकर पेसा कानून 1996 के 23 प्रावधानों को लागू किया जाए.

जब तक पेसा लागू नहीं, तब तक उलगुलान जारी रहेगा – सुषमा बिरूली

आदिवासी क्षेत्र सुरक्षा परिषद की महासचिव सुषमा बिरूली ने कहा कि 24 दिसंबर 2024 से ही पेसा कानून 1996 को लागू करने की मांग उठाई जा रही है, लेकिन सरकार इस पर कोई ध्यान नहीं दे रही है. इसलिए आदिवासी समाज को मजबूरन पेसा यात्रा करनी पड़ रही है. जब तक झारखंड सरकार इसे लागू नहीं करती, तब तक उलगुलान जारी रहेगा.

झारखंड पंचायत अधिनियम 2001 थोपा गया, अब पेसा चाहिए – शिबू होरो

संयुक्त पड़हा समिति के सचिव शिबू होरो ने कहा कि पेसा कानून 1996 आदिवासियों का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन इसके बावजूद झारखंड में झारखंड पंचायत राज अधिनियम 2001 थोपा गया है. उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द पेसा कानून को लागू करने की मांग की.

कई संगठनों और नेताओं की भागीदारी

इस यात्रा में झारखंड उलगुलान संघ, आदिवासी क्षेत्र सुरक्षा परिषद, मुंडा आदिवासी समाज महासभा, संयुक्त पड़हा समिति, आदिवासी समन्वय समिति, झारखंड ग्रामसभा सुरक्षा मंच, खूंटकट्टी रैयत रक्षा समिति के सदस्य बड़ी संख्या में शामिल हुए.

प्रमुख नेता और सामाजिक कार्यकर्ता निभा रहे अहम भूमिका

पेसा पैदल यात्रा में रेयन समद, रोहित सुरीन, आशीष गुड़िया, जॉन जुर्सन गुड़िया, मसीह गुड़िया, वाल्टर कंडुलना, मेरी क्लॉडिया सोरेंग और बिनसाय मुंडा जैसे नेता और सामाजिक कार्यकर्ता समेत सैकड़ों लोग अपनी भूमिका निभा रहे हैं.

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