दक्षिण-पश्चिम मानसून ने निकोबार द्वीप पर दस्तक दी, 31 मई तक केरल पहुंचने की उम्मीद : मौसम विज्ञान विभाग

 New Delhi : भारत की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा दक्षिण-पश्चिम मानसून ने आज रविवार को देश के दक्षिणी छोर निकोबार द्वीप पर दस्तक दे दी. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने यहां यह जानकारी दी. मौसम कार्यालय ने कहा, दक्षिण-पश्चिम मानसून रविवार को मालदीव के कुछ हिस्सों, कोमोरिन क्षेत्र और दक्षिण बंगाल की […]

May 19, 2024 - 17:30
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दक्षिण-पश्चिम मानसून ने निकोबार द्वीप पर दस्तक दी, 31 मई तक केरल पहुंचने की उम्मीद : मौसम विज्ञान विभाग
दक्षिण-पश्चिम मानसून ने निकोबार द्वीप पर दस्तक दी, 31 मई तक केरल पहुंचने की उम्मीद : मौसम विज्ञान विभाग

 New Delhi : भारत की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा दक्षिण-पश्चिम मानसून ने आज रविवार को देश के दक्षिणी छोर निकोबार द्वीप पर दस्तक दे दी. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने यहां यह जानकारी दी. मौसम कार्यालय ने कहा, दक्षिण-पश्चिम मानसून रविवार को मालदीव के कुछ हिस्सों, कोमोरिन क्षेत्र और दक्षिण बंगाल की खाड़ी, निकोबार द्वीप समूह और दक्षिण अंडमान सागर के कुछ हिस्सों में पहुंच गया है.                                                      नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें

मानसून के 31 मई तक केरल पहुंच जाने की उम्मीद 

मानसून के 31 मई तक केरल पहुंच जाने की उम्मीद है. आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 150 साल में केरल में मानसून की शुरुआत की तारीख व्यापक रूप से अलग-अलग रही है. केरल में मानसून सबसे देरी से 1972 में 18 जून को और सबसे पहले 1918 में 11 मई को पहुंचा था. मानसून पिछले साल आठ जून को, 2022 में 29 मई को, 2021 में तीन जून को और 2020 में एक जून को दक्षिणी राज्य में पहुंचा था. आईएमडी ने पिछले महीने ला नीना की अनुकूल स्थितियों के कारण सामान्य से अधिक बारिश होने का पूर्वानुमान जताया था. ला नीना की स्थितियां भारत में मानसून के दौरान अच्छी बारिश में मदद करती हैं.

वर्तमान में देश का बड़ा हिस्सा भीषण गर्मी से जूझ रहा है

वर्तमान में देश का बड़ा हिस्सा भीषण गर्मी से जूझ रहा है और कई स्थानों पर अधिकतम तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. कई राज्यों में गर्मी का रिकॉर्ड टूट गया है और इसका स्वास्थ्य एवं आजीविका पर गंभीर असर पड़ रहा है. दक्षिणी भारत में अप्रैल में लू का प्रकोप देखा गया था. भीषण गर्मी बिजली ग्रिड पर दबाव डाल रही है और जल निकाय सूख रहे हैं. इसके कारण देश के कुछ हिस्सों में सूखे जैसी स्थिति पैदा हो रही है. ऐसे में मानसून के दौरान सामान्य से अधिक वर्षा का पूर्वानुमान तेजी से विकास कर रहे दक्षिण एशियाई देश के लिए एक बड़ी राहत की खबर है.

भारत के कृषि परिदृश्य के लिए मानसून महत्वपूर्ण है और 52 प्रतिशत शुद्ध खेती योग्य क्षेत्र इस पर निर्भर है. यह देश भर में बिजली उत्पादन के अलावा, पीने के पानी के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों को फिर से भरने के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है. जून और जुलाई को कृषि के लिए मानसून के सबसे महत्वपूर्ण महीने माना जाता है क्योंकि इस अवधि के दौरान अधिकतर खरीफ फसलों की बुआई होती है.

 

 

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