प्रियंका गांधी ने लेटरल एंट्री, निजीकरण, जातिगत जनगणना, आरक्षण पर मोदी सरकार को घेरा, कहा, जनता ने संविधान बदलने का सपना तोड़ा

लेटरल एंट्री और निजीकरण के जरिए सरकार आरक्षण को कमजोर करने का काम कर रही है. अगर लोकसभा में ये नतीजे नहीं आये होते तो संविधान बदलने का काम भी शुरू कर देती. इस चुनाव में इनको पता चल गया कि देश की जनता ही इस संविधान को सुरक्षित रखेगी. NewDelhi : हजारों साल पुरानी […]

Dec 13, 2024 - 17:30
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प्रियंका गांधी ने लेटरल एंट्री,  निजीकरण, जातिगत जनगणना, आरक्षण पर मोदी सरकार को घेरा, कहा, जनता ने संविधान बदलने का सपना तोड़ा

लेटरल एंट्री और निजीकरण के जरिए सरकार आरक्षण को कमजोर करने का काम कर रही है. अगर लोकसभा में ये नतीजे नहीं आये होते तो संविधान बदलने का काम भी शुरू कर देती. इस चुनाव में इनको पता चल गया कि देश की जनता ही इस संविधान को सुरक्षित रखेगी.

NewDelhi : हजारों साल पुरानी हमारे देश की परंपरा संवाद और चर्चा की रही है. वाद-विवाद और संवाद की पुरानी संस्कृति है. अलग-अलग धर्मों में भी ये वाद-संवाद, चर्चा-बहस की संस्कृति रही है. इसी परंपरा से उभरा हमारा स्वतंत्रता संग्राम. हमारा स्वतंत्रता संग्राम अनोखी लड़ाई थी, जो अहिंसा और सत्य पर आधारित थी. हमारी ये जो लड़ाई थी आजादी के लिए, बेहद लोकतांत्रिक लड़ाई थी. इसमें हर वर्ग शामिल था. सबने देश की आजादी की लड़ाई लड़ी. उसी आजादी की लड़ाई से एक आवाज उभरी, जो हमारे देश की आवाज थी, वो आवाज ही हमारा संविधान है,

चुनाव में इनको पता चल गया कि देश की जनता ही इस संविधान को सुरक्षित रखेगी

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने आज लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान  मोदी सरकार पर हमला बोला.  कहा, अगर लोकसभा में ये नतीजे नहीं आये होते तो संविधान बदलने का काम भी शुरू कर देती. इस चुनाव में इनको पता चल गया कि देश की जनता ही इस संविधान को सुरक्षित रखेगी. इस चुनाव में हारते-हारते जीतते हुए एहसास हुआ कि संविधान बदलने की बात इस देश में नहीं चलेगी. लेटरल एंट्री और निजिकरण के जरिए सरकार आरक्षण को कमजोर करने का काम कर रही है

प्रियंका गांधी ने कहा,आजादी की लड़ाई साहस की आवाज थी

प्रियंका गांधी ने कहा कि आजादी की लड़ाई साहस की आवाज थी, हमारी आजादी की आवाज थी और उसी की गूंज ने हमारे संविधान को लिखा और बनाया. यह सिर्फ एक दस्तावेज नहीं है. बाबा आंबेडकर, मौलाना आजाद जी और जवाहरलाल नेहरू जी और उस समय के तमाम नेता इस संविधान को बनाने में सालों जुटे रहे. हमारा संविधान इंसाफ, अभिव्यक्ति और आकांक्षा की वो ज्योत है जो हर हिंदुस्तानी के दिल में जलती है. इसने हर भारतीय को ये पहचानने की शक्ति दी कि उसे न्याय मिलने का अधिकार है. उसे अपने अधिकारों की आवाज उठाने की क्षमता है. जब वो आवाज उठाएगा तो सत्ता को उसके सामने झुकना पड़ेगा. इस संविधान ने हर किसी को अधिकार दिया कि वो सरकार बना भी सकता है और बदल भी सकता है.

हमारे संविधान ने आर्थिक न्याय की नींव डाली

प्रियंका गांधी ने लोकसभा में कहा कि आज जातिगत जनगणना की बात हो रही है. सत्तापक्ष के साथी ने इसका जिक्र किया. ये जिक्र इसलिए हुआ क्योंकि चुनाव में ये नतीजे आए. ये इसलिए जरूरी है ताकि हमें पता चले कि किसकी क्या स्थिति है. इनकी गंभीरता का प्रमाण ये है कि जब चुनाव में पूरे विपक्ष ने जोरदार आवाज उठाई जातिगत जनगणना होनी चाहिए. तो इनका जवाब था- भैंस चुरा लेंगे, मंगलसूत्र चुरा लेंगे. ये गंभीरता है इनकी. उन्होंने कहा कि हमारे संविधान ने आर्थिक न्याय की नींव डाली. किसानों, गरीबों को जमीन बांटी. जिसका नाम लेने से कभी-कभी झिझकते हैं और कभी-कभी धड़ाधड़ इस्तेमाल किया जाता है, उन्होंने तमाम पीएसयू बनाए. उनका नाम पुस्तकों से मिटाया जा सकता है. भाषणों से मिटाया जा सकता है. लेकिन उनकी जो भूंमिका रही, देश की आजादी के लिए, देश के निर्माण के लिए, उसे कभी मिटाया नहीं जा सकता.

विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया जाता है

प्रियंका ने कहा कि विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया जाता है. उन्हें देशद्रोही कह कर सताया जाता है. यूपी में मुझे याद है कि कुछ अध्यापिकाओं पर मुकदमा डाल दिया. पूरे देश का माहौल भय से भर दिया है. इनकी मीडिया की मशीन झूठ फैलाती है. शायद वो भी भय में है. मैं याद दिलाना चाहती हूं कि ऐसा डर का माहौल देश में अंग्रेजों के राज में था. जब इस तरफ बैठे हुए गांधी के विचारधारा के लोग आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे, तब उस विचारधारा के लोग अंग्रेजों के साथ सांठ-गांठ कर रहे थे. लेकिन भय का भी अपना स्वभाव होता है. भय फैलाने वाले खुद भय का शिकार बन जाते हैं. आज इनकी भी यही हालत हो गई है. भय फैलाने के इतने आदी हो गए हैं कि चर्चा से डरते हैं. आलोचनाओं से डरते हैं.  कहा कि राजा भेष बदलकर आलोचना सुनने जाता था. लेकिन आज का राजा भेष तो बदलते हैं, शौक तो है उनको भेष बदलने का, लेकिन न जनता के बीच जाने की हिम्मत है और न आलोचना सुनने की.

पहले संसद चलती थी तो जनता को उम्मीद होती थी : प्रियंका 

प्रियंका ने कहा कि पहले संसद चलती थी तो जनता की उम्मीद होती थी कि सरकार महंगाई और बेरोजगारी पर चर्चा करेगी. लोग मानते थे कि नयी आर्थिक नीति बनेगी तो अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए बनेगी. किसान और आदिवासी भाई बहन भरोसा करते थे यदि जमीन के कानून में संशोधन होगा तो उनकी भलाई के लिए होगा. आप नारी शक्ति की बात करते हैं. आज चुनाव की वजह से इतनी बात हो रही है. क्योंकि हमारे संविधान ने उनको ये अधिकार दिया. उनकी शक्ति को वोट परिवर्तित किया. आज आपको पहचानना पड़ रहा है कि उनके बिना सरकार नहीं बन सकती. जो आप नारी शक्ति का अधिनियम लाए हैं, उसे लागू क्यों नहीं करते. क्या आज की नारी 10 साल उसका इंतजार करेगी.

संविधान में आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक न्याय का वादा है

प्रियंका गांधी ने कहा कि हमारे देश के करोड़ों देशवासियों के संघर्ष में, अपने अधिकारों की पहचान में, और देश से न्याय की अपेक्षा ने हमारे संविधान की ज्योत जल रही है. मैंने हमारे संविधान की ज्योत को जलते हुए देखा है. हमारा संविधान एक सुरक्षा कवच है, जो देशवासियों को सुरक्षित रखता है. न्याय का कवच है. एकता का कवच है. अभिव्यक्ति की आजादी का कवच है. दुख की बात ये है कि मेरे सत्तापक्ष के साथी जो बड़ी बड़ी बातें करते हैं, उन्होंने 10 सालों में ये सुरक्षा कवच तोड़ने का प्रयास किया है. संविधान में आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय का वादा है, ये वादा सुरक्षा कवच है, जिसको तोड़ने का काम शुरू हो चुका है. लेटरल एंट्री और निजिकरण के जरिए सरकार आरक्षण को कमजोर करने का काम कर रही है. अगर लोकसभा में ये नतीजे नहीं आये होते तो संविधान बदलने का काम भी शुरू कर देती. इस चुनाव में इनको पता चल गया कि देश की जनता ही इस संविधान को सुरक्षित रखेगी. इस चुनाव में हारते-हारते जीतते हुए एहसास हुआ कि संविधान बदलने की बात इस देश में नहीं चलेगी.

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