प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 : ओवैसी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 17 फरवरी को सुनवाई

NewDelhi : AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अब 17 फरवरी को सुनवाई करेगा. मामला मंदिर-मस्जिद विवाद का है. बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी याचिका में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को सख्ती से लागू करने की मांग की है. खबरों के अनुसार वाराणसी, मथुरा, संभल और अजमेर आदि शहरों […]

Jan 2, 2025 - 17:30
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प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 : ओवैसी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 17 फरवरी को सुनवाई

NewDelhi : AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अब 17 फरवरी को सुनवाई करेगा. मामला मंदिर-मस्जिद विवाद का है. बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी याचिका में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को सख्ती से लागू करने की मांग की है. खबरों के अनुसार वाराणसी, मथुरा, संभल और अजमेर आदि शहरों में मस्जिदों के सर्वे की मांग के बीच सांसद असदुद्दीन ओवैसी की याचिका गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश हुई. SC ने सुनवाई पर सहमति जताते हुए 17 फरवरी की तिथि तय की है.

SC की बेंच ने कहा, हम सुनवाई के लिए तैयार हैं

अपनी याचिका में ओवैसी ने 1991 के पूजा स्थल कानून को केंद्र सरकार से सही ढंग से लागू करवाने की मांग की है. मांग की गयी है कि कोर्ट आदेश दे, ताकि कई मस्जिदों पर उठे विवाद खत्म हो सकें. इस पर सुनवाई कर रही SC की बेंच ने कहा, हम सुनवाई के लिए तैयार हैं. इस मामले में पहले से ही दायर कई याचिकाओं के साथ इसे भी संलग्न करेंगे. मामले की सुनवाई 17 फरवरी को करेंगे.  इस कानून के अनुसार 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आये किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता.

ओवैसी ने वकील फुजैल अहमद अय्यूबी के माध्यम से याचिका दायर की

ओवैसी की ओर से पेश हुए वकील निजाम पाशा ने सुनवाई शुरू होने पर दलील दी कि अदालत विभिन्न याचिकाओं पर विचार कर रही है. नयी याचिका को लंबित मामलों के साथ जोड़ा जा सकता है. इस पर जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार ने ओवैसी की नयी याचिका को लंबित मामलों के साथ जोड़ने का आदेश दिया. 17 दिसंबर 2024 को ओवैसी ने वकील फुजैल अहमद अय्यूबी के माध्यम से याचिका दायर की थी.

विशेष पीठ छह याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है

याद दिला दें कि इससे पहले 12 दिसंबर को, चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने 1991 के कानून के खिलाफ दायर कई अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सभी अदालतों को नये मुकदमों पर विचार करने से रोक दिया था. साथ ही धार्मिक स्थानों, खासकर मस्जिदों और दरगाहों पर अन्य समुदायों द्वारा पुनः दावा करने वाले मामलों में कोई भी अंतरिम या अंतिम आदेश पारित करने से मना किया था. जान लें कि विशेष पीठ छह याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. इसमें वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर मुख्य याचिका भी शामिल है.

 

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