बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ चंपाई सोरेन का सामाजिक अभियान
Ranchi: भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ अपने आंदोलन को एक सामाजिक अभियान करार दिया. उन्होंने कहा कि यह कोई राजनैतिक या चुनावी मुद्दा नहीं है, बल्कि यह झारखंड की सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर की रक्षा के लिए एक सशक्त पहल है. चंपाई […]
Ranchi: भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ अपने आंदोलन को एक सामाजिक अभियान करार दिया. उन्होंने कहा कि यह कोई राजनैतिक या चुनावी मुद्दा नहीं है, बल्कि यह झारखंड की सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर की रक्षा के लिए एक सशक्त पहल है. चंपाई सोरेन ने चिंता व्यक्त की कि पाकुड़ और साहिबगंज जैसे जिलों में आदिवासी समाज आज अल्पसंख्यक बन चुका है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर हम भूमिपुत्रों की जमीनों और वहां रहने वाली बहू-बेटियों की सुरक्षा नहीं कर सके, तो यह एक गंभीर चिंता का विषय है.
जोहार साथियों,
जैसा कि हमने पहले भी कहा था, झारखंड में लगातार बढ़ रहे बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ हमारा आंदोलन कोई राजनैतिक या चुनावी मुद्दा नहीं, बल्कि एक सामाजिक अभियान है। हमारा स्पष्ट तौर पर मानना है कि वीरों की इस माटी पर घुसपैठियों को किसी भी प्रकार का संरक्षण नहीं मिलना…
— Champai Soren (@ChampaiSoren) November 24, 2024
उन्होंने भविष्य में संथाल परगना की वीर भूमि पर अपने अभियान के अगले चरण की शुरुआत करने की घोषणा की. जिसमें वीर सिदो-कान्हू और वीरांगना फूलो-झानो को याद किया जाएगा. सोरेन ने कहा कि सरकारें बदलती रहेंगी, लेकिन आदिवासी समाज की पहचान और संस्कृति की रक्षा के लिए यह प्रयास जारी रहना चाहिए. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह जनसांस्कृतिक धरोहर नहीं बची, तो एक बार फिर “उलगुलान” का आगाज होगा. इस सामाजिक अभियान के तहत चंपाई सोरेन ने स्थानीय समुदाय से अपील की कि वे इस दिशा में सामूहिक रूप से एकजुट होकर काम करें, ताकि उनके अधिकारों और धरोहरों की रक्षा हो सके.
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