मंहगाई के मोर्चे पर बुरी खबर, अक्टूबर में थोक महंगाई दर बढ़ी, ईंधन-बिजली पर महंगाई दर नेगेटिव
Ranchi : महंगाई के मार्चे पर बुरी भरी खबर है. अक्टूबर में थोक महंगाई दर यानी होलसेल प्राइस इंडेक्स (डब्ल्यूपीआई) 0.52 फीसदी बढ़कर 2.36 प्रतिशत हो गयी है. जो सितंबर में 1.84 प्रतिशत थी. खाद्य वस्तुओं केदाम बढ़ने की वजह से थोक महंगाई दर बढ़ी है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा दी गयी जानकारी के […] The post मंहगाई के मोर्चे पर बुरी खबर, अक्टूबर में थोक महंगाई दर बढ़ी, ईंधन-बिजली पर महंगाई दर नेगेटिव appeared first on lagatar.in.
Ranchi : महंगाई के मार्चे पर बुरी भरी खबर है. अक्टूबर में थोक महंगाई दर यानी होलसेल प्राइस इंडेक्स (डब्ल्यूपीआई) 0.52 फीसदी बढ़कर 2.36 प्रतिशत हो गयी है. जो सितंबर में 1.84 प्रतिशत थी. खाद्य वस्तुओं केदाम बढ़ने की वजह से थोक महंगाई दर बढ़ी है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक, बीते महीने खाद्य उत्पादों की कीमतों में 13.57 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. मॉनसून की देरी से वापसी के कारण फसलों को हुए नुकसान की वजह से आलू और प्याज जैसी सब्जियां का महंगा होना है. विनिर्मित वस्तुओं में थोक महंगाई दर, जिसका थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) में भार 64 प्रतिशत से अधिक है, बीते महीने 1.5 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, ईंधन और बिजली की में कीमतों में गिरावट आयी और महंगाई दर नकारात्मक (-) 5.79 प्रतिशत रही.
खुदरा महंगाई दर भी 5.49 प्रतिशत से बढ़कर 6.21 प्रतिशत हुआ
बता दें कि सरकार ने मंगलवार को खुदरा महंगाई दर के आंकड़े जारी किये थे. अक्टूबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) बढ़कर 6.21 प्रतिशत हो गया है. यह अक्टूबर में 5.49 प्रतिशत था. खुदरा महंगाई दर बढ़ने की वजह बीते महीने सब्जियों की कीमतों में तेज बढ़ोतरी को माना जा रहा है. अक्टूबर में सब्जियों की कीमतों में 42.18 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. बीते 14 महीनों में यह पहली बार था, जब रिटेल महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा तय किये गये स्तर 6 प्रतिशत के ऊपर थी. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले हफ्ते कहा था कि आरबीआई विकास को गति देने के लिए नरम तटस्थ मौद्रिक नीति रुख की ओर बढ़ गया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ब्याज दर में तुरंत कटौती होगी. आरबीआई गवर्नर ने एक कार्यक्रम में कहा कि रुख में बदलाव का मतलब यह नहीं है कि अगली मौद्रिक नीति बैठक में दर में कटौती होगी. उन्होंने आगे कहा था कि महंगाई के बढ़ने का अभी भी जोखिम बना हुआ है. ऐसे समय में ब्याज दरों में कटौती करना एक जोखिम भरा फैसला हो सकता है.
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