आरक्षण में क्रीमी लेयर : सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध, भाजपा के एससी-एसटी सांसद पीएम से मिले, मिला आश्वासन
NewDelhi : एससी-एसटी आरक्षण में उपवर्गीकरण (कोटे में कोटा) किये जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में एससी-एसटी सांसदों ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की. सांसदों ने संयुक्त रूप से एसटी/एससी के लिए क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के संदर्भ में ज्ञापन सौंपा. मांग की गयी कि सुप्रीम कोर्ट […] The post आरक्षण में क्रीमी लेयर : सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध, भाजपा के एससी-एसटी सांसद पीएम से मिले, मिला आश्वासन appeared first on lagatar.in.
NewDelhi : एससी-एसटी आरक्षण में उपवर्गीकरण (कोटे में कोटा) किये जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में एससी-एसटी सांसदों ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की. सांसदों ने संयुक्त रूप से एसटी/एससी के लिए क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के संदर्भ में ज्ञापन सौंपा. मांग की गयी कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये इस फैसले को हमारे समाज(एससी-एसटी) में लागू नहीं किया जाना चाहिए. खबरों के अनुसार पीएम मोदी ने सासंदों को आश्वासन दिया कि वह इस मामले को देखेंगे.
“Met a delegation of SC/ST MPs today. Reiterated our commitment and resolve for the welfare and empowerment of the SC/ST communities,” posts Prime Minister Narendra Modi (@narendramodi). pic.twitter.com/59WMlkQJsx
— Press Trust of India (@PTI_News) August 9, 2024
क्या अब केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अध्यादेश लायेगी
प्रधानमंत्री मोदी की एससी-एसटी सांसदो के मुलाकात के बाद जानकार कई सवाल खड़े कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि क्या अब केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अध्यादेश लायेगी या पीएम मोदी एससी-एसटी सांसदों के समर्थन के लिए कोई और रास्ता अख्तियार करेंगे.लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चिराग पासवान और रामदास अठावले सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. चिराग पासवान कह चुके हैं कि उनकी लोक जनशक्ति पार्टी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी,
सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में उपवर्गीकरण को लेकर फैसला सुनाया था
मामले की तह में जायें तो एक अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में उपवर्गीकरण को लेकर फैसला सुनाया था. कहा था कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, जिससे जो जातियां सामाजिक और शैक्षणिक रूप से अधिक पिछड़ी हैं उन्हें आरक्षण मिल पाये.साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि राज्यों को पिछड़ेपन और सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व के मात्रात्मक और प्रदर्शन योग्य आंकड़ों के आधार पर उप-वर्गीकरण करना होगा, इच्छा और राजनीतिक लाभ के आधार पर नहीं.
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