पलामू: शिक्षिका अनिता ने बदल दी उत्क्रमित विद्यालय दुलसुलमा की तस्वीर

2019 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शिक्षिका के कार्यों की तारीफ की थी Kumar Raj Medininagar: सरकारी विद्यालय के बारे में आज लोगों के दिलों दिमाग में एक ही बात है कि यहां पढ़ाई के नाम पर शिक्षक सिर्फ समय काटते हैं. पर अगर ऐसा आप सोचते हैं, तो एक बार उत्क्रमित मध्य विद्यालय दुलसुलमा […] The post पलामू: शिक्षिका अनिता ने बदल दी उत्क्रमित विद्यालय दुलसुलमा की तस्वीर appeared first on lagatar.in.

Aug 13, 2024 - 05:30
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पलामू: शिक्षिका अनिता ने बदल दी उत्क्रमित विद्यालय दुलसुलमा की तस्वीर

2019 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शिक्षिका के कार्यों की तारीफ की थी

Kumar Raj

Medininagar: सरकारी विद्यालय के बारे में आज लोगों के दिलों दिमाग में एक ही बात है कि यहां पढ़ाई के नाम पर शिक्षक सिर्फ समय काटते हैं. पर अगर ऐसा आप सोचते हैं, तो एक बार उत्क्रमित मध्य विद्यालय दुलसुलमा पहुंच कर, इसके पठन-पाठन, विद्यालय के रखरखाव देखें. आपकी सोच सचमुच निश्चित रूप से बदल जाएगी. कहा जाता है कि जब हिम्मत और जज्बा हो तो कठोर पत्थरों पर भी हरियाली उगाई जा सकती है. उक्त बातों को चरितार्थ कर दिखाया है विद्यालय के प्रधानाध्यापिका अनिता भेंगरा ने. भेंगरा उक्त विद्यालय में करीब 20 वर्षो से अधिक समय से सेवा दे रही हैं. इससे पहले भेंगरा पलामू के प्रसिद्ध सेक्रेड हर्ट स्कूल में सेवा दे चुकी हैं. जब उन्होंने दुलसुलमा विद्यालय ज्वाइन किया तो पाया कि गांव आदिवासी बहुल है. शिक्षा का घोर अभाव है.

अनिता ने बताया कि मैंने मन मष्तिष्क में बिठा लिया कि इस विद्यालय को सेक्रेड हर्ट के तर्ज पर विकसित करुंगी. धीरे-धीरे उन्होंने आसपास के बच्चों को विद्यालय से जोड़ना शुरू कर दिया. पहली प्राथमिकता के रूप में स्वास्थ्य और सफाई को रखा. उन्होंने अपने शिक्षक साथियों की सहायता से योजनाबद्ध तरीके से काम की शुरुवात की. विद्यालय में शिक्षको की संख्या घटती गयी, लेकिन उनके हौसले बढ़ते गए. अनिल कुमार गुप्ता जहां सेवानिवृत्त हो गए. वहीं अर्पण कुमार गुप्ता का चयन दूसरे विद्यालय में हो गया और तत्कालीन प्रधानाध्यापक मृत्युंजय पाठक का स्थानांतरण हो गया. विद्यालय की बागडोर भेंगरा के हाथों में आ गयी. लेकिन उनका इरादा दृढ़ था.

अनिता ने विद्यार्थियों की एक टीम तैयार की

उन्होंने अपने विद्यालय को सेक्रेड हर्ट जैसा बनाने की दृढ़ इच्छा पाल रखी थी. उन्होंने विद्यार्थियों की एक टीम तैयार की. उनको इंग्लिश प्रेयर, इंट्रोडक्शन, ग्रुप सांग, एकल गान, कन्वर्सेशन, पेंटिंग इत्यादि सिखाया. उनसे सहयोग लेकर निचले क्लास के बच्चों को पढ़ाने में मदद ली. क्योंकि विद्यालय में उनके अलावे केवल 2 पारा शिक्षक महावीर सिंह, नितू कुमारी और 1 सहायक शिक्षिका तपेशवरी कुमारी हैं. उन्होंने स्कूल में फूल, पौधों का जाल बिछाया. नल, बिजली, शौचालय, पुस्तकालय, को विकसित किया. विकलांग बच्चों के लिए अलग शौचालय, बच्चियों के लिए भष्मीकरन जैसे नवीन प्रयोग किये. उनकी इच्छा प्रसिद्धि की नहीं थी. उस विद्यालय में जायेंगे तो आपको रंग, बिरंगे सैकड़ों किस्म के फूल पौधे देखकर आपको ऐसा एहसास होगा जैसे कि आप रॉक गार्डन में आ गए हैं.

यह विद्यालय लोगों के लिए चर्चा का केंद्र बन गया है. लोग सोचने पर विवश हो जाते हैं कि आखिर उन्होंने इतने सीमित निधि, कम संसाधन से ऐसे काम कैसे किये? पर उनके इरादे बुलंद हैं. पिछले दिनों भारत सरकार के नीति आयोग ने उन तस्वीरों को अपने ऑफिसियल ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया. जिसे पीएम मोदी, पीएमओ एचआरडी, झारखंड सीएमओ जैसे राष्ट्रीय नेता और संस्थाओं ने लाइक किया था. पीएमओ के ट्वीट के बाद पलामू सांसद बीडी राम 7 जनवरी 2019 को कई पदाधिकारियों संग विद्यालय पहुंचे और प्रधानाध्यापक अनिता भेंगरा तथा विद्यालय के पूरी टीम की भूरी-भूरी प्रशंसा की थी.

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