भारत जैसे लोकतंत्र में CJI को किसी भी कार्यकारी नियुक्ति में क्यों शामिल होना चाहिए : उपराष्ट्रपति

Bhopal : भारत जैसे लोकतंत्र में देश के चीफ जस्टिस को किसी भी कार्यकारी नियुक्ति में शामिल नहीं होना चाहिए. देश के CJI सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति में हिस्सा कैसे ले सकते हैं? उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भोपाल में यह बात कही. उपराष्ट्रपति ने पूछा, क्या इसके लिए कोई कानूनी दलील दी जा सकती है?. […]

Feb 15, 2025 - 17:30
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भारत जैसे लोकतंत्र में CJI को किसी भी कार्यकारी नियुक्ति में क्यों शामिल होना चाहिए : उपराष्ट्रपति

Bhopal : भारत जैसे लोकतंत्र में देश के चीफ जस्टिस को किसी भी कार्यकारी नियुक्ति में शामिल नहीं होना चाहिए. देश के CJI सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति में हिस्सा कैसे ले सकते हैं? उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भोपाल में यह बात कही. उपराष्ट्रपति ने पूछा, क्या इसके लिए कोई कानूनी दलील दी जा सकती है?. उन्होंने भोपाल में राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी में कहा कि इस तरह के मानदंडों पर पुनर्विचार करने का समय आ गया है. श्री धनखड़ ने कहा कि विधायिका या न्यायपालिका द्वारा शासन में कोई भी हस्तक्षेप संविधानवाद के विपरीत है. कहा कि लोकतंत्र संस्थागत अलगाव पर नहीं, बल्कि समन्वित स्वायत्तता पर चलता है.

न्यायिक आदेश के जरिए कार्यकारी शासन संवैधानिक विरोधाभास है

न्यायिक समीक्षा की शक्ति के संदर्भ में उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि यह अच्छी बात है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि कानून संविधान के अनुरूप हों. जगदीप धनखड़ ने इस बात की सराहना की कि वैधानिक निर्देश इसलिए बने, क्योंकि उस समय की कार्यपालिका ने न्यायिक फैसले के आगे घुटने टेक दिये थे. लेकिन अब इस पर पुनर्विचार करने का समय आ गया है. कहा कि यह निश्चित रूप से लोकतंत्र के साथ मेल नहीं खाता. भारत के CJI को किसी शीर्ष स्तर की नियुक्ति में कैसे शामिल किया जा सकता है. धनखड़ ने कहा कि न्यायिक आदेश के जरिए कार्यकारी शासन संवैधानिक विरोधाभास है, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र अब और बर्दाश्त नहीं कर सकता.

नये मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन 17 फरवरी को

श्री धनखड़ का भोपाल में दिया गया बयान ऐसे समय में आया है जब न. मुख्य चुनाव आयुक्त चुने जाने के लिए बैठक(17 फरवरी) होनी है. बता दें कि नये CEC की नियुक्ति अधिनियम पारित होने के बाद पहली बार हो रही है. यह अधिनियम मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद आया है, जिसमें पीएम, विपक्ष के नेता और सीजेआई की तीन सदस्यीय समिति को संसद द्वारा कानून बनाये जाने तक काम करने का निर्देश दिया गया था.

 नये कानून में सीजेआई को समिति से बाहर रखा गया है

नये कानून में सीजेआई को समिति से बाहर रखा गया है. आलोचकों का मानना है कि नया कानून नियुक्तियों में कार्यपालिका के ज्यादा हस्तक्षेप के बराबर है और यह चुनाव आयोग की स्वतंत्रता के लिए हानिकारक है. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार 18 फरवरी को रिटायर होने वाले हैं. उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति के लिए चयन समिति की बैठक सोमवार,17 फरवरी को होने की उम्मीद है.

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