SC की बुलडोजर एक्शन पर रोक, कहा, कानूनी प्रक्रिया का पालन किये बिना संपत्तियां ध्वस्त नहीं कर सकते

NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने आज बुधवार को पूरे देश में बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी. अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि किसी का घर सिर्फ इस आधार पर नहीं गिरा सकते कि वह किसी आपराधिक मामले में दोषी है या आरोपी है. कानून के शासन में बुलडोजर से न्याय स्वीकार नहीं है. […] The post SC की बुलडोजर एक्शन पर रोक, कहा, कानूनी प्रक्रिया का पालन किये बिना संपत्तियां ध्वस्त नहीं कर सकते appeared first on lagatar.in.

Nov 13, 2024 - 17:30
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SC की बुलडोजर एक्शन पर रोक, कहा, कानूनी प्रक्रिया का पालन किये बिना संपत्तियां ध्वस्त नहीं कर सकते

NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने आज बुधवार को पूरे देश में बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी. अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि किसी का घर सिर्फ इस आधार पर नहीं गिरा सकते कि वह किसी आपराधिक मामले में दोषी है या आरोपी है. कानून के शासन में बुलडोजर से न्याय स्वीकार नहीं है. जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि प्राधिकार(प्रशासन) कानून को ताक पर रखकर बुलडोजर एक्शन नहीं कर सकते.  कोर्ट ने कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों की परिभाषा को  रेखांकित किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया का पालन किये बिना संपत्तियां ध्वस्त नहीं की जा सकती.  

प्राधिकारों ने कानून को ताक पर रखकर बुलडोजर कार्र्वाई की

कोर्ट का सवाल था कि क्या राज्य सरकार न्यायिक कार्य कर सकती है इस क्रम में कहा कि राज्य न्यायपालिका की जगह नहीं ले सकता. अगर राज्य इसे ध्वस्त करता है तो यह पूरी तरह से अन्याय होगा. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि कानूनी प्रक्रिया का पालन किये बिना संपत्तियां ध्वस्त नहीं की जा सकती हैं. हमारे पास सुनवाई के लिए आये कई बुलडोजर एक्शन मामलों में यह स्पष्ट है कि प्राधिकारों ने कानून को ताक पर रखकर बुलडोजर कार्र्वाई की. बता दें कि कई राज्यों में बुलडोजर एक्शन के खिलाफ याचिका दायर की गयी थीं. जमीयत उलेमा-ए-हिंद भी याचिकाकर्ताओं में शामिल था.

किसा का अपराध साबित हो जाता है तो भी उसका घर  तोड़ना  गलत 

सुप्रीम कोर्ट ने एक गाइड लाइन जारी करते हुए  कहा कि अगर किसी व्यक्ति पर अपराध साबित हो जाता है. उसके बाद उसके घर को तोड़ा जाता है. तो यह भी गलत है. सरकारी अधिकारियों द्वारा ऐसा करना अवैध होगा. कार्यपालिका ऐसा कर कानून अपने हाथ में ले रही होगी. इस क्रम में कोर्ट ने कहा कि घर होना सभी का मौलिक अधिकार है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि किसी का मकान तब तक नहीं तोड़ा जा सकता जब तक उसे 15 दिन पहले नोटिस ना दे दिया जाये.

नोटिस में यह बताना होगा कि मकान क्यों अवैध है

किसी मकान पर कार्रवाई करनी है तो रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए 15 दिन पहले उस मकान के मालिक को अधिकारियों द्वारा नोटिस भेजा जाना जरूरी होगा. नोटिस उस घर के बाहर चिपकाया जायेगा. नोटिस में यह बताना होगा कि मकान क्यों अवैध है. कौन से नियमों का उल्लंघन किया गया है और किस वजह से मकान गिराया जाएगा. प्रशासन को मकान गिराने की पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी करानी होगी. अगर इनमें से किसी भी दिशा निर्देश का उल्लंघन होगा तो यह कोर्ट की अवमानना होगी.

 

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