SC/ST आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला संसद में निरस्त करें, खड़गे, मायावती की मोदी सरकार से मांग
मायावती ने उच्चतम न्यायालय के एक अगस्त के उस फैसले पर कांग्रेस की चुप्पी पर सवाल उठाया, जिसमें राज्यों को अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) के बीच क्रीमी लेयर की पहचान करने के लिए एक नीति बनाने का निर्देश दिया गया है. NewDelhi : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) […] The post SC/ST आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला संसद में निरस्त करें, खड़गे, मायावती की मोदी सरकार से मांग appeared first on lagatar.in.
मायावती ने उच्चतम न्यायालय के एक अगस्त के उस फैसले पर कांग्रेस की चुप्पी पर सवाल उठाया, जिसमें राज्यों को अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) के बीच क्रीमी लेयर की पहचान करने के लिए एक नीति बनाने का निर्देश दिया गया है.
NewDelhi : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के अंदर उप-वर्गीकरण और क्रीमी लेयर संबंधी उच्चतम न्यायालय के फैसले के प्रति विरोध जताते हुए शनिवार को कहा कि सरकार को यह निर्णय आते ही इसे संसद के माध्यम से निरस्त करना चाहिए था. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर आरक्षण खत्म करने के प्रयास का आरोप लगाया और यह भी कहा कि किसी को क्रीमी लेयर के फैसले को मान्यता नहीं देना चाहिए तथा जब तक छुआछूत है, तब तक आरक्षण रहना चाहिए. खड़गे ने संवाददाताओं से कहा, पिछले दिनों उच्चतम न्यायालय के सात न्यायाधीशों ने एक फैसला दिया है, जिसमें उन्होंने एसी-एसटी वर्ग के लोगों के उप-वर्गीकरण के साथ ही क्रीमी लेयर की भी बात की है.
पिछले दिनों Supreme Court का 7-Judge Bench का फ़ैसला आया, जिसमें उन्होंने SC-ST वर्ग के लोगों के लिए Sub-Categorisation का बात की।
इस फ़ैसले में SC-ST वर्ग के आरक्षण में Creamy Layer की भी बात की गई।
भारत में Scheduled Caste के लोगों को सबसे पहले आरक्षण बाबासाहेब डॉ अंबेडकर के… pic.twitter.com/36fNB7nqpn
— Mallikarjun Kharge (@kharge) August 10, 2024
3.सुप्रीम कोर्ट के 1 अगस्त 2024 के निर्णय को संविधान संशोधन के जरिए जब तक निष्प्रभावी नहीं किया जाता तब तक राज्य सरकारें अपनी राजनीति के तहत वहाँ इस निर्णय का इस्तेमाल करके SC/ST वर्ग का उप-वर्गीकरण व क्रीमी लेयर को लागू कर सकती हैं। अतः संविधान संशोधन बिल इसी सत्र में लाया जाए।
— Mayawati (@Mayawati) August 9, 2024
दलित समुदाय के लोगों को आरक्षण बाबासाहेब के पूना पैक्ट के माध्यम से मिला
भारत में दलित समुदाय के लोगों के लिए आरक्षण बाबासाहेब के पूना पैक्ट’ के माध्यम से मिला था. बाद में पंडित जवाहरलाल नेहरू जी और महात्मा गांधी जी द्वारा आरक्षण नीति को जारी रखा गया. उन्होंने कहा कि राजनीतिक आरक्षण के साथ ही शिक्षा और रोजगार में भी आरक्षण एक जरूरी मुद्दा था, लेकिन अब एससी-एसटी के लोगों को क्रीमी लेयर का कहकर आरक्षण से बाहर निकालना, उनके ऊपर एक बड़ा प्रहार है. खड़गे ने आरोप लगाया कि भाजपा का इरादा आरक्षण खत्म करने का है.
देश में लाखों सरकारी नौकरियां हैं,भर्तियां नहीं की जा रही हैं
खड़गे ने कहा, आज सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपकर सरकारी नौकरी और आरक्षण खत्म किया जा रहा है. एक तरफ देश में लाखों सरकारी नौकरियां हैं, जिनमें भर्तियां नहीं की जा रही हैं, दूसरी तरफ आप क्रीमी लेयर लाकर दलित समाज को कुचल रहे हैं. मैं इसका विरोध करता हूं. उन्होंने कहा, आज आरक्षण होते हुए भी उच्च न्यायालयों में दलित समाज के लोग नहीं हैं, उच्चतम न्यायालय में भी नाम मात्र के लोग हैं. वहीं, अफसरों के बड़े पदों पर भी कोई नहीं है. उन्होंने कहा, इसे संसद में लाकर उच्चतम न्यायालय का फैसला नकार देना चाहिए था.
मायावती ने कहाआरक्षण को निष्प्रभावी बना दिया गया, जिसे प्रभावी बनाया जाना चाहिए
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने शनिवार को उच्चतम न्यायालय के एक अगस्त के उस फैसले पर कांग्रेस की चुप्पी पर सवाल उठाया, जिसमें राज्यों को अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) के बीच क्रीमी लेयर की पहचान करने के लिए एक नीति बनाने का निर्देश दिया गया है. मायावती ने कहा कि आरक्षण को निष्प्रभावी’ बना दिया गया है जिसे प्रभावी बनाया जाना चाहिए और इसके लिए जल्द ही संसद का सत्र बुलाया जाना चाहिए. लखनऊ में पत्रकारों से बातचीत में बसपा प्रमुख ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार और बाकी (राजनीतिक) दलों को इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए.
एससी और एसटी समुदाय से कांग्रेस, सपा की दोहरी नीति से सावधान रहने को कहा
च्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई ने एक अगस्त को कहा था कि राज्यों को एससी-एसटी के बीच क्रीमी लेयर’ की पहचान करने के लिए एक नीति बनानी चाहिए और उन्हें आरक्षण के लाभ से वंचित करना चाहिए. मायावती ने कहा, एससी-एसटी आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय के एक अगस्त के फैसले पर कांग्रेस अब तक चुप क्यों है? कांग्रेस उन राज्यों में अपना रुख क्यों स्पष्ट नहीं कर रही है, जहां उसकी सरकार है? दूसरे शब्दों में, यह पार्टी (कांग्रेस) वहां भी चुप क्यों बैठी है? या क्या ये कहा जाए कि कांग्रेस पार्टी इस फैसले को स्वीकार करती है और इस पर अमल करती है?’’ उन्होंने दिल्ली और पंजाब में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी से भी अपना रुख स्पष्ट करने को कहा. एससी और एसटी समुदाय के लोगों से इन दलों की ‘दोहरी नीति’ से सावधान रहने का आग्रह करते हुए मायावती ने कहा, ‘जिन दलों ने संविधान और आरक्षण बचाने के नाम पर 18वीं लोकसभा के चुनाव में इन समुदायों के वोट बटोरे और सबसे ज्यादा सीट हासिल कीं, तथा उनकी (एससी और एसटी) हितैषी एकमात्र पार्टी (बसपा) को नुकसान पहुंचाया.
मायावती ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए मायावती ने कहा, ‘वे चुनाव के दौरान संविधान और आरक्षण बचाने की बड़ी-बड़ी बातें करते थे. अब वे संविधान की प्रति किसी को नहीं दिखा रहे हैं. अब कांग्रेस पार्टी और कंपनी आरक्षण की बात नहीं कर रही है.’’ भाजपा पर हमला करते हुए उन्होंने कहा, ‘भाजपा की तरफ से आश्वासन आया है. प्रधानमंत्री की तरफ से आश्वासन आया है. आश्वासन से काम नहीं चलेगा.मायवती ने कहा कि उन्होंने संसद सत्र को अनिश्चितकाल के लिए कल स्थगित कर दिया, लेकिन बेहतर यह होता कि सत्र चलता और 5-6 दिन बाद पूरी तैयारी करके इस मामले में संसद में संशोधन विधेयक पेश करते, लेकिन इसे नहीं लाया गया. उन्होंने कहा, ‘‘मैं प्रधानमंत्री से कहना चाहती हूं कि अगर इन वर्गों को लेकर आपकी नीयत साफ है, तो आपने अन्य मुद्दों पर समय से पहले सदन बुलाया था. आप कभी भी सदन बुला सकते हैं, इसके लिए तैयारी करें. उच्चतम न्यायालय के एक अगस्त के फैसले को निरस्त करें. सदन बुलाएं, सदन में सभी दलों का रुख पता चल जाएगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘आरक्षण जो ‘निष्प्रभावी’ हो गया है, उसे प्रभावी बनाने के लिए संसद सत्र को जल्द ही अल्प सूचना पर बुलाया जाना चाहिए.
संविधान में एससी-एसटी के आरक्षण में क्रीमी लेयर’का कोई प्रावधान नहीं
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को जोर देकर कहा था कि बी आर आंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान में एससी-एसटी के लिए आरक्षण में ‘क्रीमी लेयर’ का कोई प्रावधान नहीं है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को कहा कि भीम राव आंबेडकर के दिए संविधान में अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के आरक्षण में ‘मलाईदार तबके’ (क्रीमी लेयर) के लिए कोई प्रावधान नहीं है. ‘क्रीमी लेयर’ का तात्पर्य एससी एवं एसटी समुदायों के उन लोगों और परिवारों से है जो उच्च आय वर्ग में आते हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए संविधान में प्रदत्त आरक्षण के उप-वर्गीकरण को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले पर विस्तृत चर्चा हुई थी.
केंद्र सरकार डॉ. आंबेडकर के दिये संविधान के प्रावधानों के प्रति प्रतिबद्ध
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए निर्णयों के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए कहा था कि मंत्रिमंडल की बैठक में उच्चतम न्यायालय के उस हालिया फैसले पर विस्तृत चर्चा हुई जिसमें एससी-एसटी के लिए आरक्षण के संबंध में कुछ सुझाव दिए गए थे. उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल का यह सुविचारित मत है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार डॉ. आंबेडकर के दिए संविधान के प्रावधानों के प्रति प्रतिबद्ध है. वैष्णव ने कहा था, ‘‘बी आर आंबेडकर के दिए संविधान के अनुसार, एससी-एसटी आरक्षण में ‘क्रीमी लेयर’ के लिए कोई प्रावधान नहीं है.
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