अश्विनी वैष्णव ने कहा, सभी दलों की सहमति से ही लागू होगा वन नेशन, वन इलेक्शन  

NewDelhi :  केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को वन नेशन, वन इलेक्शन पर कोविंद समिति की सिफारिशों को मंजूरी दे दी. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति ने 14 मार्च 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में […] The post अश्विनी वैष्णव ने कहा, सभी दलों की सहमति से ही लागू होगा वन नेशन, वन इलेक्शन   appeared first on lagatar.in.

Sep 19, 2024 - 05:30
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अश्विनी वैष्णव ने कहा, सभी दलों की सहमति से ही लागू होगा वन नेशन, वन इलेक्शन  

NewDelhi :  केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को वन नेशन, वन इलेक्शन पर कोविंद समिति की सिफारिशों को मंजूरी दे दी. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति ने 14 मार्च 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में कोविंद समिति की सिफारिशों को मंजूरी मिली. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बैठक के बाद मीडिया को यह जानकारी दी. कोविंद समिति का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था.

समिति ने 191 दिन तक राजनीतिक दलों तथा विभिन्न हितधारकों के साथ चर्चा  की  

समिति ने 191 दिन तक राजनीतिक दलों तथा विभिन्न हितधारकों के साथ चर्चा के बाद 18,626 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की थी. आठ सदस्यीय समिति ने आम लोगों से भी राय आमंत्रित की थी. आम लोगों की तरफ से 21,558 सुझाव मिले. इसके अलावा 47 राजनीतिक दलों ने भी अपने राय और सुझाव दिये, जिनमें 32 ने इसका समर्थन किया था. कुल 80 प्रतिशत सुझाव वन नेशन, वन इलेक्शन के पक्ष में आये थे. समिति ने देश के प्रमुख उद्योग संगठनों और अर्थशास्त्रियों के भी सुझाव लिये थे. वन नेशन, वन इलेक्शन के बारे में चर्चा सबसे पहले 1999 में शुरू हुई, जब विधि आयोग ने अपनी 170वीं रिपोर्ट में लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव हर पांच साल पर एक साथ कराने का सुझाव दिया.

समिति ने कहा है कि सभी चुनावों के लिए एक ही मतदाता सूची हो

इसके बाद कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय पर संसदीय की स्थायी समिति ने 2015 में अपनी 79वीं रिपोर्ट में दो चरणों में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी. कोविंद समिति ने भी दो चरणों में लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनाव कराने का सुझाव दिया है. समिति ने कहा है कि पहले चरण में लोकसभा और राज्यसभा के चुनाव एक साथ कराये जाने का प्रस्ताव है, जबकि दूसरे चरण में उसके 100 दिन के भीतर स्थानीय निकायों के चुनाव कराने का प्रस्ताव है. समिति ने कहा है कि सभी चुनावों के लिए एक ही मतदाता सूची हो.

सरकार विधेयक लाने से पहले राजनीतिक दलों के साथ विस्तार पूर्वक चर्चा करेगी

वन नेशन, वन इलेक्शन को लागू करने के लिए एक क्रियान्वयन समूह का गठन किया जाएगा. क्रियान्वयन समूह भी मंत्रिमंडल द्वारा पारित सिफारिशों पर राजनीतिक दलों तथा अन्य हितधारकों से रायशुमारी करेगा. उसके बाद इसके लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक को संसद में पेश किया जायेगा. एक प्रश्न के उत्तर में अश्विनी वैष्णव ने बताया कि सरकार विधेयक लाने से पहले आम सहमति बनाने के लिए राजनीतिक दलों के साथ विस्तार पूर्वक चर्चा करेगी. यह पूछे जाने पर कि क्या 2029 के लोकसभा चुनाव के साथ वन नेशन, वन इलेक्शन’ को लागू किया जायेगा, वैष्णव ने कहा कि अभी यह कहना संभव नहीं है कि इसे किस चुनाव से लागू किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि संविधान संशोधन के लिए मोदी सरकार को एनडीए से बाहर के दलों के सहयोग की भी जरूरत होगी.

गृह मंत्री अमित शाह, अधीर रंजन चौधरी, गुलाम नबी आजाद समिति  में शामिल थे 

संविधान संशोधन के लिए सदन की सदस्य संख्या के 50 प्रतिशत के साथ ही सदन में मौजूद सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई का विधेयक के पक्ष में मतदान करना जरूरी है. कोविंद समिति के अन्य सदस्यों में गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके. सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी को सदस्य बनाया गया था. हालांकि, अधीर रंजन चौधरी और गुलाम नबी आजाद कभी समिति की बैठकों में शामिल नहीं हुए क्योंकि विपक्षी कांग्रेस पार्टी वन नेशन, वन इलेक्शन’ का विरोध कर रही है.

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