आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कहा, तृतीय विश्व युद्ध का खतरा मंडरा रहा है….
Jabalpur : मध्यप्रदेश के जबलपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने योगमणि ट्रस्ट के एक कार्यक्रम में विश्व के कल्याण के लिए हिंदुत्व की अहमियत पर खुले मंच से अपने विचार रखे, इस क्रम में उन्होंने तीसरे विश्वयुद्ध पर बड़ा बयान दिया है. उनका बयान चर्चा का विषय बना हुआ है, मोहन […] The post आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कहा, तृतीय विश्व युद्ध का खतरा मंडरा रहा है…. appeared first on lagatar.in.
Jabalpur : मध्यप्रदेश के जबलपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने योगमणि ट्रस्ट के एक कार्यक्रम में विश्व के कल्याण के लिए हिंदुत्व की अहमियत पर खुले मंच से अपने विचार रखे, इस क्रम में उन्होंने तीसरे विश्वयुद्ध पर बड़ा बयान दिया है. उनका बयान चर्चा का विषय बना हुआ है, मोहन भागवत ने कहा कि रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास के बीच जारी संघर्षों के मद्देनजर ऐसा प्रतीत हो रहा कि तृतीय विश्व युद्ध का खतरा मंडरा रहा है.
पूरी दुनिया शांति के लिए भारत की ओर आशापूर्ण निगाहों से देख रही है
उन्होंने तीसरे विश्व युद्ध की संभावना के संदर्भ में कहा कि पूरी दुनिया वैश्विक शांति के लिए भारत की ओर आशापूर्ण निगाहों से देख रही है. कहा कि अभी तक दो विश्व युद्ध हुए हैं. दोनों विश्व युद्ध के दौरान बड़े पैमाने पर हुए नरसंहार के बावजूद एक बार फिर तीसरे विश्व युद्ध की संभावना बनी हुई है. संपूर्ण विश्व दो विचारधारा में बंट गया, दुनिया को भस्म करने वाले अस्त्र दुनिया में हर जगह पहुंच चुके हैं.
भागवत ने कहा, भारत विश्व गुरु हो, ऐसा सभी चाहते हैं
मोहन भागवत ने कहा कि भारत विश्व गुरु हो, ऐसा सभी चाहते हैं, लेकिन कुछ लोग अपने स्वार्थ के चलते अड़ंगे डाल रहे हैं. यदि कहूं कि भारत रास्ता दिखायेगा तो यह सही है. वहीं अगर कहूं कि हिंदुत्व रास्ता दिखाता है तो विवाद हो जाता है.
भागवत के अनुसार वर्तमान में धर्म और राजनीति की अवधारणा को व्यवसाय बना दिया गया है. शस्त्रों का व्यापार बढ़ रहा है. ऐसे में दो विश्व युद्ध हुए. विश्व दो विचारधारा में बंट गया. एक आस्तिक विचारधारा है और एक नास्तिक. यह संघर्ष का विषय भी बना, जो बलवान है वह जियेंगे और दुर्बल मरेंगे. इसीलिए आज पूरा विश्व आत्मिक शांति के लिए भारत की तरफ आशापूर्ण नजरों से देख रहा है.
लोगों के पास ज्ञान तो है पर मानवता के कल्याण का मार्ग नहीं है
डॉ. मोहन भागवत का कहना था कि पहले की तुलना में आज विश्व की स्थिति समृद्ध है. लोगों के पास ज्ञान तो है पर उसके पास मानवता के कल्याण का मार्ग नहीं है. भारत के संदर्भ में कहा कि यह समृद्धि की दृष्टि से संपन्न है लेकिन अब उसने अपने ज्ञान को भुला दिया है. कहा कि लंबी सुख सुविधाओं और शांतिपूर्ण जीवन उसका(भारत) मुख्य ध्येय बन गया है, जो गलत है. ऐसे में हमें याद रखना होगा कि गुलामी के दौर वाली सोच से अब बाहर निकलें.
मानवता की सेवा करना सनातन धर्म है, जो हिंदू धर्म का पर्याय है.
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भले ही ग्रामीण इलाकों में कुछ बीमारियों की दवा उपलब्ध नहीं हो, लेकिन देसी कट्टा उपलब्ध है. मोहन भागवत ने कहा कि मानवता की सेवा करना सनातन धर्म है, जो हिंदू धर्म का पर्याय है. उन्होंने कहा कि हिंदुत्व में दुनिया का मार्गदर्शन करने की क्षमता है.
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