आरबीआई वित्त वर्ष 2025 में केंद्र सरकार को सरप्लकस अमाउंट 2.5 लाख करोड़ ट्रांसफर करेगा…

NewDelhi : रिजर्व बैंक (आरबीआई) ऑफ इंडिया से एक बड़ी खबर आयी है आरबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में रिजर्व बैंक केंद्र सरकार को सरप्लरस अमाउंट ट्रांसफर करेगा. खबरों के अनुसार यह राशि 2.5 लाख करोड़ होगी. राशि इससे ज्या दा भी हो सकती है. यह राशि पिछले वित्त वर्ष में […]

Apr 14, 2025 - 17:30
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आरबीआई वित्त वर्ष 2025 में केंद्र सरकार को सरप्लकस अमाउंट 2.5 लाख करोड़ ट्रांसफर करेगा…

NewDelhi : रिजर्व बैंक (आरबीआई) ऑफ इंडिया से एक बड़ी खबर आयी है आरबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में रिजर्व बैंक केंद्र सरकार को सरप्लरस अमाउंट ट्रांसफर करेगा.

खबरों के अनुसार यह राशि 2.5 लाख करोड़ होगी. राशि इससे ज्या दा भी हो सकती है. यह राशि पिछले वित्त वर्ष में दिये गये डिविडेंड की तुलना में ज्यादा है.

अर्थ जगत के जानकारों के अनुसार अगर रिजर्व बैंक यदि इतना डेविडेंड सरकार को ट्रांसफर करता है तो देश की जरूरतें पूरी करने के लिए सरकार को ज्यांदा कर्ज नहीं लेना पड़ेगा.

जान लें कि सरकार के कर्ज का हिसाब आरबीआई के पास होता है. रिजर्व बैंक मई के अंतिम सप्ताह में सरकार को जानकारी देगा कि वह वित्त वर्ष 2025 के लिए कितना सरप्लiस पैसा ट्रांसफर करेगा.

रिजर्व बैंक अपनी सरप्लस इनकम से सरकार को डिविडेंड प्रदान करती है. रिजर्व बैंक यह धन निवेश और डॉलर रखने के बाद वैल्यूएशन में हुई बढ़ोतरी से कमाता है. इस क्रम में करेंसी प्रिंट करने पर मिलने वाली फीस भी इस रकम में शामिल होती है.

जब रिजर्व बैंक को लाभ होता है तो वह उसका कुछ हिस्सा सरकार को देता है. इसका मतलब यह कि रिजर्व बैंक के ज्यादा मुनाफे की वजह से सरकार को फायदा होता है. पिछले साल आरबीआई ने सरकार को 2.10 लाख करोड़ का डिविडेंड दिया था.

सरकारी बॉन्ड के जरिए केंद्रीय बैंक ब्याज कमाता है. विदेशी मुद्रा में से भी कमाई होती है. जानकारी के अनुसार रिजर्व बैंक की बैलेंस शीट में लगभग 70 फीसदी हिस्सा फॉरेन करेंसी एसेट और 20 फीसदी हिस्सा सरकारी बॉन्डों के रूप में है. बैंक डॉलर रिजर्व में रखता है,

कीमत बढ़ने पर उसे बेचने से खासा रिटर्न आता है. एक बात और कि केंद्र सरकार बाजार में लगाने के लिए आरबीआई से जो रक्म लेती है, उससे भी केंद्रीय बैंक की कमाई होती है. आरबीआई विभिन्न कमर्शियल बैंकों को कर्ज देता है. उसके बदले में बैंक आरबीआई को ब्याज देते हैं.

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