चुनाव से पहले फ्री वाली स्कीमें घूस हैं, इसे रोका जाए

New Delhi: राजनीतिक दलों के द्वारा चुनाव से पहले मुफ्त की योजनाओं के वादों पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचुड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है. कर्नाटक के शशांक जे श्रीधर ने याचिका में चुनाव […] The post चुनाव से पहले फ्री वाली स्कीमें घूस हैं, इसे रोका जाए appeared first on lagatar.in.

Oct 16, 2024 - 05:30
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चुनाव से पहले फ्री वाली स्कीमें घूस हैं, इसे रोका जाए

New Delhi: राजनीतिक दलों के द्वारा चुनाव से पहले मुफ्त की योजनाओं के वादों पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचुड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है. कर्नाटक के शशांक जे श्रीधर ने याचिका में चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा किए गए मुफ्त योजनाओं के वादे को रिश्वत घोषित करने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट से यह भी मांग की गई है कि चुनाव आयोग ऐसी योजनाओं पर फौरन रोक लगाए. कोर्ट ने पुरानी याचिकाओं के साथ आज की याचिका को सुनवाई के लिए मर्ज कर लिया.

श्रीधर के वकील विश्वदित्य शर्मा और बालाजी श्रीनिवासन ने याचिका में कहा- चुनाव के बाद फ्रीबीज की योजनाओं को पूरा करने का कोई मैकेनिज्म नहीं है, जिस पर वोट हासिल किए गए थे. मुफ्त योजनाएं और कैश देने के वादे जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत रिश्वत देकर वोट देने के लिए प्रेरित करने की भ्रष्ट प्रथा है. याचिकाकर्ता ने कहा कि, राजनीतिक दल ऐसी योजनाओं को कैसे पूरा करेंगे, यह नहीं बताते. इससे सरकारी खजाने पर बेहिसाब बोझ पड़ता है. यह वोटर्स और संविधान के साथ धोखाधड़ी है. इसलिए इस पर रोक के लिए तत्काल और प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए.

चुनाव आयोग ने कहा था- फ्री स्कीम्स की परिभाषा आप ही तय करें

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान 11 अगस्त को चुनाव आयोग ने कहा था कि फ्रीबीज पर पार्टियां क्या पॉलिसी अपनाती हैं, उसे रेगुलेट करना चुनाव आयोग के अधिकार में नहीं है. चुनावों से पहले फ्रीबीज का वादा करना या चुनाव के बाद उसे देना राजनीतिक पार्टियों का नीतिगत फैसला होता है. इस बारे में नियम बनाए बिना कोई कार्रवाई करना चुनाव आयोग की शक्तियों का दुरूपयोग करना होगा. कोर्ट ही तय करे कि फ्री स्कीम्स क्या हैं और क्या नहीं. इसके बाद हम इसे लागू करेंगे.

झारखंड-महाराष्ट्र में स्कीम्स की भरमार

बता दें कि महाराष्ट्र से लेकर झारखंड तक ऐसी योजनाओं की भरमार देखी गई है. महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई एंट्री पर लगनेवाले सारे टोल टैक्स कारों के लिए माफ कर दिए हैं. इसके अलावा लड़की बहिन य़ोजना का ऐलान हुआ है. वहीं ओबीसी आरक्षण के लिए क्रीमी लेयर बढ़ाने की केंद्र से सिफारिश की गई है. ऐसी ही कई योजनाओं का ऐलान झारखंड से हुआ है. झारखंड में सरकार मुख्यमंत्री मंईयां योजना के तहत करीब 53 लाख महिलाओं को 1000 रुपए प्रतिमाह दे रही है. इसके जवाब में भाजपा गोगो दीदी योजना के तहत 2100 रुपए प्रतिमाह देने का वादा कर रही है. अब झारखंड सरकार ने दिसंबर से हर महिला को प्रतिमाह 2500 रुपए देने का वादा किया है. हरियाणा में भी चुनाव से ठीक पहले सरकार ने ऐसे कई फैसले लिए थे. चुनाव लड़नेवाली कांग्रेस ने भी ऐसे कई ऐलान किए थे. अब ऐसे ही ऐलानों को लेकर शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल की गई है.

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