जब तक गिने-चुने अरबपतियों के हाथों में पैसा रहेगा, देश की अर्थव्यवस्था बदहाल रहेगी : राहुल गांधी
NewDelhi : भारत की जीडीपी वृद्धि दर दो साल में सबसे नीचे 5.4 फीसदी पर आ गयी है. भारतीय अर्थव्यवस्था तब तक तरक्की नहीं कर सकती, जब तक इसका फायदा सिर्फ गिने-चुने अरबपतियों को मिल रहा हो. किसान, मजदूर, मध्यमवर्ग और गरीब तरह-तरह की आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हों. भारत की GDP ग्रोथ रेट […]
NewDelhi : भारत की जीडीपी वृद्धि दर दो साल में सबसे नीचे 5.4 फीसदी पर आ गयी है. भारतीय अर्थव्यवस्था तब तक तरक्की नहीं कर सकती, जब तक इसका फायदा सिर्फ गिने-चुने अरबपतियों को मिल रहा हो. किसान, मजदूर, मध्यमवर्ग और गरीब तरह-तरह की आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हों.
भारत की GDP ग्रोथ रेट दो साल में सबसे नीचे 5.4% पर आ गई है।
बात साफ है – भारतीय अर्थव्यवस्था तब तक तरक्की नहीं कर सकती जब तक इसका फ़ायदा सिर्फ़ गिने-चुने अरबपतियों को मिल रहा हो और किसान, मज़दूर, मध्यमवर्ग और ग़रीब तरह-तरह की आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हों।
इन तथ्यों पर एक नज़र…
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 1, 2024
देश की अर्थव्यवस्था के लिए हमें नयी सोच की जरूरत है
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को एक्स पर पोस्ट कर यह सब कहा. कहा कि जब तक कुछ अरबपति ही जीडीपी का लाभ उठाते रहेंगे, तब तक देश की अर्थव्यवस्था आगे नहीं बढ़ सकती. कहा कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए हमें नयी सोच की जरूरत है. कारोबार के लिए एक नया समझौता उसका महत्वपूर्ण हिस्सा है.
खुदरा महंगाई दर बढ़कर 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21 फीसदी पर
उन्होंने लिखा, खुदरा महंगाई दर बढ़कर 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21 फीसदी पर पहुंच गयी है. पिछले साल अक्तूबर की तुलना में इस वर्ष आलू और प्याज की कीमत लगभग 50 फीसदी बढ़ गयी है. रुपया 84.50 के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. बेरोजगारी पहले ही 45 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ चुकी है. पिछले पांच वर्षों में मजदूरों, कर्मचारियों और छोटे व्यापारियों की आमदनी या तो ठहर गयी है या काफी कम हो गयी है.
सस्ते घरों की कुल बिक्री में हिस्सेदारी घटकर 22 फीसदी रह गयी
उन्होंने लिखा, आमदनी कम होने से मांग में भी कमी आयी है. 10 लाख से कम क़ीमत वाली कारों की बिक्री में हिस्सेदारी घटकर 50 फीसदी से कम हो गयी है, जो 2018-19 में 80 फीसदी थी. राहुल गांधी ने यह भी दावा किया कि सस्ते घरों की कुल बिक्री में हिस्सेदारी घटकर करीब 22 फीसदी रह गयी है, जो पिछले साल 38 फीसदी थी. एफएमसीजी उत्पादों की मांग पहले से ही कम होती जा रही है.
राहुल गांधी के अनुसार कॉरपोरेट कर (टैक्स) का हिस्सा पिछले 10 सालों में सात फीसदी कम हुआ है, जबकि आयकर 11 फीसदी बढ़ा है. नोटबंदी और जीएसटी की मार से अर्थव्यवस्था में विनिर्माण का हिस्सा घटकर 50 वर्षों में सबसे कम सिर्फ 13 फीसदी रह गया है. ऐसे में नयी नौकरियों के अवसर कैसे बनेंगे? इसीलिए भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक नयी सोच चाहिए और कारोबार के लिए एक नया समझौता उसका अहम हिस्सा है. सबको समान रूप से आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा, तभी हमारी अर्थव्यवस्था का पहिया आगे बढ़ेगा.
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