ट्रंप ने BRICS देशों को धमकाया, अमेरिकी डॉलर को चुनौती दी, तो परिणाम भुगतने को तैयार रहें, भारत भी है ब्रिक्स में…
Washington : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप BRICS देशों को धमकी देते हुए कहा है कि ब्रिक्स देश अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं और हम सिर्फ तमाशबीन बने हुए हैं, लेकिन अब ये नहीं चलेगा. ट्रंप ने कहा कि वे चाहते हैं कि ये हॉस्टाइल देश अमेरिकी डॉलर के […]
Washington : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप BRICS देशों को धमकी देते हुए कहा है कि ब्रिक्स देश अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं और हम सिर्फ तमाशबीन बने हुए हैं, लेकिन अब ये नहीं चलेगा. ट्रंप ने कहा कि वे चाहते हैं कि ये हॉस्टाइल देश अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने के लिए ना तो नयी ब्रिक्स करेंसी बनायें और ना ही किसी अन्य करेंसी को सपोर्ट करें. नहीं तो ब्रिक्स देशों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाया जायेगा.
The idea that the BRICS Countries are trying to move away from the Dollar, while we stand by and watch, is OVER. We are going to require a commitment from these seemingly hostile Countries that they will neither create a new BRICS Currency, nor back any other Currency to replace…
— Donald J. Trump Posts From His Truth Social (@TrumpDailyPosts) January 31, 2025
हमारी बात नहीं मानी तो ब्रिक्स देशों के लिए अमेरिकी बाजार के दरवाजे बंद हो जायेंगे
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका चाहता है कि ब्रिक्स देश यह समझ लें कि वे अमेरिकी डॉलर को रिप्लेस नहीं कर सकते. ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर पोस्ट कर ब्रिक्स देशों को चेताया है. ट्रंप ने कहा कि हमारी बात नहीं मानी तो इन देशों के लिए अमेरिकी बाजार के दरवाजे बंद हो जाएंगे. इसकी संभावना ही नहीं है कि ब्रिक्स देश इंटरनेशनल बाजार में अमेरिकी डॉलर की जगह किसी अन्य करेंसी को तरजीह दें.
ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका भी हैं शामिल
ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, ईरान और यूएई जैसे दुनिया के अहम देश शामिल हैं. तुर्की, अजरबैजान और मलेशिया ने भी ब्रिक्स की सदस्यता के लिए इच्छा जाहिर की है. जान लें कि डोनाल्ड ट्रंप ने शपथ लेने के बाद सबसे पहले ओवल ऑफिस में कई कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किये थे. उसी समय उन्होंने ब्रिक्स देशों को धमकाया था. कहा था कि अगर ब्रिक्स देश अमेरिका विरोधी नीतियां लाने की कोशिश करेंगे है तो अंजाम भुगतने को तैयार रहें. दरअसल ब्रिक्स देश चाहते हैं कि अमेरिकी डॉलर और यूरो पर वैश्विक निर्भरता कम हो और आर्थिक हितों के लिए एक नयी साझा करेंसी शुरू की जाये.
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