तहव्वुर राणा का भारत आने का रास्ता साफ, अमेरिका की अदालत ने सुनाया फैसला

तहव्वुर राणा को भारत को सौंपा जा सकता : अमेरिकी अदालत Washington :  मुंबई आतंकवादी हमलों में संलिप्तता के आरोपी और पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर राणा को ‘यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर नाइंथ सर्किट से बड़ा झटका लगा है. अदालत ने तहव्वुर राणा को भारत अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत को प्रत्यर्पित […] The post तहव्वुर राणा का भारत आने का रास्ता साफ, अमेरिका की अदालत ने सुनाया फैसला appeared first on lagatar.in.

Aug 17, 2024 - 17:30
 0  2
तहव्वुर राणा का भारत आने का रास्ता साफ, अमेरिका की अदालत ने सुनाया फैसला

तहव्वुर राणा को भारत को सौंपा जा सकता : अमेरिकी अदालत

Washington :  मुंबई आतंकवादी हमलों में संलिप्तता के आरोपी और पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर राणा को ‘यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर नाइंथ सर्किट से बड़ा झटका लगा है. अदालत ने तहव्वुर राणा को भारत अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत को प्रत्यर्पित (सौंपा) किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि भारत अमेरिका प्रत्यर्पण संधि राणा के प्रत्यर्पण की अनुमति देती है. बता दें कि तहव्वुर राणा अमेरिका की जेल में बंद है. उस पर मुंबई हमलों में संलिप्तता का आरोप है. साथ ही उसे पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली का साथी माना जाता है, जो 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है. इन आतंकवादी हमलों में छह अमेरिकी नागरिकों समेत कुल 166 लोगों की मौत हो गयी थी.

अमेरिकी ‘डिस्ट्रिक्ट कोर्ट’ के आदेश के खिलाफ राणा ने दायर की थी याचिका

दरअसल तहव्वुर राणा ने कैलिफोर्निया में अमेरिकी ‘डिस्ट्रिक्ट कोर्ट’ के आदेश के खिलाफ ‘यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर नाइंथ सर्किट’ में याचिका दायर की थी. कैलिफोर्निया की अदालत ने उसकी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को अस्वीकार कर दिया था. राणा की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में मुंबई में आतंकवादी हमलों में राणा की कथित संलिप्तता के लिए उसे भारत प्रत्यर्पित किये जाने के मजिस्ट्रेट न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दी गयी थी. ‘यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर नाइंथ सर्किट’ के न्यायाधीशों के पैनल ने ‘डिस्ट्रिक्ट कोर्ट’ के फैसले की पुष्टि की. प्रत्यर्पण आदेश की बंदी प्रत्यक्षीकरण समीक्षा के सीमित दायरे के तहत, पैनल ने माना कि राणा पर लगाये गये आरोप अमेरिका और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि की शर्तों के अंतर्गत आते हैं. इस संधि में प्रत्यर्पण के लिए ‘नॉन बिस इन आइडेम’ (किसी व्यक्ति को एक अपराध के लिए दो बार दंडित नहीं किये जाने का सिद्धांत) अपवाद शामिल है. जिस देश से प्रत्यर्पण का अनुरोध किया गया हो, यदि ‘‘वांछित व्यक्ति को उस देश में उन अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया हो या दोषमुक्त कर दिया गया हो, जिनके लिए प्रत्यर्पण का अनुरोध किया गया है’’, तो ऐसी स्थिति में यह अपवाद लागू होता है.

राणा का अपराध साबित करने के लिए भारत ने पर्याप्त सक्षम सबूत पेश किये

पैनल ने संधि की विषय वस्तु, विदेश मंत्रालय के तकनीकी विश्लेषण और अन्य सर्किट अदालतों में इस प्रकार के मामलों पर गौर करते हुए माना कि कि अपराध’’ शब्द अंतर्निहित कृत्यों के बजाय आरोपों को संदर्भित करता है. इसके लिए प्रत्येक अपराध के तत्वों का विश्लेषण आवश्यक है. तीन न्यायाधीशों के पैनल ने निष्कर्ष निकाला कि सह-साजिशकर्ता की दलीलों के आधार पर किया गया समझौता किसी अलग नतीजे पर पहुंचने के लिए बाध्य नहीं करता. पैनल ने माना कि ‘नॉन बिस इन आइडेम’ अपवाद इस मामले पर लागू नहीं होता, क्योंकि भारतीय आरोपों में उन आरोपों से भिन्न तत्व शामिल हैं, जिनके लिए राणा को अमेरिका में बरी कर दिया गया था. पैनल ने अपने फैसले में यह भी माना कि भारत ने मजिस्ट्रेट जज के इस निष्कर्ष का समर्थन करने के लिए पर्याप्त सक्षम सबूत पेश किये हैं कि राणा ने वे अपराध किये हैं, जिनका उस पर आरोप लगाया गया है. पैनल के तीन न्यायाधीशों में मिलन डी स्मिथ, ब्रिजेट एस बेड और सिडनी ए फिट्जवाटर शामिल थे.

 रिहाई के बाद भारत ने राणा को प्रत्यर्पण का किया था अनुरोध 

पाकिस्तानी नागरिक राणा पर अमेरिका की एक जिला अदालत में मुंबई में बड़े पैमाने पर आतंकवादी हमले करने वाले एक आतंकवादी संगठन को समर्थन देने के आरोप में मुकदमा चलाया गया था. जूरी ने राणा को एक विदेशी आतंकवादी संगठन को सहायता प्रदान करने और डेनमार्क में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने की नाकाम साजिश में सहायता प्रदान करने की साजिश रचने का दोषी ठहराया था. हालांकि, इस जूरी ने भारत में हमलों से संबंधित आतंकवादी कृत्यों में सहायता प्रदान करने की साजिश रचने के आरोप से राणा को बरी कर दिया था. राणा को जिन आरोपों के तहत दोषी ठहराया गया था, उसने उनके लिए सात साल जेल में काटे. राणा की रिहाई के बाद भारत ने मुंबई हमलों में उसकी संलिप्तता के मामले में उस पर मुकदमा चलाने के लिए उसके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया था. राणा को प्रत्यर्पित किये जा सकने का सबसे पहले फैसला सुनाने वाले मजिस्ट्रेट न्यायाधीश के समक्ष उसने दलील दी थी कि भारत के साथ अमेरिका की प्रत्यर्पण संधि उसे ‘नॉन बिस इन आइडेम’ प्रावधान के कारण प्रत्यर्पण से संरक्षण प्रदान करती है. उन्होंने यह भी दलील दी थी कि भारत ने यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं दिये कि अपराध उसने ही किये हैं. अदालत ने राणा की इन दलीलों को खारिज करने के बाद उसे प्रत्यर्पित किये जा सकने का प्रमाणपत्र जारी किया था.

The post तहव्वुर राणा का भारत आने का रास्ता साफ, अमेरिका की अदालत ने सुनाया फैसला appeared first on lagatar.in.

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow