धनबाद : तोपचांची में महिलाओं ने सिंदूर खेला के साथ मां दुर्गे को दी विदाई
Topchanchi : विजयादशमी के मौके पर तोपचांची के सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में महिलाओं ने सिंदूर खेलकर नम आंखों से मां दुर्गा को विदाई दी. सुहागिन महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर मां दुर्गे से अखंड सौभाग्यवती रहने की कामना की. इसके बाद कलश का विसर्जन किया गया. महिलाओं ने पहले मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित […] The post धनबाद : तोपचांची में महिलाओं ने सिंदूर खेला के साथ मां दुर्गे को दी विदाई appeared first on lagatar.in.
Topchanchi : विजयादशमी के मौके पर तोपचांची के सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में महिलाओं ने सिंदूर खेलकर नम आंखों से मां दुर्गा को विदाई दी. सुहागिन महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर मां दुर्गे से अखंड सौभाग्यवती रहने की कामना की. इसके बाद कलश का विसर्जन किया गया. महिलाओं ने पहले मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित किया. इसके बाद एक-दूसरे को सिंदूर लगाया.
सिंदूर खेला का है विशेष महत्व
विजयादशमी पर सिंदूर खेला का विशेष महत्व है. शारदीय नवरात्र के अंतिम दिन दुर्गापूजा और दशहरा के अवसर पर महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करती हैं. जिसे सिंदूर खेला हैं. इस दिन पंडालों में सुहागिन महिलाएं मां दुर्गे को सिंदूर अर्पित कर आपस में एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं. यह खास उत्सव मां की विदाई के रूप में मनाया जाता है. सिंदूर खेला के दिन पान के पत्तों से मां दुर्गा के गालों को स्पर्श करते हुए उनकी मांग और माथे पर सिंदूर लगाकर महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती हैं. इसके बाद मां को पान और मिठाई का भोग लगाया जाता है. माना जाता है कि नवरात्र में मां दुर्गा 10 दिनों के लिए अपने मायके आती हैं. इन्हीं 10 दिनों को दुर्गा उत्सव के रूप में मनाया जाता है. 10वें दिन माता पार्वती अपने घर भगवान शिव के पास वापस कैलाश पर्वत चली जाती हैं.
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