नहीं होगा सरना झंडा का राजनीतिक इस्तेमाल

सरना झंडा इस्तेमाल पर आदिवासी संगठनों के बीच विवाद के बाद सर्वसम्मत निर्णय Ranchi : राजनीतिक कार्यक्रमों में सरना आदिवासियों के धार्मिक सरना झंडा इस्तेमाल को लेकर आदिवासी संगठनों में ही आपसी विवाद उत्पन्न हो गया. बुधवार को सरना झंडा का राजनीतिक कार्यक्रम में इस्तेमाल के विरोध में केंद्रीय धुमकुड़िया भवन करम टोली में एक […]

May 9, 2024 - 01:45
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नहीं होगा सरना झंडा का राजनीतिक इस्तेमाल

सरना झंडा इस्तेमाल पर आदिवासी संगठनों के बीच विवाद के बाद सर्वसम्मत निर्णय

Ranchi : राजनीतिक कार्यक्रमों में सरना आदिवासियों के धार्मिक सरना झंडा इस्तेमाल को लेकर आदिवासी संगठनों में ही आपसी विवाद उत्पन्न हो गया. बुधवार को सरना झंडा का राजनीतिक कार्यक्रम में इस्तेमाल के विरोध में केंद्रीय धुमकुड़िया भवन करम टोली में एक बैठक आयोजित की गयी. बैठक में थोड़े से विवाद के बाद सर्वसम्मत निर्णय किया गया कि राजनीतिक कार्यक्रमों में सरना झंडा का इस्तेमाल किसी भी हाल में नहीं होने दिया जाएगा.

बैठक में आदिवासी समन्वय समिति के संयोजक लक्ष्मी नारायण मुंडा, कांके सरना समिति के अध्यक्ष डब्लू मुंडा, आदिवासी सदान मोर्चा के सूरज टोप्पो सहित कई आदिवासी एवं सामाजिक संगठनों के लोग उपस्थित थे. बैठक में हाल में संपन्न न्याय उलगुलान महारैली और सुबोधकांत सहाय के नामांकन सभा में सरना झंडा इस्तेमाल का विरोध किया गया. बीच बैठक में ही केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की कुंदरसी मुंडा, जय आदिवासी केंद्रीय परिषद की निरंजना हेंरेज, आदिवासी जनपरिषद के अध्यक्ष प्रेमशाही मुंडा आदि पहुंच गए. इन्होंने कहा कि यह अक्सर होता है. कोई नई बात नहीं है. विरोध हो तो हर राजनीतिक कार्यक्रम का हो. अजय तिर्की ने कहा कि इन सब मुद्दों को लेकर सभी संगठनों को एक साथ बैठकर बात करनी चाहिए. तिर्की के इतने कहने पर बैठक आयोजित करने वाले संगठन और अगुवा भड़क गए. दोनों गुटों में बहस और नोंक-झोंक हुई. बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए लक्ष्मी नारायण मुंडा ने कहा कि सरना झंडा का गलत उपयोग हो रहा है. सरना झंडा के प्रति आस्था खत्म हो रही है. सरना झंडा का इस्तेमाल राजनीतिक कार्यक्रमों में देखा जा रहा है, जिससे आदिवासी समाज काफी आहत है. सरना झंडा का उपयोग राजनीति पार्टियों में न दिखे.

आदिवासी मूलवासी संघ के अध्यक्ष सूरज टोप्पो ने कहा कि सरना झंडा का मुद्दा धार्मिक है. सामाजिक और राजनीतिक पार्टियां सरना झंडा का गलत उपयोग कर रही हैं. आदिवासी समाज का प्रतीक चिह्न सरना झ़ंडा का उपयोग हक और अधिकार की लडाई में होना चाहिए. सरना झंडा का आदिवासी समाज में धार्मिक महत्व है. धार्मिक चीजों का गलत इस्तेमाल हर हाल में रोका जाएगा. 12 पड़हा के संरक्षक सघन उरांव ने कहा कि सरना झंडा से आदिवासियों की पहचान होती है. इसी के साथ आदिवासी समाज आस्था से पूजा-पाठ करते आ रहा है. जिस झंडा से आदिवासी समाज को प्रेरणा मिलती है. इस झंडा का राजनीतिक कार्यक्रम में उपयोग करने से आदिवासी समाज काफी आहत होता है. कांके रोड सरना समिति के अध्यक्ष डबलू मुंडा ने कहा कि राजनीति पार्टियों में सरना झंडा का गलत उपयोग किया जा रहा है. उलगुलान महारैली में, इंडिया गठबंधन में भी सरना झंडा का उपयोग हो रहा है. महाराजा मदरा मुंडा केंद्रीय पड़हा के साधु लाल मुंडा ने कहा कि सरना झंडा का उपयोग राजनीति पार्टियों में करना ग़लत है. सरना झंडा का उपयोग राजनीति पार्टियों में न कर इसे हक अधिकार की रैली में किया जाना चाहिए.

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