नितिन गडकरी ने कहा, शासक को अपनी आलोचनाओं पर आत्मचिंतन करना चाहिए…बर्दाश्त करना चाहिए, इशारा किधर
अगर विचारकों, दार्शनिकों और लेखकों को लगता है कि उनके विचार देश और समाज के हित में हैं, तो उन्हें अपनी राय बेहिचक रखनी चाहिए. Mumbai : राजा (शासक) को ऐसा होना चाहिए कि यदि कोई उसके खिलाफ बात करे, तो उसे बर्दाश्त करे. आलोचनाओं का आत्मचिंतन करे. यही लोकतंत्र की सबसे बड़ी परीक्षा होती […] The post नितिन गडकरी ने कहा, शासक को अपनी आलोचनाओं पर आत्मचिंतन करना चाहिए…बर्दाश्त करना चाहिए, इशारा किधर appeared first on lagatar.in.
अगर विचारकों, दार्शनिकों और लेखकों को लगता है कि उनके विचार देश और समाज के हित में हैं, तो उन्हें अपनी राय बेहिचक रखनी चाहिए.
Mumbai : राजा (शासक) को ऐसा होना चाहिए कि यदि कोई उसके खिलाफ बात करे, तो उसे बर्दाश्त करे. आलोचनाओं का आत्मचिंतन करे. यही लोकतंत्र की सबसे बड़ी परीक्षा होती है. ये विचार केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के हैं. श्री गडकरी इन दिनों लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं. गडकरी पुणे में शुक्रवार को MIT वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी में पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे.
Pune | Union Minister Nitin Gadkari says, “I have been doing politics for the last several years and I only do social service. I never compromise with my convictions in politics. During the Lok Sabha elections, people of various castes and religions came to meet me. I openly said… pic.twitter.com/OO3GygFtzV
— ANI (@ANI) September 21, 2024
संविधान सभी को अभिव्यक्ति की आजादी देता है
मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, इस समय हमारा देश मतभेदों की नहीं, बल्कि मतभेदों की कमी की समस्या से जूझ रहा है. कहा कि अगर विचारकों, दार्शनिकों और लेखकों को लगता है कि उनके विचार देश और समाज के हित में हैं, तो उन्हें अपनी राय बेहिचक रखनी चाहिए.श्री गडकरी ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि संविधान सभी को अभिव्यक्ति की आजादी देता है.हमें लोकतंत्र की जननी कहा जाता है, जो विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया के चार स्तंभों पर खड़ा है. यही संविधान विचारकों को बिना किसी डर के राष्ट्रहित में अपनी राय रखने की अनुमति देता है.
मैं पिछले कई सालों से राजनीति कर रहा हूं और मैं सिर्फ समाज सेवा करता हूं
नितिन गडकरी ने कहा, मैं पिछले कई सालों से राजनीति कर रहा हूं और मैं सिर्फ समाज सेवा करता हूं. मैं राजनीति में अपने विचारों से कभी समझौता नहीं करता. लोकसभा चुनाव के दौरान विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग मुझसे मिलने आये. मैंने खुलकर कहा कि कोई भी व्यक्ति अपनी जाति या धर्म से महान नहीं होता, व्यक्ति अपने गुणों से महान होता है. हमारे संतों ने हमें सिखाया है कि समाज से जाति, धर्म, ऊंच-नीच के आधार पर सभी भेदभाव समाप्त होने चाहिए और सामाजिक और आर्थिक समानता स्थापित होनी चाहिए. इसलिए मैं किसी के दबाव में नहीं आता…सभी का कल्याण होना चाहिए लेकिन चुनाव के दौरान जाति की बात नहीं होनी चाहिए.
विपक्ष के एक नेता ने पीएम पद के लिए समर्थन देने की बात कही थी
गडकरी ने कहा कि आजकल राजनीति (भारतीय) में जो हो रहा है, वह दूसरी जगहों (विदेशों में) पर भी हुआ है. कहा कि वहां पार्टियों का अस्तित्व तक खत्म हो गया. बता दें कि नितिन गडकरी ने इससे पूर्व 14 सितंबर को कहा था कि एक बार विपक्ष के एक नेता ने उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन देने की बात कही थी. गडकरी ने यह भी कहा था कि य़ह ऑफर उन्होंने यह कहकर ठुकरा दिया कि उनकी इस तरह की कोई लालसा नहीं है. मैंने उनसे पूछा कि आप मेरा समर्थन क्यों करना चाहते हैं. और मुझे आपका समर्थन क्यों लेना चाहिए?
पीएम बनना मेरे जीवन का लक्ष्य नहीं है
मैंने कहा था कि पीएम बनना मेरे जीवन का लक्ष्य नहीं है. कहा था कि मैं अपने संगठन के प्रति वफादार हूं. मैं किसी भी पद के लिए समझौता नहीं करूंगा. यह भी जान लें कि भाजपा नेता व मंत्री नितिन गडकरी ने इससे पहले जातिगत राजनीति को लेकर गोवा के एक कार्यक्रम में कहा था कि महाराष्ट्र में अभी जातिवाद की पॉलिटिक्स हो रही है. मैं जात-पात को नहीं मानता. जो जात की बात करेगा, उसको कसकर लात मारूंगा.
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