पीएम ने 10 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 65 लाख स्वामित्व संपत्ति कार्ड बांटे, कहा, संपत्ति का अधिकार भी बड़ी चुनौती
NewDelhi : पीएम मोदी ने आज शनिवार को 10 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 65 लाख स्वामित्व संपत्ति कार्ड का वितरण किया. पीएम मोदी कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल हुए. उन्होंने आज के दिन को अहम करार देते हुए कहा, 5 साल पहले यह योजना शुरू की गयी थी, ताकि गांव में रहने वालों […]
NewDelhi : पीएम मोदी ने आज शनिवार को 10 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 65 लाख स्वामित्व संपत्ति कार्ड का वितरण किया. पीएम मोदी कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल हुए. उन्होंने आज के दिन को अहम करार देते हुए कहा, 5 साल पहले यह योजना शुरू की गयी थी, ताकि गांव में रहने वालों को उनके घर का कानूनी प्रमाण दिया जा सके.
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi says “In the 21st century, there are so many challenges like climate change, water shortage, health crisis, epidemics. But the world has been facing one more big challenge. This challenge is of property rights. Many years ago, the United… pic.twitter.com/MUGSkLpILu
— ANI (@ANI) January 18, 2025
सवा 2 करोड़ लोगों को अपने घर के पक्के कानूनी दस्तावेज मिले
पीएम मोदी ने कहा, योजना के तहत गांवों के लगभग सवा 2 करोड़ लोगों को अपने घर के पक्के कानूनी दस्तावेज मिले है. पहले गांव में लोगों के पास लाखों करोड़ की संपत्ति होने के बावजूद उसकी इतनी कीमत नहीं मिलती थी. इसका कारण था कि क उनके पास कोई कानूनी दस्तावेज नहीं होते थे. पीएम मोदी ने इस क्रम में कहा, घर की मिलकियत को लेकर परिवारों के विवाद होते रहते थे. कानूनी दस्तावेज के बिना बैंक भी लोन नहीं देते थे. और ऐसा दशकों तक चलता रहा. पीएम ने कहा कि 2014 में जब केंद्र में हमारी सरकार बनी तो हमने इस मुद्दे से निपटने की योजना बनाई. संपत्ति कार्ड का वितरण कार्यक्रम में कई राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, संबंधित राज्यों के मंत्री और पंचायत प्रतिनिधि वर्चुअली शामिल हुए.
संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया के कई देशों में जमीन-जायदाद को लेकर एक अध्ययन किया था.
नरेंद्र मोदी ने कहा कि 21वीं सदी में जलवायु परिवर्तन, पानी की कमी, स्वास्थ्य संकट, महामारी जैसी कई चुनौतियां हैं. लेकिन दुनिया में एक और बड़ी चुनौती संपत्ति के अधिकार की है. कई साल पहले संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया के कई देशों में ज़मीन-जायदाद को लेकर एक अध्ययन किया था. संयुक्त राष्ट्र ने साफ़ कहा था कि अगर ग़रीबी कम करनी है तो लोगों के पास संपत्ति का अधिकार होना बहुत ज़रूरी है. भारत भी इस बड़ी चुनौती से अछूता नहीं था, हमारी स्थिति भी यही थी. भारत के गांवों में लाखों-करोड़ों रुपए की संपत्ति होने के बावजूद भी उसका उतना मूल्य नहीं था. इसकी वजह यह थी कि अक्सर लोगों के पास अपने घरों के कानूनी दस्तावेज़ नहीं होते थे, इसलिए घर के मालिकाना हक़ को लेकर विवाद होते थे. कई जगहों पर तो ताकतवर लोग घरों पर कब्ज़ा कर लेते थे.
बता दें कि इस योजना के तहत ड्रोन तकनीक के जरिए जमीन की मैपिंग और मालिकों का एक रिकॉर्ड तैयार किया जाता है. इसके बाद संपत्ति के मालिकों को एक कार्ड मुहैया कराया जाता है. खबरों के अनुसार जिन 12 राज्यों में आज यह कार्ड बांटे गये, उनमें 230 जिलों के 50 हजार से ज्यादा गांव शामिल हैं। अब तक 1.53 लाख से ज्यादा गांवों के लिए लगभग 2.25 करोड़ संपत्ति कार्ड तैयार किये जा चुके हैं।
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