बयानों में दिखने लगी है चंपाई सोरेन की पीड़ा : बाबूलाल

हेमंत को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और विधायकों पर भरोसा नहीं चंपाई सोरेन ने धीरे-धीरे सकारत्मक राजनीति की ओर कदम बढ़ाया था Ranchi :  चंपाई सोरेन को हटाकर हेमंत सोरेन के सीएम बनने पर झारखंड में सिसायत गर्म है. विपक्षी पार्टी बीजेपी लगातार जेएमएम और हेमंत सोरेन पर हमलावर हो रही है. बीजेपी के प्रदेश […]

Jul 6, 2024 - 17:31
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बयानों में दिखने लगी है चंपाई सोरेन की पीड़ा : बाबूलाल
पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी (फाइल)
  • हेमंत को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और विधायकों पर भरोसा नहीं
  • चंपाई सोरेन ने धीरे-धीरे सकारत्मक राजनीति की ओर कदम बढ़ाया था

Ranchi :  चंपाई सोरेन को हटाकर हेमंत सोरेन के सीएम बनने पर झारखंड में सिसायत गर्म है. विपक्षी पार्टी बीजेपी लगातार जेएमएम और हेमंत सोरेन पर हमलावर हो रही है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी निशाना साधते हुए कहा है कि पूर्व सीएम चंपाई सोरेन की पीड़ा बयानों में दिखने लगी है. मरांडी ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा है कि हेमंत सोरेन में असुरक्षा की भावना इस कदर घर कर गयी है कि उन्हें अपने ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और विधायकों पर भरोसा नहीं रहा. हेमंत सोरेन और उनका परिवार झामुमो के आदिवासी नेताओं और कार्यकर्ताओं को सिर्फ दरी बिछाने और झंडा ढोने के योग्य समझता है. चंपाई सोरेन ने धीरे-धीरे ही सही लेकिन सकारत्मक राजनीति की ओर कदम बढ़ाया था. पार्टी कैडरों के बीच चंपाई की बढ़ती स्वीकार्यता देख हेमंत विचलित हो उठे. चंपाई के प्रकरण को देखकर अब उम्मीद है कि जल-जंगल-जमीन और झारखंड राज्य का आंदोलन करने वाले आदिवासी नेता और कार्यकर्ता झारखंड की अस्मिता और यहां के संसाधनों को किसी बदमिजाजी, सनकी और परिवारवादी व्यक्ति के हाथ में नहीं सौंपेंगे.

नियुक्ति में बाधा डालना जेएमएम-कांग्रेस सरकार की बन गयी है संस्कृति

बाबूलाल ने अपने दूसरे एक्स पोस्ट में कहा कि पिछले 5 सालों से जानबूझकर युवाओं की नियुक्ति में बाधा डालना जेएमएम कांग्रेस सरकार की संस्कृति बन गयी है. नौकरी के लिए कोर्ट-कचहरी से लेकर सड़क पर आंदोलन करते-करते राज्य के लाखों परीक्षार्थी हताश और निराश हो चुके हैं. जनवरी में संपन्न हुई जेएसएससी-सीजीएल की परीक्षा हेमंत सरकार के संरक्षण में पेपर लीक होने की वजह से रद्द हो गयी थी. दोबारा से जेएसएससी-सीजीएल की परीक्षा आयोजित करने की ओर सरकार एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा पायी है. इंडी गठबंधन की सरकार ने दिखावे का नियुक्ति कैलेंडर जारी कर युवाओं को फिर से धोखा ही दिया है. सरकार, युवाओं की मांग पर संज्ञान लेकर यथाशीघ्र अगस्त माह में ही जेएसएससी-सीजीएल की परीक्षा पारदर्शी ढंग से आयोजित करे.

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