बांग्लादेश के लिए थी वोटर टर्नआउट फंडिंग…जयराम रमेश ने कहा, झूठ पहले वाशिंगटन में बोला गया, फिर झूठ को भाजपा ने बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया
NewDelhi : भारत में वोटर टर्नआउट फंडिंग(अमेरिकी) को लेकर देश में कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी है. कांग्रेस नेता और सांसद जयराम रमेश ने फंडिंग रिपोर्ट को शेयर करते हुए एक्स पर लिखा, झूठ सबसे पहले वाशिंगटन में बोला गया, फिर झूठ को भाजपा की झूठ सेना द्वारा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया, अब […]
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NewDelhi : भारत में वोटर टर्नआउट फंडिंग(अमेरिकी) को लेकर देश में कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी है. कांग्रेस नेता और सांसद जयराम रमेश ने फंडिंग रिपोर्ट को शेयर करते हुए एक्स पर लिखा, झूठ सबसे पहले वाशिंगटन में बोला गया, फिर झूठ को भाजपा की झूठ सेना द्वारा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया, अब इस झूठ का पर्दाफाश हो गया है क्या इसके लिए माफी मांगी जायेगी.
झूठ सबसे पहले वाशिंगटन में बोला गया.
फिर झूठ को भाजपा की झूठ सेना द्वारा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया.
गोदी मीडिया पर बहस के लिए झूठ गढ़ा गया.
अब झूठ का पूरी तरह से पर्दाफाश हो गया है.
क्या झूठे लोग माफी मांगेंगे? pic.twitter.com/7Q4xmM7Gsr
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) February 21, 2025
भारत सरकार को जल्द से जल्द एक श्वेत पत्र जारी करना चाहिए
दरअसल इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 21 मिलियन डॉलर की जो वोटर टर्नआउट फंडिंग भारत को की जाने वाली थी, वो बांग्लादेश के लिए थी. रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप और एलन मस्क की जल्दबाज़ी में गड़बड़ी हुई है. जयराम रमेश ने कहा, अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा किये जा रहे दावे कम से कम कहने के लिए तो बेतुके हैं. फिर भी भारत सरकार को जल्द से जल्द एक श्वेत पत्र जारी करना चाहिए, जिसमें दशकों से USAID द्वारा सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों को दिए गए समर्थन का विस्तृत विवरण हो.
फंडिंग बांग्लादेश के लिए थी, शेख हसीना के कार्यकाल, 2022 में जारी हुई
रिपोर्ट दावा करती है कि फंडिंग बांग्लादेश के लिए थी. यह शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान 2022 में अमेरिका की ओर से जारी हुई थी. फंडिंग के तहत 13.4 मिलियन डॉलर पहले ही बांग्लादेश को दिये जा चुके थे. यह राशि बांग्लादेश को तब तक दी गयी थी, जब शेख हसीना के बांग्लादेश के पीएम का पद छोड़ने और तख्तापलट में सिर्फ सात माह बाकी थे.
2008 के बाद से भारत में USAID की कोई परियोजना नहीं
रिपोर्ट में कहा गया है कि कि USAID को कंसोर्टियम फॉर इलेक्शन्स एंड पॉलिटिकल प्रोसेस स्ट्रेंथनिंग (CEPPS) के जरिए 486 मिलियन डॉलर मिले थे. लेकिन DOGE के अनुसार इसमें मोल्दोवा के लिए 22 मिलियन डॉलर और भारत में मतदान के लिए 21 मिलियन डॉलर भी शामिल थे. हालांकि अमेरिका के संघीय व्यय के डेटा के अनुसार 2008 के बाद से भारत में USAID की कोई CEPPS परियोजना नहीं थी.
राशि बांग्लादेश के आमार वोट आमार परियोजना के लिए मंजूर की गयी
CEPPS को 21 मिलियन डॉलर के वोटर टर्नआउट से मिलता-जुलता सिर्फ एक ही अनुदान मिला था जो जुलाई 2022 में बांग्लादेश के आमार वोट आमार (मेरा वोट मेरा है) परियोजना के लिए मंजूर किया गया था. रिकॉर्ड्स से जानकारी सामने आयी है कि 2022 से 2025 तक मदद की इस राशि में से 13.4 मिलियन डॉलर खर्च हो चुके हैं.
221 एक्शन प्रोजेक्ट्स 10,264 विश्वविद्यालय तक पहुंचे
5 अगस्त 2024 को शेख हसीना के पद से हटने के बाद ढाका विश्वविद्यालय के माइक्रो गवर्नेंस रिसर्च के निदेशक एसोसिएट प्रोफेसर अयनुल इस्लाम ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट किया था कि बांग्लादेश के विश्वविद्यालयों में 2022 से 544 युवा कार्यक्रमों और कार्यक्रमों को इसका श्रेय जाता है. 221 एक्शन प्रोजेक्ट्स और 170 लोकतंत्र सत्रों के माध्यम से सीधे 10,264 विश्वविद्यालय तक पहुंचे. लिखा कि यह सब अमेरिकी मदद USAID और IFES की सहायता से हो पाया है.
राशि के इस्तेमाल से बांग्लादेश में हुए दंगे!
सवाल यह है कि 2024 में बांग्लादेश में नौकरी में आरक्षण कोटा के विरोध के नाम पर जो छात्र आंदोलन भड़का और प्रदर्शन हुए, क्या उसमें इसी फंड का इस्तेमाल किया गया था? यह सवाल अब इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद फिर उभर रहा है. क्योंकि एसोसिएट प्रोफेसर इस्लाम ने इस बात की पुष्टि की है कि USAID ने IFES के जरिए नागरिक कार्यक्रमों को फंडिंग की थी. बांग्लादेश में दो उप-अनुदान लेने वाले NDI और IRI की रिपोर्ट से जानकारी सामने आयी है कि उन्होंने बांग्लादेश के 7 जनवरी 2024 को होने वाले चुनाव से पूर्व और बाद में संभावित हिंसा की निगरानी के लिए PEAM औऱ TAM संयुक्त तौर पर संचालन किया था.
DOGE ने 16 फरवरी को इस फंडिंग को भारत का बता कर रद्द की
अब इस बात पर नजर डालें कि टेक दिग्गज एलन मस्क के नेतृत्व वाले अमेरिका के DOGE, डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (सरकारी दक्षता विभाग) ने 16 फरवरी को भारत को 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग रद्द की, जिसे डोनाल्ड ट्रंप ने सही करार दिया था. कहा था कि भारत खुद सशक्त है, उसके पास इतना पैसा है तो अमेरिका भारत को फंडिंग क्यों कर रहा है.
जो बाइडेन भारत के चुनाव में किसी और को जिताना चाहते थे
उन्होंने यह कह कर सनसनी फैला दी कि शायद जो बाइडेन भारत के चुनाव में किसी और को जिताना चाहते थे इसलिए उन्होंने ये फंडिंग जारी की थी. भारत में भी इस मुद्दे पर बवाल मचा हुआ है. भाजपा ने इसे कांग्रेस की UPA सरकार के दौरान विदेशी ताकतों को भारत में घुसपैठ की परमिशन करार दिया, वहीं कांग्रेस ने इस मामले की जांच करने की मांग कर रही है.
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