मनोज कुमार पंचतत्व में विलीन, राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार, बॉलीवुड के दिग्गज हुए शामिल

LagatarDesk :   भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता मनोज कुमार पंचतत्व में विलीन हो गये. आज शनिवार को मुंबई के पवनहंस श्मशान घाट पर राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. उनके बेटे कुणाल गोस्वामी ने मुखाग्नि दी. इससे पहले शनिवार की सुबह मनोज कुमार का पार्थिव शरीर कोकीलाबेन अस्पताल से उनके जुहू स्थित […]

Apr 5, 2025 - 17:30
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मनोज कुमार पंचतत्व में विलीन, राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार, बॉलीवुड के दिग्गज हुए शामिल

LagatarDesk :   भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता मनोज कुमार पंचतत्व में विलीन हो गये. आज शनिवार को मुंबई के पवनहंस श्मशान घाट पर राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. उनके बेटे कुणाल गोस्वामी ने मुखाग्नि दी.

इससे पहले शनिवार की सुबह मनोज कुमार का पार्थिव शरीर कोकीलाबेन अस्पताल से उनके जुहू स्थित घर लाया गया. यहां उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया. इसके बाद घर से श्मशान घाट तक अंतिम यात्रा निकाली गयी.

मनोज कुमार के अंतिम संस्कार में बॉलीवुड अभिनेता प्रेम चोपड़ा, राज बब्बर, सायरा बानो, अशोक पंडित, सलीम खान, सुभाष घई, अमिताभ बच्चन, अभिषेक बच्चन,  रजा मुराद, राजपाल यादव समेत कई दिग्गज शामिल हुए.

बता दें कि 87 वर्षीय मनोज कुमार का निधन 4 अप्रैल को हुआ था. उन्होंने शुक्रवार को मुंबई के कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल में अंतिम सांस ली थी. जानकारी के अनुसार, मनोज कुमार लंबे समय से उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे.

मनोज कुमार को ‘भारत कुमार’ के नाम से भी जाना जाता है. वे अभिनेता के साथ-साथ फिल्म निदेशक भी थे. उन खासतौर पर उनकी देशभक्ति के लिए जाना जाता थे, क्योंकि उन्होंने “क्रांति” और “उपकार” सहित कई देशभक्ति फिल्में की हैं.

मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई 1937 को पाकिस्तान में हुआ था. उनका असली नाम हरिकृष्ण गिरी गोस्वामी था. उन्होंने 1957 में फिल्म “फैशन” से अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन 1965 में आई “शहीद” ने उनके करियर को नया मोड़ दिया.

मनोज कुमार की देशभक्ति फिल्मों और गानों ने उन्हें सिनेमा के पटल पर विशेष पहचान दिलाई. इसके लिए लिए मनोज कुमार को 1992 में पद्मश्री और 2015 में दादा साहब फाल्के अवॉर्ड से भी नवाजा गया था.

मनोज कुमार ने देशभक्ति पर बनी कई फिल्मों में एक्टिंग के साथ-साथ उन्हें डायरेक्ट भी किया था, जिनमें “शहीद” (1965), “उपकार” (1967), “पूरब और पश्चिम” (1970), और “रोटी कपड़ा और मकान” (1974) शामिल हैं.

देशभक्ति फिल्मों के अलावा, उन्होंने “हरियाली और रास्ता”, “वो कौन थी”, “हिमालय की गोद में”, “दो बदन”, “पत्थर के सनम”, “नील कमल” और “क्रांति” जैसी कई बेहतरीन फिल्मों में भी एक्टिंग की और उन्हें डायरेक्ट भी किया.

 

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