ममता बनर्जी ने पीएम को फिर पत्र लिखा, DVC ने बिना सलाह लिये पानी छोड़ा, इसलिए आयी बंगाल में बाढ़
एम मोदी को लिखे अपने पहले पत्र में दावा किया कि मानव निर्मित बाढ़ से राज्य के 50 लाख से ज्यादा लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. Kolkata : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में आयी बाढ़ को लेकर पीएम मोदी को एक और पत्र भेजा है. दो दिन के अंदर यह दूसरा […] The post ममता बनर्जी ने पीएम को फिर पत्र लिखा, DVC ने बिना सलाह लिये पानी छोड़ा, इसलिए आयी बंगाल में बाढ़ appeared first on lagatar.in.
एम मोदी को लिखे अपने पहले पत्र में दावा किया कि मानव निर्मित बाढ़ से राज्य के 50 लाख से ज्यादा लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.
Kolkata : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में आयी बाढ़ को लेकर पीएम मोदी को एक और पत्र भेजा है. दो दिन के अंदर यह दूसरा पत्र है. अपने नये पत्र में ममता ने दामोदर घाटी निगम पर आरोप लगाया है कि निगम ने उनसे (ममता) सलाह लिये बिना पानी छोड़ा, जिससे बंगाल के कई जिले डूब गये. इससे पूर्व ममता बनर्जी ने 20 सितंबर को पीएम मोदी को पत्र लिखा था. पहले पत्र में ममता ने आरोप लगाया था कि दामोदर घाटी निगम (DVC) के तहत आने वाले बांधों से पांच लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण बंगाल में बाढ़ आयी है.
This is my second letter to the Hon’ble Prime Minister of India regarding the devastating MAN-MADE flood in South Bengal caused by unprecedented release of water by DVC. pic.twitter.com/JJbpbVOxOU
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) September 22, 2024
बिजली सचिव शांतनु बसु ने DVC बोर्ड से इस्तीफा दे दिया
खबरों के अनुसार बंगाल सरकार और केंद्र के बीच चल रही रस्साकशी के बीच राज्य के बिजली सचिव शांतनु बसु ने DVC बोर्ड से और बंगाल के सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर ने रेगुलेशन कमेटी से इस्तीफा दे दिया है. जान लें कि दामोदर घाटी जलाशय विनियमन समिति (DVRRC) में केंद्रीय जल आयोग, पश्चिम बंगाल, झारखंड और दामेादर वैली निगम के प्रतिनिधि होते हैं.
केंद्रीय जल आयोग, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार एकतरफा फैसले लेते हैं
ममता ने अपने दूसरे पत्र में लिखा कि केंद्रीय जलशक्ति मंत्री का दावा है कि DVC बांधों से पानी छोड़ा जाना पश्चिम बंगाल सरकार के प्रतिनिधियों से परामर्श लेने, दामोदर घाटी रिजर्वायर रेग्युलेशन कमेटी की सहमति और सहयोग से किया गया था, ममता ने इस दावे से असहमति जताई. आरोप लगाया कि सभी अहम फैसले केंद्रीय जल आयोग, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार आम सहमति के बिना एकतरफा लेते हैं, कहा कि कभी-कभी राज्य सरकार को बिना सूचना दिये पानी छोड़ दिया जाता है. हमसे कंसल्ट नहीं किया जाता.ममता बनर्जी ने कहा कि बांधों से लगभग 9 घंटे तक पानी छोड़ा गया. कहा कि बाढ़ को मैनेज करने के लिए हमें महज 3.5 घंटे ही मिले थे. यह किसी भी असरदार डिजास्टर मैनेजमेंट के लिए काफी नहीं माने जा सकते.
20 सितंबर को लिखी चिट्ठी में आर्थिक सहायता मांगी थी
ममता ने 20 सितंबर को पीएम मोदी को लिखे अपने पत्र में दावा किया कि मानव निर्मित बाढ़ से राज्य के 50 लाख से ज्यादा लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. चेताया कि अगर ऐसी लापरवाही जारी रही, तो राज्य(पश्चिम बंगाल) निगम के साथ सभी संबंध तोड़ देगा. ममता ने बाढ़ को मानव निर्मित करार देते हुए कहा कि यह 2009 के बाद से दामोदर नदी में आयी सबसे भयानक बाढ़ है. कहा कि इस बाढ़ से हुई तबाही से उबरने के लिए केंद्र सरकार को आर्थिक सहायता राशि देनी चाहिए.
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