मेघाहातुबुरु खदान में सेलकर्मियों की रविवार को ड्यूटी हो सकती है बंद
Kiriburu (chaibasa): सेल की मेघाहातुबुरु खदान प्रबंधन सेलकर्मियों को अब तक दी जाती रही रविवार की ड्यूटी जून माह से बंद करने की तैयारी में है. अगर सेलकर्मियों को रविवार ड्यूटी बंद हो जाता है तो प्रत्येक सेलकर्मियों को न्यूनतम 8 हजार से अधिकतम 20 -25 हजार रुपये का प्रतिमाह नुकसान उठाना पडे़गा. इससे सेलकर्मियों को […]
Kiriburu (chaibasa): सेल की मेघाहातुबुरु खदान प्रबंधन सेलकर्मियों को अब तक दी जाती रही रविवार की ड्यूटी जून माह से बंद करने की तैयारी में है. अगर सेलकर्मियों को रविवार ड्यूटी बंद हो जाता है तो प्रत्येक सेलकर्मियों को न्यूनतम 8 हजार से अधिकतम 20 -25 हजार रुपये का प्रतिमाह नुकसान उठाना पडे़गा. इससे सेलकर्मियों को विभिन्न प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पडे़गा. उल्लेखनीय है कि सेल की मेघाहातुबुरु खदान में लौह अयस्क लगभग खत्म हो चुका है. मेघाहातुबुरु खदान प्रबंधन को खनन के लिए साउथ ब्लॉक पहाड़ी को चालू करने हेतु फॉरेस्ट क्लियरेंस नहीं मिल रहा है. इससे स्थिति गंभीर बनी हुई है. मेघाहातुबुरु प्रबंधन ने अपना वार्षिक उत्पादन लक्ष्य 4 मिलियन टन से घटाकर 2.5 (ढाई) मिलियन टन कर दिया है.
वार्षिक उत्पादन लक्ष्य को प्रबंधन ने घटा दिया
सेल मेघाहातुबुरु प्रबंधन पहले से मैनपावर की भारी कमी जैसी समस्या के बावजूद रविवार को छुट्टी के दिन भी सेलकर्मियों एवं ठेका मजदूरों को काम पर लगाकर अपना उत्पादन लक्ष्य हासिल करता आ रहा था. जब खदान में लौह अयस्क का भंडार खत्म हो चुका है तथा वार्षिक उत्पादन लक्ष्य को प्रबंधन ने घटा दिया है, तब पहले से ऐसी आशंका थी कि रविवार को ड्यूटी बंद होगी. यहां सेलकर्मियों को महीना में चार रविवार को ड्यूटी करने के एवज में उनके वेतन के अनुसार 8 हजार से 20-25 हजार रुपये का सीधा नुकसान होगा.
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कर्मचारियों को प्रतिमाह आठ से 25 हजार रुपये का होगा नुकसान
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लौह अयस्क का भंडार खत्म होने की वजह से लिया जा सकता है निर्णय
रविवार की ड्यूटी अतिरिक्त लाभ देता है
सेलकर्मी रविवार की ड्यूटी छोड़ते नहीं हैं, क्योंकि यह अतिरिक्त लाभ देता है. कई सेलकर्मी आवास, कार, बच्चों की पढ़ाई हेतु विभिन्न लोन लिये हैं. इससे उनको परेशानी होगी. साउथ ब्लॉक की पहाड़ी पर खनन हेतू जल्द फॉरेस्ट क्लियरेंस नहीं मिलता है तो मेघाहातुबुरु के सेलकर्मियों व अधिकारियों की परेशानी और अधिक बढ़ सकती है. इसका व्यापक असर पूरे सारंडा के ग्रामीणों, दुकानदारों, ठेकेदार व ठेका मजदूरों पर पडे़गा.
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