रांची: ऑल नोबिलियंस एलुमनी एसोसिएशन का पुनर्मिलन समारोह
Ranchi: ऑल नोबिलियन्स एलुमनी एसोसिएशन की पांचवीं बेंगलुरु चैप्टर पुनर्मिलन समारोह हर्ष और उत्साह के साथ संपन्न हुआ. डी नोबिली स्कूल के 1973 बैच से लेकर 2020 तक के एलुम्नाई ने “ऑल नोबिलियन्स’ एलुम्नाई एसोसिएशन के रीयूनियन” में भाग लिया. आयोजन में डी नोबिली स्कूल से पढ़कर निकले लोग आए. इसमें डॉक्टर, प्रोफेसर, संगीतकार, चित्रकार, […]
Ranchi: ऑल नोबिलियन्स एलुमनी एसोसिएशन की पांचवीं बेंगलुरु चैप्टर पुनर्मिलन समारोह हर्ष और उत्साह के साथ संपन्न हुआ. डी नोबिली स्कूल के 1973 बैच से लेकर 2020 तक के एलुम्नाई ने “ऑल नोबिलियन्स’ एलुम्नाई एसोसिएशन के रीयूनियन” में भाग लिया. आयोजन में डी नोबिली स्कूल से पढ़कर निकले लोग आए. इसमें डॉक्टर, प्रोफेसर, संगीतकार, चित्रकार, मीडिया के लोग, फैकल्टी सदस्य, प्रोफेसर, वैज्ञानिक, व्यापारी, मल्टीनेशनल कंपनी के वाइस प्रेजिडेंट, वित्तीय सलाहकार, बैंक कर्मचारी, डायरेक्टर (माइनिंग), चार्टर्ड अकाउंटेंट, सीईओ, जीएम व अन्य पेशेवर शामिल थे. सभी बेंगलुरु, मैसूर, वेल्लोर, चेन्नई, कोलकाता, धनबाद आदि शहरों से आए थे.
5 सेवानिवृत शिक्षक व शिक्षिका शामिल
डी नोबिली डिगवाडिह, सीएमआरआई, सिंदरी से कुल 5 सेवानिवृत शिक्षक व शिक्षिका इस रीयूनियन में शामिल हुई. जिनमें डेरिक हैमिल्टन, अंजना पंडित, सरस्वती रमन, इला प्रसाद व रवीन्द्र कौर भाटिया शामिल हुए. इसकी शुरुआत रजिस्ट्रेशन किट बांट कर की गई. दीप प्रज्वलन, स्कूल प्रार्थना और उन सभी के लिए एक मिनट का मौन रखा गया जो अब हमारे साथ नहीं हैं. शिक्षकों का परिचय व उनका सम्मान शॉल ओढ़ा कर मोमेंटो देकर से किया गया.
एलुम्नाई एक दूसरे के साथ अनौपचारिक ढंग से मिले और पुरानी यादें ताजा किए. सभी ने एएनएए-टीजी से अवगत कराए, और दो नई पहल का उद्घाटन किया. 25 व 50 साल पास हुए ग्रेजुएट एलुमनाई केक काट कर मनाया. मौके पर ब्रांच के शिक्षकों ने मोमेंटो वितरण किया. डी नोबिली स्कूल डिगवाडी, सीएमआरआई, मुगमा, सिंदरी, सिजुआ और सीटीपीएस के एलुमनी ने अपना भाग लिए.
इस मीट में नोबेलियंस को एक मंच प्रदान किया गया, जहां पुरानी यादों को ताजा करने, अनुभवों को साझा करने व नए रिश्ते बनाने का अवसर मिला. कार्यक्रम को सफल बनाने मे एलुमनी के संस्थापक सदस्य मयंक सिंह, सुधीर ब्रह्मा, शामिया आफताब, श्वेताभ वर्मा, चिरंजीव भाया, निशत फातमा, एडविन विशाल केरकेट्टा, सोनल चटर्जी, सुरवी भाया, विवेक त्रिवेदी आदि का योगदान था. एलुमनी शुरू से अपने सेवानिवृत प्रशिक्षको की सेवा, मदद, आदर सत्कार में लगे रहे.
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