रांची : राखबुध के साथ चालीसा काल शुरू, चर्चों में मिस्सा बलिदान किये गये अर्पित
आर्च बिशप विंसेंट आईंद ने मिस्सा बलिदान अर्पित किये विश्वासियों के माथे पर राख का टीका लगाया Ranchi : रांची के पुरुलिया रोड स्थित संत मरिया महागिरजा घर चर्च में बुधवार को ख्रीस्त विश्वासियों का चालीसा काल शुरू हो गया, जो 40 दिनों तक चलेगा. इस अवसर पर आर्च बिशप विंसेंट आईंद ने मिस्सा बलिदान […]

- आर्च बिशप विंसेंट आईंद ने मिस्सा बलिदान अर्पित किये
- विश्वासियों के माथे पर राख का टीका लगाया
Ranchi : रांची के पुरुलिया रोड स्थित संत मरिया महागिरजा घर चर्च में बुधवार को ख्रीस्त विश्वासियों का चालीसा काल शुरू हो गया, जो 40 दिनों तक चलेगा. इस अवसर पर आर्च बिशप विंसेंट आईंद ने मिस्सा बलिदान अर्पित किये और विश्वासियों के माथे पर राख का टीका लगाया. आर्च बिशप विंसेंट आईंद ने विश्वासियों को याद दिलाया कि तुम मिट्टी से बने हो और मिट्टी में ही मिल जाओगे.
इस दौरान यह भी स्मरण कराया गया कि माथे पर राख लगाने से जीवन को ईश्वर को समर्पित किया जाता है और एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति, प्यार और सहायता की भावना व्यक्त की जाती है. इस दौरान ख्रिस्त विश्वासियों ने पश्चाताप और पापों का पछतावा किया.
चालीसा काल दिखावे का समय नहीं, यह खुद को नया बनाने का अवसर
आर्च बिशप विंसेंट आईंद ने कहा कि चालीसा काल सिर्फ दिखावे का समय नहीं है, यह अपने आप को नया बनाने का अवसर है. उन्होंने कारीतास इंडिया, जो विपदाओं के शिकार लोगों की मदद करता है, के लिए दान देने का आह्वान भी किया. इसके पश्चात महाधर्माध्यक्ष ने सभी पुरोहितों के माथे पर राख का टीका लगाया. बलिदान में आर्च बिशप विंसेंट आईंद, फादर जॉर्ज मिंज, कारीतास इंडिया के निर्देशक फादर एंथोनी फर्नांडिस और अन्य पुरोहित शामिल हुए, साथ ही हजारों ख्रीस्तीय विश्वासियों ने भी भाग लिया.
7 मार्च को क्रूस रास्ता की धर्म विधि होगी संपन्न
संत मारिया गिरजाघर में क्रूस रास्ता की धर्म विधि 7 मार्च को दोपहर 12 बजे, फिर शाम 4 बजे और साढ़े पांच बजे संपन्न होगी, जिसमें विश्वासियों को उपवास और परहेज करने की प्रेरणा दी जाएगी. इस दिन धर्म बहनों को प्रभु यीशु मसीह की चौदह घटनाओं (जिसमें प्रभु ने दुख भोगा था) को बताया जायेगा.
इन चौदह घटनाओं पर होगा चिंतन और मनन
1. यीशु को प्राणदंड की आज्ञा मिलती है.
2. यीशु के कंधे पर क्रूस लादा जाता है.
3. यीशु पहली बार क्रूस के नीचे गिरते हैं.
4. यीशु और उनकी दुखी मां की भेट होती है.
5. सिरिनी सिमोन यीशु को क्रूस ढोने में सहायता देते हैं.
6. बेरोनिका यीशु का चेहरा पोछती हैं.
7. यीशु दूसरी बार गिरते हैं.
8. येरूसेलम की स्त्रियां यीशु के लिए रोती हैं.
9. यीशु तीसरी बार गिरते हैं.
10. यीशु के कपड़े उतारे जाते हैं.
11. यीशु क्रूस पर ठोके जाते हैं.
12. यीशु क्रूस पर मर जाते हैं.
13. यीशु को क्रूस से उतारा जाता है.
14. यीशु को कब्र में रखा जाता है.
18 अप्रैल को मनाया जायेगा गुड फ्राइडे
वहीं ख्रीस्त विश्वासी 13 अप्रैल को खजुर रविवार या पाम संडे को पवित्र सप्ताह में प्रवेश करेंगे. 17 अप्रैल को पुण्य काल होगा. इस दिन प्रभु यीशु ने अपने चेलों के पैर धोएं थे. जबकि 18 अप्रैल को गुड फ्राइडे मनाया जायेगा.
चालीसा काल में रविवार को नहीं गिना जाता
ख्रिस्त विश्वासियों का चालीसा काल ईसाई समुदाय में एक महत्वपूर्ण समय होता है, जो ईसा मसीह के पुनरुत्थान के बाद शुरू होता है. चालीसा काल ख्रीस्त विश्वासियों के लिए विशेष प्रार्थना, उपवास और दान देने का समय होता है. ऐसे तो चालीसा काल 46 दिनों का होता है. लेकिन इसमें से छह रविवारों को नहीं गिना जाता, जिससे वास्तविक चालीसा काल 40 दिनों का होता है. रविवार ईसाई समुदाय विशेष दिन होता है, इसलिए इस दिन को चालीसा काल में नहीं गिना जाता. रविवार के दिन यीशु मसीह का पुनरुत्थान हुआ था और यह महिमा का दिन होता है. इस दिन को सकारात्मक रूप से जोड़कर ईश्वर की महिमा की जाती है और जीवन व्यतीत किया जाता है.
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