विधायकों को घर बनाने के लिए 60 लाख रुपए का एडवांस तभी मिलेगा जब भूमि का स्पष्ट स्वामित्व हो
Ranchi: झारखंड के विधायकों को घर बनाने के लिए 60 लाख रुपए की राशि एडवांश के रूप में तभी मिलेगी, जब उनके बाद भूमि का स्पष्ट स्वामित्व होगा. राज्य सरकार ने एडवांस की राशि की स्वीकृति के लिए प्रावधानों में संशोधन कर दिया है. वित्त विभाग ने इसका आदेश जारी कर दिया है. जारी आदेश […]
Ranchi: झारखंड के विधायकों को घर बनाने के लिए 60 लाख रुपए की राशि एडवांश के रूप में तभी मिलेगी, जब उनके बाद भूमि का स्पष्ट स्वामित्व होगा. राज्य सरकार ने एडवांस की राशि की स्वीकृति के लिए प्रावधानों में संशोधन कर दिया है. वित्त विभाग ने इसका आदेश जारी कर दिया है. जारी आदेश के तहत वैसे विधायकों को एडवांस मिलेगा, जिनका कार्यकाल पेंशन प्रदायी हो उस स्थान पर जहां विधायक अपने कार्यकाल में या उसके बाद अंतिम रूप से बसना चाहते हैं. अन्य सरकारी स्त्रोत, हाउसिंग बोर्ड, अर्द्ध सरकारी निकायों या स्थानीय निकायों से इसी उद्देश्य से कोई ऋण या अग्रिम नहीं लिया हो. इसके बाद अगर वे अन्य स्त्रोतों से प्राप्त बकाया ऋण या अग्रिम को ब्याज के साथ एक किस्त में लौटाने का बचन देते हैं तो विधायक को गृह निर्माण के लिए एडवांस की स्वीकृति दी जा सकेगी. विधायक के पास भूमि का स्पष्ट स्वामित्व भी होना चाहिए. यदि एडवांस निजी पार्टियों से निर्मित मकान-फ्लैट खरीदने के लिये है, तो मकान-फ्लैट पर किसी की देनदारी नहीं होनी चाहिए. फ्लैट खरीद के लिए आवेदक को भूमि मालिक एवं रजिस्टर्ड बिल्डर के बीच किये गये एकरारनामा प्रस्तुत करना होगा. प्रस्तावित फ्लैट का स्वीकृत नक्शा भी प्रस्तुत करना होगा. रजिस्टर्ड बिल्डर द्वारा किये जा रहे नये प्रोजेक्ट रेरा द्वारा भी स्वीकृत होना चाहिए.
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एडवांस लेने के बाद किसी भी वित्तीय संस्थान से नहीं लेना होगा कर्ज
विधायकों को इस आशय का शपथ पत्र देना होगा कि गृह निर्माण अग्रिम की स्वीकृति प्राप्ति के बाद घोषित भूमि व प्लॉट को किसी अन्य वित्तीय संस्थान में बंधक रख कर अन्य गृह निर्माण ऋण प्राप्त नहीं करेंगे. किराया-क्रय पद्धति के आधार पर मकान खरीदने के लिये गृह निर्माण अग्रिम स्वीकार्य नहीं है. ब्याज की गणना प्रत्येक माह के अंतिम दिवस को रहने वाले बकाए के आधार पर की जायेगी. (a) अगर मूलधन के बकाए का भुगतान महीने के बीच में ही दिया जाता है तो उस महीने का ब्याज नहीं लिया जायेगा. यदि प्रशासनिक कारणों से वेतन या पेंशन विलंब से मिलता है तो देय ब्याज अवशेष की गणणा की वसूली उसी माह में मानी जायेगी, जिस माह का वेतन-पेंशन निकालना हो. यदि किसी विधायक की कार्यकाल के दौरान मृत्यु हो जाती है तो उस विधायक की मृत्यु की तिथि के बाद की अवधि का ब्याज देय नहीं होगा.
ये हैं संशोधन के प्रमुख बिंदु
• एडवांस के साथ चार फीसदी ब्याज की राशि 20 साल यानि 240 किस्तों में पूरा करना होगा.
• विधायक कम अवधि में भी एडवांस की राशि का कर सकेंगे भुगतान
• वित्त विभाग की पूर्व सहमति के बिना वसूली नहीं रोकी जायेगी और न ही विलंबित या स्थगित की जाएगी.
• यदि विधायक या उनका उत्तराधिकारी किसी कारणवश अग्रिम को पूरा नहीं लौटाते हैं, तो सरकार को यह अधिकार प्राप्त होगा कि वह मकान को रेहनरख ले या अन्य प्रकार से वसूल करने के लिए कार्रवाई करें.
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