सुप्रीम कोर्ट ने एग्जिट पोल को नियंत्रित करने वाली जनहित याचिका खारिज की
NewDelhi : एग्जिट पोल को नियंत्रित करने वाली जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दी. कोर्ट ने इसे राजनीतिक हित के लिए डाली गयी याचिका करार दिया. याचिकाकर्ता बीएल जैन से कहा, देश में शासन चलने दें और चुनाव की गाथा बंद करें. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज […] The post सुप्रीम कोर्ट ने एग्जिट पोल को नियंत्रित करने वाली जनहित याचिका खारिज की appeared first on lagatar.in.
NewDelhi : एग्जिट पोल को नियंत्रित करने वाली जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दी. कोर्ट ने इसे राजनीतिक हित के लिए डाली गयी याचिका करार दिया. याचिकाकर्ता बीएल जैन से कहा, देश में शासन चलने दें और चुनाव की गाथा बंद करें. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने बीएल जैन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार चुनी जा चुकी है. अब चुनाव के दौरान क्या होता है इसकी गाथा बंद करें और अब देश में शासन शुरू करें.
चुनाव आयोग इस मुद्दे को संभालने में सक्षम है
पीठ ने चुनाव आयोग का जिक्र करते हुए कहा कि वह इस मुद्दे को संभालने में सक्षम है. कोर्ट वह चुनाव आयोग को नहीं चला सकता . बता दें कि बीएल जैन ने अपनी जनहित याचिका में कई चुनाव-सर्वेक्षण एजेंसियों और समाचार चैनलों को पक्षकार बनाया था. याचिका में मीडिया घरानों और उनकी सहयोगी कंपनियों के खिलाफ जांच की मांग की गयी थी. याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता बीएल जैन ने कहा कि एग्जिट पोल प्रसारित किये जाने से निवेशक प्रभावित हुए. 4 जून को चुनावी नतीजों के बाद शेयर बाजार में भारी गिरावट आयी, जिसके कारण 31 लाख करोड़ का नुकसान हुआ.
चुनाव आयोग ने 1998 में प्रतिबंध लगाया था
चुनाव आयोग ने साल 1998 में ओपिनियन और एग्जिट पोल पर प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के फैसले को रद्द कर दिया. 2009 लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर एग्जिट पोल पर प्रतिबंध की मांग उठी. बाद में कानून में संशोधन किया गया. संशोधित कानून के अनुसार चुनावी प्रक्रिया के दौरान जब तक अंतिम वोट नहीं पड़ जाता, एग्जिट पोल का प्रसारण नहीं किया जा सकता
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