हेमंत सोरेन: योजनाओं और पहचान की राजनीति पर चुनावी दांव
Ranchi: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा चुनाव में अपनी सरकार की प्रमुख योजनाओं को जनता के बीच प्रमुख मुद्दा बनाया है. मैया सम्मान योजना (18 से 50 वर्ष की वंचित महिलाओं के लिए) और 1000 रुपये की पेंशन योजना को गरीबों और महिलाओं तक पहुंचाने का दावा किया गया है. इसके साथ ही […]
Ranchi: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा चुनाव में अपनी सरकार की प्रमुख योजनाओं को जनता के बीच प्रमुख मुद्दा बनाया है. मैया सम्मान योजना (18 से 50 वर्ष की वंचित महिलाओं के लिए) और 1000 रुपये की पेंशन योजना को गरीबों और महिलाओं तक पहुंचाने का दावा किया गया है. इसके साथ ही सरना कोड प्रस्ताव और झारखंड डोमिसाइल बिल जैसे कदमों ने आदिवासी पहचान और अधिकारों को केंद्र में रखकर एक मजबूत सियासी चाल चली है.
भीतरी-बाहरी का नैरेटिव
हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने भाजपा को ‘बाहरी’ और आदिवासी समुदाय को ‘भीतरी’ बताने का नैरेटिव खड़ा किया है. यह रणनीति आदिवासी बहुल इलाकों में मजबूत पकड़ बनाने और भाजपा के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से अपनाई गई है.
लोकसभा चुनाव से मिला आत्मविश्वास
2024 के लोकसभा चुनाव में झामुमो और इंडिया गठबंधन को बड़ी सफलता मिली थी. गठबंधन ने झारखंड में अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सभी पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस सफलता ने हेमंत सोरेन को विधानसभा चुनाव में भी बड़े दांव खेलने का आत्मविश्वास दिया.
गठबंधन की जीत और मुख्यमंत्री की कुर्सी
हेमंत सोरेन के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह इंडिया गठबंधन को बहुमत तक पहुंचा पाएं. उनकी व्यक्तिगत जीत के साथ गठबंधन की सफलता यह तय करेगी कि वह मुख्यमंत्री बने रहेंगे या नहीं. अगर गठबंधन बहुमत हासिल नहीं कर पाता है, तो हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ सकता है.
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