कांग्रेस का आरोप, गुजरात सरकार अदानी पोर्ट्स की मदद कर रही, जेपीसी जांच की मांग दोहराई
NewDelhi : कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि गुजरात की भाजपा सरकार बंदरगाह क्षेत्र में अदानी समूह की कंपनी का एकाधिकार सुनिश्चित करने के लिए उसकी मदद कर रही है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने अदानी समूह से जुड़े मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराये जाने की मांग फिर से दोहराई. […] The post कांग्रेस का आरोप, गुजरात सरकार अदानी पोर्ट्स की मदद कर रही, जेपीसी जांच की मांग दोहराई appeared first on lagatar.in.
NewDelhi : कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि गुजरात की भाजपा सरकार बंदरगाह क्षेत्र में अदानी समूह की कंपनी का एकाधिकार सुनिश्चित करने के लिए उसकी मदद कर रही है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने अदानी समूह से जुड़े मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराये जाने की मांग फिर से दोहराई.
STORY | Cong claims Gujarat govt helping Adani Ports ‘secure monopoly’, says JPC essential
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— Press Trust of India (@PTI_News) August 14, 2024
गुजरात सरकार निजी बंदरगाहों को बिल्ड-ओन-ऑपरेट-ट्रांसफर (BOOT) के आधार पर 30 साल की रियायत अवधि प्रदान करती है, जिसके बाद स्वामित्व गुजरात सरकार को हस्तांतरित हो जाता है। इस मॉडल के आधार पर, अदानी पोर्ट्स का वर्तमान में मुंद्रा, हजीरा और दाहेज बंदरगाहों पर नियंत्रण है। 2024 के…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) August 14, 2024
कांग्रेस हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को लेकर अदानी समूह पर हमलावर है
कांग्रेस हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को लेकर अदानी समूह पर पिछले कई महीनों से हमलावर है. हालांकि, अदानी समूह ने अपने ऊपर लगाये गये सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है. रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, सरकार निजी बंदरगाहों को बिल्ड-ओन-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओओटी) आधार पर 30 साल की रियायत अवधि प्रदान करती है, जिसके बाद स्वामित्व गुजरात सरकार को हस्तांतरित हो जाता है.
अदानी पोर्ट्स का वर्तमान में मुंद्रा, हजीरा और दाहेज बंदरगाहों पर नियंत्रण है
इस मॉडल के आधार पर अदानी पोर्ट्स का वर्तमान में मुंद्रा, हजीरा और दाहेज बंदरगाहों पर नियंत्रण है. उन्होंने दावा किया, 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले, अदानी पोर्ट्स ने गुजरात समुद्री बोर्ड (जीएमबी) से इस रियायत अवधि को और 45 साल बढ़ाकर कुल 75 साल करने का अनुरोध किया.यह 50 वर्षों की अधिकतम स्वीकार्य अवधि से बहुत अधिक था, लेकिन जीएमबी ने गुजरात सरकार से ऐसा करने का अनुरोध करने में जल्दबाजी की.
रमेश ने कहा, जीएमबी इतनी जल्दी में थी कि उसने अपने बोर्ड की मंजूरी के बिना ऐसा किया, जिसके परिणामस्वरूप फाइल वापस आ गयी. उन्होंने कहा, जीएमबी बोर्ड ने सिफारिश की कि गुजरात सरकार 30 साल की रियायत के पारित होने के बाद अन्य संभावित ऑपरेटर और कंपनियों से बोलियां आमंत्रित करके या अदानी के साथ वित्तीय शर्तों पर फिर से बातचीत करके अपने राजस्व हितों की रक्षा करे.
टेंपोवाले ने जीएमबी बोर्ड के फैसले में बदलाव के लिए मजबूर किया
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ऐसा प्रतीत होता है कि प्रतिस्पर्धा की इस संभावना से क्रोधित टेंपोवाले ने जीएमबी बोर्ड के फैसले में बदलाव के लिए मजबूर किया, जिसे नयी बोलियां आमंत्रित किये बिना या शर्तों पर फिर से बातचीत किये बिना अदानी के लिए रियायत अवधि के विस्तार की सिफारिश करने के लिए संशोधित किया गया था. उन्होंने दावा किया कि इसमें कोई शक नहीं कि मुख्यमंत्री (भूपेंद्र पटेल) और अन्य सभी ने यह सुनिश्चित करने में जल्दबाजी की कि यह प्रस्ताव पारित हो और सभी आवश्यक हितधारकों से मंजूरी प्राप्त हो.
अदानी पोर्ट्स गुजरात के बंदरगाह क्षेत्र पर एकाधिकार स्थापित करेगा
रमेश ने आरोप लगाया, दिनदहाड़े हुई इस डकैती के कम से कम दो गंभीर परिणाम होंगे. पहला-अदानी पोर्ट्स गुजरात के बंदरगाह क्षेत्र पर एकाधिकार स्थापित करेगा, बाजार की प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंचाएगा और आम आदमी के लिए कीमतें बढ़ाएगा. दूसरा-प्रक्रिया को पुन: बातचीत या प्रतिस्पर्धी बोली के लिए खोलने में विफल रहने से, गुजरात सरकार को राजस्व में करोड़ों रुपये का नुकसान होगा. उन्होंने कहा, मोदी है तो अदानी के लिए सब कुछ मुमकिन है. इसलिए मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच जरूरी है.
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