बदलापुर यौन शोषण : बंबई HC ने पुलिस और स्कूल प्रशासन को फटकारा, कहा- स्कूल भी सुरक्षित नहीं तो बच्चे क्या करें?
बदलापुर यौन शोषण मामला स्तब्धकारी, लड़कियों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं : बंबई HC एसआईटी को 27 अगस्त तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश मामला दर्ज न कराने के लिए स्कूल प्रशासन के खिलाफ भी कार्रवाई करने का निर्देश Mumbai : महाराष्ट्र के ठाणे जिले के बदलापुर कस्बे के एक स्कूल के के शौचालय […] The post बदलापुर यौन शोषण : बंबई HC ने पुलिस और स्कूल प्रशासन को फटकारा, कहा- स्कूल भी सुरक्षित नहीं तो बच्चे क्या करें? appeared first on lagatar.in.
- बदलापुर यौन शोषण मामला स्तब्धकारी, लड़कियों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं : बंबई HC
- एसआईटी को 27 अगस्त तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश
- मामला दर्ज न कराने के लिए स्कूल प्रशासन के खिलाफ भी कार्रवाई करने का निर्देश
Mumbai : महाराष्ट्र के ठाणे जिले के बदलापुर कस्बे के एक स्कूल के के शौचालय में पुरुष सहायक में पुरुष सहायक ने 12 और 13 अगस्त को दो बच्चियों के कथित यौन उत्पीड़न का मामला में बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया. इस मामले सुनवाई आज न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ में हुई. सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस घटना को ‘‘स्तब्धकारी’’ करार दिया है. साथ ही कहा कि लड़कियों की रक्षा और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सकता. अदालत ने घटना की जानकारी होने के बावजूद मामला दर्ज न कराने के लिए स्कूल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने प्राथमिकी दर्ज करने में देरी करने के लिए पुलिस की भी आलोचना की. पीठ ने एसआईटी को 27 अगस्त तक रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया है. अदालत ने इस रिपोर्ट में लड़कियों और उनके परिवारों के बयान दर्ज करने के लिए उसने क्या कदम उठाये, बदलापुर पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने और दूसरी पीड़िता का बयान दर्ज करने में देरी क्यों हुई, यह सब बताने को कहा है.
जब तक जनता आक्रोश नहीं दिखाये, तब तक क्या तंत्र सक्रिय नहीं होगा
अदालत ने कहा कि 12 और 13 अगस्त को एक स्कूल के शौचालय में पुरुष सहायक ने दोनों बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न किया था. घटना के चार दिन 16 अगस्त को इस मामले में प्राथमिकी 16 अगस्त को दर्ज की गयी. वहीं 17 अगस्त को आरोपी को गिरफ्तार किया गया. पीठ ने कहा कि जब तक जनता ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन नहीं किया और आक्रोश नहीं दिखाया तब तक पुलिस तंत्र आगे नहीं बढ़ा. पीठ ने पूछा कि जब तक जनता जबरदस्त आक्रोश नहीं दिखाये, तब तक क्या तंत्र सक्रिय नहीं होगा. या जनता के इस प्रकार के आक्रोश के बिना राज्य सक्रिय नहीं होगा. पीठ ने कहा कि वह यह जानकार स्तब्ध है कि पुलिस ने मामले की ठीक से जांच नहीं की. अदालत ने सवाल किया कि जहां तीन से चार साल की छोटी बच्चियों का यौन उत्पीड़न किया गया हो, वैसे गंभीर मामले को पुलिस इतने हल्के में कैसे ले सकती है.
अगर स्कूल सुरक्षित जगह नहीं तो बच्चे क्या करें?
अदालत ने कहा कि अगर स्कूल सुरक्षित जगह नहीं हैं तो बच्चे क्या करें? तीन, चार साल के बच्चे ने क्या किया? यह बिल्कुल स्तब्धकारी (घटना) है. पीठ ने कहा कि बदलापुर पुलिस ने मामले में जैसा रुख दिखाया उससे वह जरा भी ‘खुश’ नहीं है. उच्च न्यायालय ने कहा कि हम केवल यह देखना चाहते हैं कि पीड़ित बच्चियों को न्याय मिले और पुलिस को भी इतने में ही दिलचस्पी होनी चाहिए. पीठ ने पुलिस को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि पीड़ितों और उनके परिवारों को हरसंभव सहायता दी जाये. अदालत ने पीड़ितों को और अधिक परेशान नहीं करने को कहा है.
मामले को दबाने की कोशिश की गयी होगी तो संबंधित पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने में नहीं करेंगे संकोच
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ में ने अपनी टिप्णी में यह भी कहा कि इस मामले में बच्चियों ने शिकायत कर दी, लेकिन ऐसे कितने मामले होंगे, जिनके बारे में कुछ भी पता नहीं. पीठ ने कहा कि पहली बात यह है कि पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए थी. स्कूल प्रसाशन भी चुप्पी साधे रहा. इससे लोग आगे आने से हतोत्साहित होते है. पीठ ने मामले की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) को 27 अगस्त तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें बताया जाये कि लड़कियों और उनके परिवारों के बयान दर्ज करने के लिए उसने क्या कदम उठाये. अदालत ने कहा कि रिपोर्ट में यह भी बताना होगा कि बदलापुर पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने और दूसरी पीड़िता का बयान दर्ज करने में देरी क्यों हुई. अदालत ने कहा कि हम इस बात से स्तब्ध हैं कि बदलापुर पुलिस ने आज तक दूसरी बच्ची का बयान लेने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है. अदालत ने कहा कि अगर उसे पता चला कि मामले को दबाने की कोशिश की गयी है तो वह संबंधित पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेगी. उच्च न्यायालय ने कहा कि हमें यह भी बताएं कि लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार क्या कदम उठा रही है. इस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता. पीठ ने कहा कि स्कूल अधिकारियों को घटना के बारे में पता था, लेकिन वे चुप रहे और पुलिस को सूचित नहीं किया. इस पर महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने अदालत को आश्वासन दिया कि संबंधित स्कूल प्राधिकारियों के खिलाफ आज ही कार्रवाई की जायेगी. सराफ ने पीठ को बताया कि एक बच्ची का बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कर लिया गया है तथा दूसरी पीड़ित बच्ची का बयान आज दर्ज किया जायेगा.
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